आतंकी शक्तियों को हराने के लिए अन्य देशों के साथ है भारत : प्रणब मुखर्जी

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नई दिल्ली। देश के सामने पिछले चार दशकों से बनी हुई आतंकवाद की गंभीर चुनौती का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को कहा कि हमारा देश आतंकी शक्तियों के उन्मूलन के लिए अन्य देशों के साथ मिलकर सक्रियता से काम कर रहा है। 
 
बजट सत्र के पहले दिन संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र में अपने अभिभाषण में राष्ट्रपति ने कहा, मेरी सरकार आतंकवाद का उन्मूलन करने के लिए और यह सुनिश्चित करने के लिए कृतसंकल्प है कि इन अपराधियों को कानून के दायरे में लाया जाएगा। उन्होंने पिछले साल सितंबर में हुई सर्जिकल स्ट्राइक का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार ने भारत की क्षेत्रीय संप्रभुता का बार-बार उल्लंघन किए जाने का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए निर्णायक कदम उठाए हैं। 
 
मुखर्जी ने कहा, क्षेत्रीय संप्रभुता का बार-बार उल्लंघन किए जाने का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए मेरी सरकार ने निर्णायक कदम उठाए हैं। आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ रोकने के लिए 29 सितंबर 2016 को हमारे रक्षाबलों ने नियंत्रण रेखा पर अनेक लांच पैड पर सफलतापूर्वक स्ट्राइक की। हमारे रक्षाकर्मियों के इस अदम्य साहस और पराक्रम पर हमें गर्व हैं और हम उनके प्रति कृतज्ञ और ॠणी हैं। उन्होंने आतंकवाद के लिए धन उपलब्धता समेत अन्य सुरक्षा संबंधी खतरों से निपटने के लिए नोटबंदी के फैसले का जिक्र किया।
 
उन्होंने कहा, भारत पिछले चार दशकों से आतंकवाद की अति गंभीर समस्या का सामना कर रहा है। भारत इन शक्तियों के उन्मूलन के लिए अन्य देशों के साथ मिलकर सक्रियता से काम कर रहा है। मेरी सरकार आतंकवाद का उन्मूलन करने के लिए और यह सुनिश्चित करने के लिए कृतसंकल्प है कि इन अपराधियों को कानून के दायरे में लाया जाएगा। 
 
राष्ट्रपति ने कहा कि जम्मू कश्मीर राज्य सीमा पार से प्रायोजित और समर्थित आतंकवाद से प्रभावित रहा है। घुसपैठ की कोशिशें, आतंकवादी घटनाएं और हमारे नागरिक तथा वीर सुरक्षाकर्मियों के अमूल्य जीवन की क्षति हमारे लिए गंभीर चिंता का विषय है। 
 
उन्होंने वामपंथी उग्रवाद की भी बात की और कहा कि पिछले तीन साल में इस समस्या को नियंत्रित करने में काफी हद तक सफलता मिली है। इस अवधि में 2600 से अधिक उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों की सुरक्षा स्थिति में उल्लेखनीय सुधार दिखाई पड़ रहा है।
 
मुखर्जी ने सरकार द्वारा पूर्व सैनिकों की वन रैंक वन पेंशन की मांग को पूरा किए जाने का उल्लेख करते हुए कहा, पूर्व सैनिकों की ‘एक रैंक एक पेंशन’ की चार दशक पुरानी मांग पूरी की गई है। इस पर लगभग 11 हजार करोड़ रुपए का कुल वित्तीय भार आएगा। 19.6 लाख से अधिक पूर्व सैनिकों को लाभ पहुंचाते हुए 6200 करोड़ रुपए से अधिक की दो किस्तें जारी की गई  हैं। (भाषा) 
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