बुद्ध के अमृत वचन

अपना उद्धार अपने हाथ में

Webdunia
ND

कुमार कश्यप ने सयाने होकर बौद्ध धर्म की दीक्षा ली। उन्हें अर्हत्व मिल गया। उनकी मां ने उन्हें 12 बरस से नहीं देखा था। एक दिन भिक्षा के लिए वे उसके पास पहुंच गए। मां भी दीक्षा ले चुकी थीं, फिर भी उनके स्तनों से दूध की धारा बह उठी। उसने कश्यप को पकड़ लिया।

' छिःछिः यह क्या कर रही हो? दीक्षा लिए तुम्हें इतने दिन हो गए, तुम स्नेह का बंधन भी नहीं तोड़ सकीं!'

मां को बोध हुआ। मोह छूटा। वे अर्हत्व पा गईं।

एक दिन प्रसंग उठने पर उनका उदाहरण देते हुए भगवान बुद्ध ने कहा -

अत्ता हि अत्तनो नाथो को हि नाथो परी सिया
अत्तना हि सुदन्तेन नाथं लभति दुल्लभं॥

मनुष्य स्वयं ही अपना स्वामी है। भला दूसरा कोई उसका स्वामी कैसे हो सकता है? मनुष्य अपने आप ही अच्छी तरह से अपना दमन करके दुर्लभ स्वामित्व को, निर्वाण को प्राप्त कर सकता है।

अत्ता हि अत्तनो नाथो अत्ता हि अत्तनो गति।
तस्मा संज्जम'त्तानं अस्सं भद्र व वाणिजो॥

बुद्ध कहते हैं मनुष्य स्वयं ही अपना स्वामी है। स्वयं ही वह अपनी गति है। इसलिए तुम अपने आपको संयम में रखो, जैसे बनिया अपने सधे हुए घोड़े को अपने वश में रखता है।
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

सावन मास के दौरान सपने में शिवजी या सांप दिखाई दे तो क्या होता है?

त्रिसंध्या क्या होती है, कैसे करते हैं इसे?

सावन सोमवार में भगवान शिवजी की 3 प्रकार से करें पूजा, फिर देखें चमत्कार

सूर्य का कर्क राशि में गोचर चमकाएगा इन 5 राशियों की किस्मत

सावन में सातमुखी रुद्राक्ष धारण करने से मिलते हैं चमत्कारी परिणाम, खुल जाएंगे धन और ऐश्वर्य के द्वार

सभी देखें

धर्म संसार

गुरु हर किशन जयंती, जानें इस महान सिख धर्मगुरु के बारे में 6 अनसुनी बातें

Aaj Ka Rashifal: आज किन राशियों के जीवन में होंगे अचानक खास बदलाव, पढ़ें 16 जुलाई का ताजा राशिफल

सावन के व्रत में साबूदाना खिचड़ी की जगह रोज खा सकते हैं ये डिश, टेस्ट के साथ मिलेगा हेल्थ बेनिफिट भी

16 जुलाई 2025 : आपका जन्मदिन

क्या है नंदी मुद्रा जिसमें महिलाओं को करनी चाहिए शिवलिंग पूजा