गुरुमंत्र : छोड़ो भी मौके का इंतजार करना

अनुराग तागड़े

Webdunia
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जितने भी सफल व्यक्तित्व हैं वे यह कभी नहीं कहेंगे कि उन्होंने मौके को भुनाया या मौका आते ही वे सफल हो गए। पर ऐसे लोगों की संख्या काफी ज्यादा होती है जो यह कहते फिरते हैं कि जिंदगी ने उन्हें मौका ही नहीं दिया वरना वे ऐसा काम करते की दुनिया देखती ।

यह कहना काफी आसान है कि जिंदगी ने मौके नहीं दिए व्यक्ति स्वयं अपने आप को नहीं देखता और न ही अपने आप से प्रश्न करता है कि आखिर उसने मौके का इंतजार क्यों किया?

मौका ऐसे नहीं आता और न ही मौके को लेकर इंतजार किया जाना ठीक है। मौका आ भी गया तब कब कैसे आगे बढ़े इसका ज्ञान भी होना जरूरी है। एक युवा साथी थे जो स्नातक थे। उनकी इच्छा थी कि प्रतियोगी परीक्षा पास कर सरकारी नौकरी प्राप्त की जाए।

इसके लिए वे मेहनत करने को भी तैयार थे और इस संबंध में उन्होंने अपनी इच्छा घरवालों को भी बता दी थी। इस बारे में दोस्तों से भी राय ली गई और सभी ने अपनी ओर से मदद करने की बात भी कही। अब ये इंतजार में थे कि कब किसी प्रतियोगी परीक्षा का विज्ञापन आए और वे परीक्षा का फार्म भरें। जैसे ही अखबारों में विज्ञापन आता सभी उन्हें कहते कि देखो विज्ञापन आ गया है फार्म भर दो और पढ़ाई की तैयारी करो। पर ये विज्ञापन देखते और कहते कि यह पद मेरे लायक नहीं है मैं और बड़े पद के लिए तैयारी करना चाहता हूं।

इस कारण वे फार्म ही नहीं भरते थे। काफी समय व्यतीत हो गया और अब घरवालों को भी चिंता होने लगी कि आखिर यह करना क्या चाहता है? इसी बीच कई दोस्तों को भी नौकरी लगना आरंभ हो गई पर ये सभी से कहते थे कि देखना मैं एक दिन काफी बड़ा आदमी बनूंगा। एक दिन वह विज्ञापन भी आ गया जिसके सपने ये देखा करते थे। बड़े जोश खरोश के साथ फार्म भरा गया और तैयारी आरंभ हुई।

दरअसल उस विज्ञापन में जिन पदों के लिए आवेदन मंगवाए गए थे वे अखिल भारतीय स्तर पर मंगवाए गए थे और पदों की संख्या काफी कम थी। परीक्षा का दिन आया और परीक्षा देने के बाद युवा साथी मायूस हो गए क्योंकि वे जिस प्रकार से तैयारी कर रहे थे परीक्षा उससे कहीं ज्यादा ऊंचे स्तर की थी। इतना होने के बावजूद उन्होंने ऊंचे पद पर जाने के लिए मौका आने का ही इंतजार करना ठीक समझा। सभी ने समझाया कि अभी नौकरी कर लो और साथ में तैयारी करना पर वे माने नहीं।

बड़े पदों के इंतजार में उनकी उम्र बढ़ती ही गई और आखिरकार उन्हें परिस्थितियों से समझौता कर छोटी मोटी नौकरी करना पड़ी। उन्हें यह समझ में आ गया कि मौके का इंतजार करना ठीक नहीं बल्कि जिंदगी में प्रतिदिन ही व्यक्ति के सामने मौके आते हैं और उन्हें ठीक तरह से समझने में उनसे चूक हो गई थी। दोस्तों मौके कहकर कभी भी नहीं आते और इन मौके के इंतजार में वर्तमान खराब करना बिलकुल भी सही निर्णय नहीं हैं।

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