अपना रोल मॉडल चुनें और फिर खुद रोल मॉडल बनें

Webdunia
जिंदगी में हम क्या बनते हैं, इसका इस बात से बहुत गहरा ताल्लुक होता है कि हम सचमुच क्या बनना चाहते हैं। और हम सचमुच क्या बनना चाहते हैं, इसका गहरा ताल्लुक इस बात से होता है कि हमने अपनी जिंदगी के लिए किसे अपना रोल मॉडल बनाया है।

FILE
मध्यप्रदेश के ऐसे विद्यार्थियों पर एक शोध किया, जिनमें से ज्यादातर की पृष्ठभूमि गांव और कस्बों की थी। उनसे जो दो महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे गए थे, उनमें से पहला प्रश्न यह था कि वे क्या बनना चाहते हैं तथा दूसरा प्रश्न था कि वे किसे अपना आदर्श मानते हैं।

पहले प्रश्न के जवाब में ज्यादातर युवाओं ने अधिकारी बनने की बात लिखी थी तो किसी ने बड़ा अधिकारी बनने की बात। ऐसा शायद उन्होंने इसलिए लिखा था, क्योंकि हमारी कस्बाई मानसिकता अभी भी सामंतवादी सोच से उबर नहीं पाई है। सरकारी अधिकारी का दबदबा हमारे दिमाग में अभी तक ठीक उसी प्रकार बना हुआ है, जिस प्रकार से हम भारतीयों के दिमाग में अग्रेजी भाषा का दबदबा बना हुआ है।

इस सर्वे के दौरान अधिकांश लोगों ने ने अपना आदर्श अपने पिता को बताया था। उसमें एक प्रश्न यह था कि आपके पिता क्या करते हैं। इनमें से ज्यादातर के पिता किसान थे या छोटे व्यापारी थे, मजदूर थे या दफ्तरों में काम करने वाले छोटे कर्मचारी थे। मजदूर, किसान और छोटे कर्मचारी उतने ही सम्माननीय हैं, जितना सम्माननीय कोई भी बड़ा अधिकारी, मैनेजर और उद्योगपति हो सकता है। फिर जब बात पिता की आती है, तब न तो वह मजदूर रह जाता है और न मालिक। पिता तो केवल पिता ही होता है।

यहां हम सबके लिए सोचने और समझने की बात यह है कि हम जो बनना चाहते हैं, और वह बनने के लिए हमने जो अपना रोल मॉडल चुना है, क्या वे दोनों एक-दूसरे से मैच करते हैं? देखिए, बात सीधी-सी है कि यदि आपको हिन्दुस्तान से अमेरिका जाना है तो दुनिया की दाहिनी दिशा की ओर यात्रा करनी होगी। ऐसा नहीं हो सकता कि आप पहुंचना चाहते हैं चन्द्रमा पर और उसके लिए छलांग लगा दें हिन्द महासागर में। यदि आपने मंजिल का निर्धारण कर लिया है और आपकी दिशा सही नहीं है तो आपकी मंजिल भी सही नहीं है। या तो मंजिल के अनुसार दिशा को चुनिए या फिर यदि आपने दिशा चुन ली है, तो वह जहां पहुंचा दे उसे ही अपनी मंजिल समझिए।

दरअसल होता यह है कि हमारे रोल मॉडल हमारे लिए 'लाइट हाउस' का काम नहीं करते। वे न तो उनमें ईंधन भरते हैं और न ही उनके लिए आश्रय स्थल बनते हैं। वे तो केवल गहरी अधेरी रात में अपनी टिमटिमाहट से उन्हें यह बताते रहते हैं कि सही रास्ता उधर है, ताकि उस सुनसान सागर में वे स्टीमर भटक न जाएं। यह पक्का जानिए कि यदि लाइट हाउस की तारों की तरह चमचमाने वाली वह हल्की-सी रोशनी किसी वजह से बुझ जाए, तो स्टीमर अपने गंतव्य तक पहुंच नहीं सकेंगे।

अपनी जिंदगी के लिए एक रोल मॉडल चुनिए और याद रखिए वह रोल मॉडल आदर्श और चुनौतियों से भरा मॉडल हो। यदि आपका मॉडल आपके सपनों के अनुसार हुआ तो एक दिन ऐसा आएगा, जब आप खुद दूसरों के लिए रोल मॉडल बन जाएंगे।

Show comments

जरूर पढ़ें

प्रधानमंत्री मोदी ने शरद पवार को सीट पर बैठाया, पानी भी पिलाया, लोगों ने बजाईं तालियां

क्या फडणवीस से नाराज हैं एकनाथ शिंदे? क्यों कहा- मुझे हल्के में मत लेना

बाबा के बुल्डोजर का खौफ, मुस्लिमों ने खुद गिराई 1857 में बनी ब्रिटिशकालीन मस्जिद

इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू बुरी तरह भड़के, कहा- हमास से लेंगे बदला

यूपी होमगार्ड का कितना है वेतन, 44000 से ज्यादा पद खाली

सभी देखें

नवीनतम

क्या है माइक्रो-रिटायरमेंट, क्यों बन रहा है जेन Z की नई पसंद

NTA ने किया JEE Main 2025 के रिजल्ट्स का ऐलान, 14 कैंडिडेट्स को 100 परसेंटाइल

Petrol Diesel Price: सप्ताह के प्रथम दिन पेट्रोल और डीजल के ताजा दाम जारी, जानें कीमतें

UGC ने भर्ती और पदोन्नति संबंधी मसौदा नियमों पर प्रतिक्रिया प्राप्त करने की समय सीमा बढ़ाई

NEET UG परीक्षा का पैटर्न बदला, NTA ने जारी किया नोटिस, जानिए क्‍या हुआ बदलाव