759 साल बाद मठ में लौटे लामा

- दीपक रस्तोगी

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बोस्टन के सेंट पीटर्स स्कूल का 11 साल का छात्र जिग्मे वांग्चुक अब से दार्जीलिंग में रहेगा। 10 साल की उसकी छोटी बहन ताशी नोरजुम को दार्जीलिंग के एक स्कूल में भर्ती कराया गया है। जिग्मे वांग्चुक के माता-पिता भी अब बोस्टन छोड़कर दार्जीलिंग चले आए हैं।

यह किसी प्रवासी भारतीय परिवार के घर वापसी की कहानी नहीं है बल्कि यह बौद्ध धर्म में द्रुक्पा संप्रदाय के एक लामा के घर लौटने की कहानी जरूर है। बौद्ध धर्म का यह लामा 759 साल बाद अपने मठ में लौटा है। दार्जीलिंग में तिब्बती द्रुक्पा समुदाय की आस्था के केंद्र इस मठ में मुख्य लामा रहे ग्यालवा लोरेपा का अवतार घोषित कर 28 अक्टूबर को जिग्मे वांग्चुक को दीक्षा दी गई । 1250 में ग्यालवा लोरेपा का निधन हो गया था। अब उनका अवतार बालक वांग्चुक द्रुक्पा संप्रदाय का मुख्य महंत है। यह संप्रदाय बौद्ध धर्म की काग्यु धारा को मानता है।

तिब्बती बौद्धों में धार्मिक शिक्षा की चार धाराएँ हैं, जिसमें काग्यु एक है। बौद्धों के सबसे बड़े आध्यात्मिक नेता दलाई लामा गेलुग्पा संप्रदाय से आते हैं। हालाँकि, उन्हें निर्विवादित रूप से आध्यात्मिक और राजनीतिक नेता माना गया है। दलाई लामा को गेलुग्पा संप्रदाय में मुख्य लामा का 14वाँ अवतार माना गया है। दार्जीलिंग में दीक्षित हुआ बालक दूसरा अवतार बताया जा रहा है। इस संप्रदाय को मानने वाले बौद्ध मुख्य रूप से लद्दाख, नेपाल और भूटान में फैले हुए हैं।

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अब बोस्टन के सेंट पीटर्स स्कूल में पाँचवीं के इस छात्र को इस जिंदगी के बाकी दिन यहीं बिताने पड़ेंगे। एक दशक तक प्रशिक्षण चलेगा। तब तक ई-मेल के जरिए वह अपने दोस्तों समेत बाहरी दुनिया के संपर्क में रह सकेगा। यह लामा फेसबुक पर भी उपलब्ध है।

बौद्ध मठ में दीक्षा ग्रहण करने के बाद थोड़ा समय पाने पर चार नवंबर को इस लामा ने आखिरी पोस्ट भेजी है, जिसमें लिखा है- 'मैं बोस्टन में पैदा हुआ। हम मेडफर्ड में रहते थे। 10 साल की उम्र में मैंने पाया कि मैं लोरपा का अवतार हूँ। 10 अप्रैल, 2009 को नेपाल में मुझे अवतार घोषित किया गया ।' उसकी चाची टेशेन लिखती हैं, 'मेरा रिनपोछे अप्रैल 2009 तक आम बालक था। वह वीडियो गेम खेलता था और बॉस्केटबॉल पसंद करता था ।'

उसकी बहन ताशी नोरजुम, माँ देचेन और व्यापारी पिता चोसंग दार्जीलिंग चले आए हैं ताकि लामा के अवतार को परिवार की कमी न खले। देचेन ने बेटे के लामा घोषित होने पर कहा कि रिनपोछे होना फख्र की बात है। उसे पूर्व जन्म की‍ जिम्मेदारियाँ पूरी करने का काम मिला, हम इससे बहुत खुश है।

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