हेट स्टोरी : फिल्म समीक्षा

समय ताम्रकर
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बैनर : बीजीवी फिल्म्स
निर्माता : विक्रम भट्ट
निर्देशक : विवेक अग्निहोत्री
संगीत : हर्षित सक्सेना
कलाकार : गुलशन देवैया, पाउली दाम, निखिल द्विवेदी, मोहन कपूर
सेंसर सर्टिफिकेट : ए * अवधि : 2 घंटे 18 मिनट
रेटिंग : 1/5

विक्रम भट्ट अब तक हॉरर बेचते थे, अब उन्होंने सेक्स का सहारा लिया है। हेट स्टोरी की कहानी यही सोच कर लिखी गई है कि इसमें ज्यादा से ज्यादा सेक्स सीन हो। सेंसर बोर्ड ने कुछ काट दिए और कुछ दृश्यों को कम कर दिया।

हेट स्टोरी एक रिवेंज ड्रामा है, जिसमें फिल्म की हीरोइन अपना बदला लेने के लिए अपने जिस्म का इस्तेमाल करती है। काव्या (पाउली दाम) एक पत्रकार है जो एक सीमेंट कंपनी के खिलाफ लेख लिखती है, जिससे उस कंपनी की प्रतिष्ठा को काफी नुकसान पहुंचता है।

उस कंपनी के मालिक का बेटा सिद्धार्थ (गुलशन देवैया) इसका बदला लेने के लिए काव्या को अपने प्रेम जाल में फंसाता है। दोनों सारी हदें पार कर जाते हैं। इसके बाद सिद्धार्थ उसे छोड़ देता है क्योंकि उसने अपना बदला ले लिया है।

काव्या प्रेग्नेंट हो जाती है और यह बात सिद्धार्थ को बताती है ताकि उसकी आधी जायदाद पाकर वह बदला ले सके। सिद्धार्थ न केवल उसका बच्चा कोख में ही मार देता है बल्कि काव्या की ऐसी हालत कर देता है कि वह कभी मां नहीं बन पाए।

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इसके बाद काव्या अपने जिस्म का इस्तेमाल करती है। सिद्धार्थ की कंपनी के ऊंचे अफसरों के साथ सोती है ताकि उनसे कंपनी के राज मालूम कर सकें। नेताओं के साथ बिस्तर शेयर कर ऊंचा पद हासिल करती है और अंत में सिद्धार्थ की कंपनी को खत्म कर देती है।

फिल्म को इरोटिक थ्रिलर कहा जा रहा है, लेकिन फिल्म में कहीं भी थ्रिल नजर नहीं आता है। सारे किरदार आला दर्जे के बेवकूफ हैं। काव्या ने जिस कंपनी के खिलाफ लेख लिखा है उसी कंपनी के भ्रष्ट मालिक सिद्धार्थ को वह एक ही मुलाकात के बाद अपना दिल कैसे दे देती है? साथ ही वह उसकी कंपनी में नौकरी करने लगती है।

सिद्धार्थ भी इतना बड़ा बेवकूफ है कि काव्या से बदला लेने के लिए उसके साथ संबंध बनाता है और सावधानी नहीं बरतता। उसे प्रेग्नेंट कर देता है। काव्या यह बात बताने उसके घर पहुंच जाती है ये जानते हुए ‍भी कि वह खतरनाक इंसान है। कुछ भी कर सकता है।

काव्या के सेक्स जाल में नेता और अफसर इतनी आसान फंसते हैं और राज उगलते हैं कि हैरत होती है क्या हजारों करोड़ों रुपयों की बात करने वाले ये लोग इतने मूर्ख हैं।

बदले की कहानी का जो स्क्रीनप्ले लिखा गया है वो बेहद घटिया और सहूलियत के हिसाब से लिखा गया है। स्क्रीनप्ले की तरह निर्देशन भी कमजोर है। विवेक अग्निहोत्री अपने प्रस्तुतिकरण में वो प्रभाव पैदा नहीं कर पाए कि दर्शक काव्या की बदले की आग की आंच को महसूस कर सके। फिल्म की गति भी उन्होंने जरूरत से ज्यादा तेज रखी है जिससे फिल्म विश्वसनीय नजर नहीं आती।

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पाउली दाम अभिनय के मामले में कमजोर हैं, लेकिन बोल्ड सीन उन्होंने बिंदास तरीके से किए हैं। गुलशन देवैया का अभिनय औसत दर्जे का है और हकलाते समय उन्होंने ओवर एक्टिंग की है। निखिल द्विवेदी का किरदार नहीं भी होता तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता।

फिल्म को रिच लुक देने की कोशिश की गई है, लेकिन सी-ग्रेड कहानी, घटिया स्क्रीनप्ले, कमजोर निर्देशन और एक्टिंग की वजह से ‘हेट स्टोरी’ हेट करने के लायक ही है।

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