ता रा रम पम

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निर्माता : आदित्य चोपड़ा
निर्देशक : सिद्धार्थ आनंद
संगीतकार : विशाल शेखर
कलाकार : सैफ अली खान, रानी मुखर्जी, जावेद जाफरी

IFM
‘ता रा रम पम’ जैसी सपाट कहानी देखकर यहीं खयाल आता है कि यशराज बैनर्स में क्वालिटी के बजाय क्वांटिटी पर ध्यान दिया जा रहा है। पता नहीं आदित्य चोपड़ा इस कहानी पर पैसा लगाने के लिए कैसे तैयार हो गए? सिद्धार्थ आनंद ने अपनी पहली फिल्म ‘सलाम नमस्ते’ में लिव इन रिलेशनशिप जैसा बोल्ड विषय लिया था। वहीं दूसरी फिल्म में वे सुरक्षित खेलने के अंदाज में आ गए। उन्होंने ऐसी कहानी चुनी जो आमतौर पर बच्चों को सुनाई जाती है। जिसमें थोड़ी खुशी और थोड़ा गम होता है, लेकिन सब कुछ चमत्कारिक ढंग से होता रहता है।

रेसिंग कार के टायर बदलने वाला पलक झपकते ही दुनिया का जाना-माना कार रेस ड्रायवर बन जाता है। दो-तीन मुलाकात के बाद एक सुन्दर सी लड़की उसकी पत्नी बन जाती है। एक दुर्घटना के बाद वह कार रेस में भाग लेने के लायक नहीं रहता। चूंकि उसे बचत करने की आदत नहीं रहती इसलिए उसके ऐशो-आराम के सारे साधन‍ छिन जाते हैं। आर्थिक तंगहाली में वह जैसे-तैसे अपने दिन गुजारता है। अपने बच्चों की स्कूल की फीस भरने के लिए टैक्सी चलाता है, लोगों को बेवकूफ बनाकर पैसा तक ऐंठ लेता है। बेटा बीमार हो जाता है। ऑपरेशन के लिए पैसे की जरूरत पड़ती है। तमाम विपरीत परिस्थितियों से लड़ते हुए वह एक बार फिर कार रेस में हिस्सा लेता है और अपना खोया हुआ स्थान तथा पैसा फिर से हासिल कर लेता है। अगर इसमें से कार रेसिंग और अमेरिका हटा दिया जाए तो यह फिल्म पचास साल पुरानी लगे।

इस लचर कहानी की पृष्ठभूमि में कार रेसिंग को डाला गया है। शायद निर्देशक ने पहले कार रेसिंग के बारे में सोचा होगा और फिर कहानी तैयार की। उसे लगा होगा कि दर्शक थिएटर में कार रेसिंग देखने आएंगे और उन्हें कहानी के नाम कुछ भी परोसा जा सकता है। जबकि दर्शक इस तरह के कार रेसिंग के दृश्य सैकड़ों बार टीवी चैनलों पर देख चुके हैं।

सिद्धार्थ आनंद की इस कहानी पर हबीब फैजल जितनी अच्छी पटकथा लिख सकते थे, उन्होंने लिखी। उनके द्वारा लिखे कई छोटे-छोटे दृश्य ऐसे हैं ‍जो दिल को छू जाते हैं। फिल्म का दूसरा उजला पक्ष कलाकारों द्वारा किया गया अभिनय है। सैफ और रानी की जोड़ी अच्छी लगती है। उनके शानदार अभिनय के कारण ही दर्शक फिल्म से जुड़ा रहता है। सैफ ने एक चैम्पियन और फिर हताश कार रेसर की भूमिका बड़े ही शानदार तरीके से निभाई है। रानी का अभिनय तो इतना नैसर्गिक है कि लगता ही नहीं कि वह अभिनय कर रही है। दोनों बच्चें एंजेलिना इदनानी और अली हाजी बड़े ही प्यारे लगे। जावेद जाफरी ने भी ओवर-एक्टिंग न करके दर्शकों पर अहसान किया।

विशाल शेखर का संगीत अच्छा है और लगभग सारे गाने देखते समय अच्छे लगते है। बिनोद प्रधान की सिनेमॉटोग्राफी और सलीम सुलेमान का बैकग्राऊण्ड म्यूजिक फिल्म को रिच लुक देता है। फिल्म की तकनीकी गुणवत्ता ऊँचे स्तर की है।

कार रेसिंग के दृश्यों पर जबरदस्त पैसा खर्च किया गया है। इसका फिल्मांकन और एक्शन जबरदस्त है। पूरी फिल्म अमेरिका में फिल्माई गई है। फिल्म एक खास संदेश भी देती है कि आदमी को जिंदगी में बचत करना चाहिए।

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