'बजट' की छपाई कितनी गोपनीय

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बजट एक नितांत गोपनीय दस्तावेज है। इसे तैयार करने से लेकर इसकी छपाई तक की पूरी प्रक्रिया अत्यंत गोपनीय रखी जाती है। नार्थ ब्लॉक में स्थित वित्त मंत्रालय कार्यालय की चाहरदीवारी के भीतर बजट की छपाई का काम सम्पन्न होता है।

जिस दिन संसद में बजट पेश होना होता है, उससे छह दिन पूर्व इस गोपनीय दस्तावेज की छपाई प्रारंभ होती है। भारत सरकार के इस छापाखाने के सारे कर्मचारियों को छह दिनों के लिए नार्थ ब्लॉक की चाहरदीवारी के भीतर एक तरह से कैद करके रखा जाता है।

इस दौरान कोई भी व्यक्ति न तो छापाखाने के बाहर जा सकता है और न ही कोई बाहरी व्यक्ति भीतर आ सकता है। अंतिम समय में बजट दस्तावेजों के भीतर किए जाने वाले परिवर्तनों के लिए सीधे वित्तमंत्री के निर्देश की जरूरत होती है।

शुरू में राष्ट्रपति भवन के छापाखाने में बजट समेत सभी गोपनीय सरकारी दस्तावेजों की छपाई होती थी, लेकिन 1950 में बजट के कुछ प्रावधानों की गोपनीयता भंग हो जाने के कारण सरकार ने इस छपाई स्थल को बदल दिया और यह काम मिन्टो रोड स्थित सरकारी सुरक्षा प्रेस में होने लगा।

केवल वित्तमंत्री का बजट भाषण नार्थ ब्लॉक के छापाखाने में छपता था, लेकिन बजट दस्तावेजों की गोपनीयता अति संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए 1980 में वित्त मंत्रालय ने अपने खुद के छापाखाने में ही पूरे बजट दस्तावेजों की छपाई करने का निर्णय लिया।

तब से पुनः नार्थ ब्लॉक में ही बजट की छपाई होने लगी है। बजट दस्तावेजों की प्रतिवर्ष करीब 20 हजार कॉपियाँ प्रकाशित होती हैं, जिन्हें सांसदों, पत्रकारों और कुछ अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों को बजट पेश होते समय वितरित किया जाता है।

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