क्रुक : बैड एंड बोरिंग

समय ताम्रकर
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बैनर : विशेष फिल्म्स
निर्माता : मुकेश भट्ट
निर्देशक : मोहित सूरी
संगीत : प्रीतम चक्रवर्ती
कलाकार : इमरान हाशमी, नेहा शर्मा, अर्जन बाजवा, गुलशन ग्रोवर, शेला एलेन
* केवल वयस्कों के लिए
रेटिंग : 1 /5

मोहित सूरी द्वारा निर्देशित फिल्म ‘क्रुक’ इतनी बुरी फिल्म है कि सिनेमाघर में बैठना मुश्किल हो जाता है।

लव स्टोरी की बैकड्रॉप में सामयिक घटनाएँ डालकर फिल्म बनाना इन दिनों फिल्मकारों को बेहद पसंद आ रहा है। ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों पर कुछ महीनों पहले हमले हुए थे और अभी भी यह मामला पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। इसी को आधार बनाकर ‘क्रुक’ की कहानी का तानाबाना बुना गया है।

प्रेम कहानी, नस्लीय हमले, सेक्सी सीन, फिल्म के हीरो का अच्छाई और बुराई को लेकर असमंजस जैसे कई ट्रेक्स पर फिल्म चलती है और इन सबको समेटना स्क्रीनप्ले राइटर अंकुर तिवारी और निर्देशक मोहित सूरी के लिए मुश्किल हो गया।

फिल्म पर से पूरी तरह उनका नियंत्रण छूट गया और स्क्रीन पर घट रहे घटनाक्रमों में कोई तालमेल नजर नहीं आता।

असल में फिल्म से जुड़े लोग यह निर्धारित नहीं कर पाए कि वे प्रेम कहानी पर फोकस करें या ऑस्ट्रेलिया में हो रह हमलों पर। आधे-अधूरे मन से इस पर काम किया गया है। इससे लव स्टोरी में इतनी तीव्रता नजर नहीं आती कि दर्शक उनके प्रेम से प्रभावित हो और न ही नस्लीय हमलों के इश्यू को ठीक से उठाया गया है।

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मोहित सूरी ने यह मान लिया कि इमरान हाशमी फिल्म हैं इसलिए दर्शक हॉट या बोल्ड सीन की आशा लिए आएँगे। इसलिए उन्होंने इस तरह के दृश्यों को बिना कहानी में जगह बनाए ठूँस दिया है।

फिल्म के किरदारों को भी ठीक से नहीं लिखा गया है। इमरान हाशमी अभिनीत किरदार जय/सूरज के पिता वाला प्रसंग अधूरा सा लगता है। वह प्यार करता है सुहानी को, लेकिन सोता है निकोल के साथ। उसकी अच्छाई और बुराई के बीच की उलझन को भी ठीक से स्पष्ट ‍नहीं किया गया है। सुहानी के भाई समर्थ के किरदार को समझना भी टेढ़ी खीर है।

नस्लीय मामले में लेखक ने भारतीयों को दोषी ठहरा दिया है और वो भी बिना किसी ठोस कारण के, इससे फिल्म देखने का मजा और खराब हो जाता है। इमरान हाशमी के दोस्तों के जरिये हँसाने की कोशिश की गई है जो बेहद बनावटी लगती है और चिढ़ पैदा करती है।

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‘जहर’ और ‘वो लम्हें’ जैसी फिल्में बना चुके और बड़ी-बड़ी बातें करने वाले निर्देशक मोहित सूरी का निर्देशन भी घटिया है। एक खराब लिखे स्क्रीनप्ले को उन्होंने बेहद खराब तरीके से पेश किया है। दृश्यों में तालमेल का अभाव है।

इमरान हाशमी और नेहा शर्मा का अभिनय अच्छे से बुरे के बीच झूलता रहता है। अर्जन बाजवा और शेला एलेन असर छोड़ते हैं। प्रीतम ने कुछ अच्छी धुनें बनाई है। कुल मिलाकर ‘क्रूक : इट्स गुड टू बी बैड’ बुरी और बोरिंग फिल्म है।

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