बौद्ध स्तूप प्रतीक

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धर्मचक्र :
यह धर्मचक्र बौद्ध धर्म के नियम, जन्म और पुनर्जन्म की निरंतरता का प्रतीक होता है। ये गोल आकार के होते हैं जिनमें चार ताड़ियाँ होती हैं। ताड़ियाँ चार जिनों या बुद्ध के जीवन के चार निर्णायक क्षणों को इंगित करती हैं।

अगर आठ ताड़ियाँ होंतो ये 'अष्टांगिक मार्ग' को दर्शाती हैं। सम्राट अशोक का धर्मचक्र बहुत प्रसिद्ध है लेकिन इसके पहले भी भारतीय कला में इसका इस्तेमाल किया जाता रहा है। सामान्यतः चक्र को चार दिशाओं की ओर मुख किए हुए सिंहों के ऊपर बनाया जाता है।

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पारंपरिक घंटी :
घंटियाँ आठ, बारह, सोलह, अठारह या बाईस अंगुल की ऊँचाई वाली हो सकती हैं। इनका आकार नीचे से गोल होता है और उसके ऊपर देवी प्रजनापरामिता का चेहरा बना होता है। सबसे ऊपर कमल, चाँद और वज्र बने होते हैं। वज्र के साथ इस्तेमाल करने पर घंटी ज्ञान को इंगित करती है।

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वज्र :
वज्र में नौ, पाँच या तीन ताड़ियाँ होती हैं। शांतिमय वज्र के छोर पर ताड़ियाँ आपस में मिली हुई होती हैं जबकि हिंसक वज्र के छोर थोड़े फैले हुए होते हैं।
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