इंजीनियरिंग, डॉक्टरी के बाद प्रशासनिक सेवा?

Webdunia
सोमवार, 2 जुलाई 2012 (13:13 IST)
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युवा इंजीनियरिंग और डॉक्टरी पढ़ाई के बाद प्रशासकीय सेवाओं को करियर के तौर पर चुन रहे हैं। गत वर्षों के यूपीएससी और पीएससी के सफलता प्राप्त प्रतिभागियों में कई डॉक्टर और इंजीनियर्स शामिल रहे हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार पिछली यूपीएससी में सफल होने वाले प्रथम 10 प्रतिभागियों में से 6 इंजीनियर और डॉक्टर्स हैं। प्रोफेशन पढ़ाई करने के बाद भी युवा प्रशासनिक सेवा को करियर के रूप में चुनते हैं।

क्या यह उचित है कि डॉक्टर और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद प्रशासनिक सेवाओं को चुना जाए?

कुछ शिक्षाविद इसे नकारात्मक मानते हैं। उनका मानना है कि इंजीनियर और डॉक्टरों को अपने प्रोफेशन में ही लोगों की सेवा करनी चाहिए, उन्हें प्रशासकीय सेवाओं में नहीं आना चाहिए। उनके ज्ञान का सही उपयोग उनके प्रोफेशन में हो सकेगा।

उन्हें डॉक्टरी इंजीनियरिंग में विशेषज्ञता प्राप्त है, इसलिए वे सही तरीके अपनी और देश के उन्नति में अपना सहयोग दे सकेंगे। डॉक्टर इंजीनियर बनने के लिए भी उन्होंने पढ़ाई पर खुद का और सरकार का पैसा खर्च किया होगा। डॉक्टर और इंजीनियर को अपने क्षेत्र को ही करियर के रूप में चुनना चाहिए।

करियर काउंसलर्स के अनुसार विकसित देशों में ऐसा नहीं होता। डॉक्टर और इंजीनियरिंग पढ़कर आने वाले युवाओं के प्रशासकीय सेवा में आने से सेवाएं प्रभावित होती हैं। ऐसे युवा मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में सीट हासिल कर लेते हैं जिससे अन्य प्रतिभागियों को मौका नहीं मिलता।

ऐसे युवा प्रशासकीय सेवाओं में भी खाली पदों को प्राप्त कर लेते हैं। दो क्षेत्रों में जाने से अन्य योग्य उम्मीदवार ऐसे क्षेत्रों से वंचित रह जाते हैं। डॉक्टर और इंजीनियर बनने के बाद जो क्षेत्र बदलते हैं, उन पर क्षेत्र न बदलने का दबाव बनाया जाना चाहिए।

कई शिक्षाविद्‍ इस सकारात्मक मानते हैं। उनका कहना है कि प्रोफेशन डिग्री हासिल कर चुके युवाओं का आईक्यू लेवल काफी ऊंचा रहता है। ऐसे युवा श्रेष्ठ प्रशासकीय अधिकारी बन सकते हैं। डॉक्टरी और इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके युवाओं में सोचने, समझने और त्वरित निर्णय लेने की क्षमता होती है। डॉक्टर और इंजीनियर की पढ़ाई पर भले उनका समय, धन और श्रम तीनों खर्च हुआ हो, उन्हें इन सेवाओं में अपना योगदान देना चाहिए।

अफसरी की चाहत इन युवाओं को प्रशासनिक सेवाओं की ओर आकर्षित करती है। युवा अपने करियर के प्रति सजग रहकर पहले प्रोफेशनल डिग्री हासिल कर लेते हैं, फिर प्रशासनिक सेवाओं की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियां करते हैं।

पिछले दस वर्षों में देखा जाए तो प्रशासनिक सेवाओं की प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने वालों में प्रोफेशनल डिग्री धारकों की संख्या अधिक है।

वर्तमान की परीक्षा प्रणाली भी टेक्नीकल कोर्सेस, सिलेबस और सिस्टम को सपोर्ट करती है। प्रोफेशन डिग्री प्राप्त कर प्रशासनिक सेवाओं में जाना कोई हर्ज नहीं है, लेकिन आदर्श स्थितियों में डिग्री धारक युवाओं अपने क्षेत्र में ही लोगों की सेवा करनी चाहिए।

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