फोर्स : फिल्म समीक्षा

समय ताम्रकर
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बैनर : फॉक्स स्टार स्टुडियो, सनशाइन पिक्चर्स प्रा.लि.
निर्माता : विपुल शाह
निर्देशक : निशिकांत कामत
संगीत : हैरिस जयराज, ललित पंडित
कलाकार : जॉन अब्राहम, जेनेलिया डिसूजा, राज बब्बर, मोहनीश बहल, विद्युज जामावल, संध्या मृदुल, मुकेश ऋषि
सेंसर सर्टिफिकेट : यू/ए * 2 घंटे 15 मिनट
रेटिंग : 2.5/5

लगता है कि बॉलीवुड में सीधी-सादी कहानी लिखने वाले भी नहीं बचे हैं, इसलिए नायक प्रधान दक्षिण भारतीय फिल्मों के हिंदी रीमेक धड़ल्ले से बनाए जा रहे हैं। ‘फोर्स’ तमिल फिल्म ‘काखा काखा’ का हिंदी संस्करण है।

यह एक रूटीन एक्शन फिल्म है, जिसमें हीरो और विलेन आमने-सामने हैं। कहानी में ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं है। कुछ रीलों बाद ही समझ में आता है कि हीरो के हाथों विलेन को मरना है। दिलचस्पी इस बात में रहती है कि यह नेक काम कैसे होगा? इस सफर में कितने लोगों को कुर्बानी देनी होगी?

अच्छी बात यह है कि साधारण कहानी होने के बावजूद फिल्म बोर नहीं करती। दर्शकों की रूचि बनी रहती है और इस बात का श्रेय निर्देशक निशिकांत कामत के प्रस्तुतिकरण को दिया जाना चाहिए। निशिकांत ने दो से तीन घटनाक्रमों को समानांतर चलाया है, जिससे कई बार देख चुके दृश्यों में भी ताजगी नजर आती है।

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नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का आला अधिकारी अपने साथियों को प्लान समझा रहा है। इधर प्लान पर कैसे काम चल रहा है, ये दृश्य भी साथ-साथ चलते हैं। सभी जानते हैं कि निशिकांत की फिल्म माध्यम पर अच्छी पकड़ है, यदि वे और उम्दा स्क्रिप्ट चुनते तो फिल्म में और निखार आ जाता। वे कमर्शियल ‍फॉर्मेट में भी फिल्म बना सकते हैं ये ‘फोर्स’ के जरिये उन्होंने साबित किया।

एसीपी यशवर्धन (जॉन अब्राहम) एक बहादुर इंसान है। खतरों से खेलने का उसे शौक है। वह इस लाइन में इसलिए आया है कि यदि सभी मां-बाप अपने बच्चों को रियलिटी शो में भेजेंगे, गायक या संगीतकार बनाएंगे तो यह काम कौन करेगा?

यश किसी से कोई भी रिश्ता नहीं बनाना चाहता है क्योंकि किसी से जुड़ना उसकी कमजोरी हो जाएगी जिसका फायदा दुश्मन उठा सकता है। इसके बावजूद माया (जेनेलिया डिसूजा) धीरे-धीरे उसके दिल में अपनी जगह बना लेती है।

एक मुखबिर लगतार यश और उसके साथियों को ड्रग्स का धंधा करने वाले अपराधियों के बारे में सूचना देता रहता है और वे सबको ठिकाने लगा देते हैं। दरअसल यह विष्णु (विद्युत जामावल) नामक अपराधी की चाल रहती है। वह ड्रग के धंधे में कोई प्रतिद्वंद्विता नहीं चाहता है मुखबिर के जरिये अपने विरोधियों को निपटा देता है।

यश को जब पता चलता है कि विष्णु ने उसे मोहरा बनाया है तो वह विष्णु के पीछे लग जाता है। यश और उसके साथियों के हाथ विष्णु का भाई (मुकेश ऋषि) लग जाता है जिसे वे मार डालते हैं। अपने भाई की मौत का बदला लेने के लिए विष्णु, यश और उसके साथियों से बदला लेने के लिए उतावला हो जाता है और शुरू हो जाती है विष्णु बनाम यश की जंग जिसमें कई लोग मारे जाते हैं।

फिल्म दो ट्रेक पर चलती है, एक्शन और रोमांस। पहला हिस्सा रोमांस के नाम है तो दूसरा एक्शन के। एक्शन वाले हिस्से में रोमांस का न होना अखरता है क्योंकि इस हिस्से में फिल्म कुछ ज्यादा ही गंभीर हो गई है और फिल्म लंबी भी लगती है।

रॉ एक्शन फिल्म का प्लस पाइंट है, जो एक्शन फिल्मों को पसंद करने वालों को अच्छा लगेगा। संगीत कार हैरीस जयराज ने कुछ सुनने लायक धुनें बनाई हैं।

जॉन अब्राहम को एक्शन रोल ही करना चाहिए क्योंकि उनका चेहरा भावहीन ही रहता है और ऐसे किरदार में वे जंचते हैं। रोमांटिक सीन में वे असहज रहते हैं और उनकी इस असहजता का निर्देशक ने अच्छा उपयोग किया है।

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बबली गर्ल का रोल निभाने में जेनेलिया डिसूजा माहिर हैं यह बात फिर उन्होंने एक बार साबित की है। इंटरवल के बाद फिल्म में उन्हें ज्यादा फुटेज दिए जाने थे क्योंकि उनकी कमी अखरती है। खलनायक के रूप में विद्युत जामावल अपना असर छोड़ते हैं। उन्होंने बेहतरीन स्टंट्स भी किए हैं।

‘फोर्स’ की कहानी में कुछ नया नहीं है, लेकिन उम्दा प्रस्तुतिकरण की वजह से फिल्म में समय अच्छे से कट जाता है। एक्शन फिल्म के शौकीन भी इसे पसंद करेंगे।

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