अरुण जेटली पर होगा बजट की उम्मीदों का दबाव

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नई दिल्ली। उद्योग संगठन एसोचैम का कहना है कि पूरा अर्थ जगत आगामी बजट से काफी उम्मीदें लगाए बैठा है इसलिए वित्तमंत्री अरुण जेटली को नोटबंदी के मद्देनजर हर वर्ग को खुश कर पाना चुनौतीपूर्ण काम होगा।
उद्योग संगठन ने बजट से पूर्व जारी एक बयान में कहा है कि नोटबंदी के बावजूद भले ही कर राजस्व बढ़ा है, लेकिन सरकार के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती उपभोक्ता मांग को दोबारा पटरी पर लाना और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने की है। महंगाई दर भले ही कम हो गई है, लेकिन इसका कारण नकदी की किल्लत और अति आपूर्ति है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी का अधिक दबाव पड़ा है, इसी वजह से सरकार को इस क्षेत्र में सबसे अधिक ध्यान देने की जरुरत है। 
 
एसोचैम का कहना है कि व्यक्तिगत करदाता तथा कॉर्पोरेट करदाता दोनों आगामी बजट से कर दर कम करने की उम्मीद पाले हुए हैं। व्यक्तिगत कर भुगतान करने वाले बड़ी छूट का इंतजार कर रहे हैं। 
 
इसके अलावा वस्तु एवं सेवा कर कानून को आगामी जुलाई से लागू करने पर बनी सहमति के कारण कुल कर राजस्व को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है जबकि केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया है कि वह इससे राज्यों के कर राजस्व में होने वाले घाटे की भरपाई करेगी। 
  
डिजिटल क्षेत्र को भी बजट से उम्मीद है कि इंटरनेट और ब्रांडब्रैंड के विस्तार तथा अन्य दूरसंचार संबंधी बुनियादी ढांचे में निवेश को इससे बढ़ावा मिलेगा। व्यापारी तथा प्रौद्योगिकी आधारित फर्म भी बजट में अपने अनुकूल बड़ी घोषणाओं की प्रतीक्षा कर रहे हैं। 
        
एसोचैम के अनुसार, अच्छे मानूसन तथा सर्दी के मौसम में समय पर हुई बारिश से कृषि उत्पाद में वृद्धि की संभावना है जिससे कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन अच्छा रहेगा लेकिन औद्योगिक उत्पादन और सेवा क्षेत्र ठहराव के दौर में है। 
 
कर दर में कटौती से बदलाव तो होगा, लेकिन इससे मांग को दोबारा बनाने में अधिक मदद नहीं मिलेगी। गैर निष्पादित परिसंपत्तियों के बढ़ते बोझ और जांच एजेंसियों की चौकस नजरों से जूझ रहे बैंक ॠण देने में सावधानी बरतेंगे, जबकि पूरी बैंक प्रणाली में अत्यधिक तरलता है।  
       
एसोचैम ने कहा कि जिस तरह से सभी की उम्मीदें बढ़ रही हैं खासकर शेयर बाजार की, उससे वित्तमंत्री पर दबाव रहेगा, क्योंकि विभिन्न क्षेत्रों की इन परस्पर विरोधी मांगों को पूरा करना एक चुनौतीपूर्ण काम है। (वार्ता)
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