बुद्ध : समता के महान उपदेष्टा

Webdunia
WD

महात्मा बुद्ध ने ईसा से छः सौ वर्ष पूर्व भारत में धर्म की स्थापना की थी। महात्मा बुद्ध, धर्म का प्रवर्तन नहीं चाहते थे, बल्कि उसमें सुधार करना चाहते थे, क्योंकि वे कल्याण में विश्वास रखते थे। उनका धर्म तीन बातों की खोज में निहित है।

* प्रथम संसार में अशुभ है।
* द्वितीय इस अशुभ का कारण क्या है? उन्होंने बताया कि यह मनुष्य की दूसरों से ऊंचे चढ़ जाने की इच्छा में है। यह वह मनुष्य दोष है जिसका निवारण निस्वार्थता से किया जा सकता है।
* तीसरे इस अशुभ का इलाज निस्वार्थ बनकर किया जा सकता है।

महात्मा बुद्ध ने कहा कि कभी भी बल से किसी भी समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता है, यही आधार ही भगवान बुद्ध के धर्म का मुख्य आधार था। महात्मा बुद्ध समता के महान उपदेष्टा थे।

FILE
उनका कहना था कि आध्यात्मिकता प्राप्त करने का अधिकार प्रत्येक स्त्री-पुरुष को है। मानव की समता उनके महान संदेशों में से एक है।

उनका धर्म सिद्धांत यह था कि मनुष्य दुख इसलिए भोगता है कि वह मात्र स्वार्थी है। भगवान बुद्ध ने कहा है कि समस्त प्राणियों के कर्म दस बुराइयों में ही निहित हैं। अगर इनसे बचा जाए तो सब कुछ ठीक हो जाएगा।

हत्या, चोरी तथा व्यभिचार ये तीनों बुराइयां शरीर की बुराइयां हैं। झूठ बोलना, गाली देना, बकवास करना तथा निंदा करना ये चार बुराइयां जीवन की हैं। लालच, द्वेष तथा त्रुटि ये तीन मन की बुराइयां हैं। अगर इन दसों बुराइयों से मनुष्य बच जाए तो वह सर्वश्रेष्ठ मनुष्य हो जाता है।

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

दुनिया में कितने मुस्लिम इस्लाम धर्म छोड़ रहे हैं?

ज्येष्ठ माह के 4 खास उपाय और उनके फायदे

नास्त्रेदमस ने हिंदू धर्म के बारे में क्या भविष्यवाणी की थी?

भारत ने 7 जून तक नहीं किया पाकिस्तान का पूरा इलाज तो बढ़ सकती है मुश्‍किलें

क्या जून में भारत पर हमला करेगा पाकिस्तान, क्या कहते हैं ग्रह नक्षत्र

सभी देखें

धर्म संसार

31 मई, महीने के आखिरी दिन का दैनिक राशिफल, जानें क्या लिखा है 12 राशियों के नसीब में

31 मई 2025 : आपका जन्मदिन

31 मई 2025, शनिवार के शुभ मुहूर्त

शुक्र का मेष राशि में गोचर, जानिए 4 राशियों का राशिफल

Aaj Ka Rashifal: जानें 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा 30 मई का दिन (पढ़ें अपनी राशि)