निर्देशक ओनीर की फिल्मों की कहानी हमेशा लीक से हटकर रही है। ‘माय ब्रदर निखिल’ और ‘बस एक पल’ के बाद उनकी ताजा फिल्म ‘सॉरी भाई’ में भी उन्होंने अपनी यह परंपरा कायम रखी है।
‘सॉरी भाई’ की कहानी कुछ ज्यादा ही बोल्ड है। अपने भाई की होने वाली पत्नी यानी भाभी से प्यार करने की थीम परंपरावादी दर्शकों को शायद ही पसंद आए। यहाँ तक कि जिन लोगों की सोच आधुनिक भी है, वे भी इसे पसंद ना करें।
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सिद्धार्थ (शरमन जोशी) एक युवा वैज्ञानिक है, जो अपने बड़े भाई हर्ष (संजय सूरी) की शादी में हिस्सा लेने अपने माता-पिता के साथ मॉरीशस जाता है। हर्ष की माँ इस शादी से खुश नहीं है।
हर्ष अपने काम में बेहद व्यस्त है और अपने परिवार को बेहद कम समय दे पाता है। शादी के पहले वह आलिया (चित्रांगदा सिंह) को मॉरीशस घूमाना चाहता है। यह जिम्मा वह अपने छोटे भाई सिद्धार्थ को सौंपता है। हर्ष के इस निर्णय से आलिया अपने आपको उपेक्षित महसूस करती है।
सिद्धार्थ के साथ घूमते समय उसकी दोस्ती हो जाती है और दोनों एक-दूसरे के प्रति आकर्षित हो जाते हैं। जब सिद्धार्थ की माँ को इस बारे में पता चलता है तो परिवार में भूचाल आ जाता है।
फिल्म की थीम रोचक है, लेकिन फिल्म रोचक नहीं बन पाई। फिल्म के कुछ हिस्से ही अच्छे बन पाए हैं। शरमन और चित्रांगदा के एक-दूसरे के प्रति आकर्षित होना तथा शबाना और चित्रांगदा के बीच तनाव के दृश्य ओनीर ने अच्छे-से फिल्माए हैं।
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शरमन जोशी का अभिनय बेहतरीन है। चित्रांगदा सिंह नैसर्गिक अभिनेत्री हैं और शबाना जैसी सक्षम अभिनेत्री के सामने अपनी उपस्थिति दर्ज कराती हैं। शबाना आजमी हमेशा की तरह बेहतरीन हैं। बोमन ने उनका साथ खूब निभाया है। संजय सूरी को ज्यादा अवसर नहीं मिले।
समय बदल रहा है, लेकिन रिश्तों की बात आती है तो दर्शक परंपरावादी हो जाते हैं। ‘सॉरी भाई’ की थीम भारतीय दर्शकों के लिए कुछ ज्यादा ही बोल्ड है।