अपने काम से करें प्यार, तभी होगा बेड़ा पार

Webdunia
गुरुवार, 10 मई 2012 (09:57 IST)
अगर आप नौकरी की तलाश में हैं या फिर अपने वर्तामान जॉब से खुश नहीं हैं और नौकरी बदलाना चाहते हैं तो यह आलेख आपके लिए ही है। अगर आप नौकरी की तलाश में हैं तो परेशानी महसूस कर रहे होंगे। लेकिन नौकरी में तनाव महसूस करने का बड़ा कारण यह है कि लोग अपने काम से प्यार नहीं करते, बल्कि 'सिर्फ करना है' की तर्ज पर जैसे-तैसे उसे निपटाते हैं।

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आज कई ऐसे लोग हैं, जो अपनी वर्तमान नौकरी से खुश नहीं हैं और कोई दूसरी नौकरी चाहते हैं। इस वजह से वे भी परेशानी में नजर आते हैं। दूसरी तरफ ऐसे युवा भी बहुत हैं, जो अपने लिए पहली नौकरी की तलाश कर रहे हैं। इस तलाश के दौरान तो ऐसा लगता है कि यदि एक बार रोजगार मिल जाए तो जिंदगी जन्नत में तब्दील हो जाएगी और सारी परेशानियों का अंत हो जाएगा। लेकिन जैसे ही कोई नौकरी में आता है, उसे लगता है कि वहां से तो एक नई परेशानी शुरू हो गई है।

इसके बाद वह फिर इस नौकरी में रहते हुए किसी दूसरी नौकरी की तलाश शुरू कर देता है। जब उसे दूसरी नौकरी मिल जाती है, तो यहां भी उसकी हालत पहले जैसे ही हो जाती है। इसके फलस्वरूप वह तीसरी नौकरी की खोज करने लगता है। और यह सिलसिला चलता रहता है।

इसका एक दूसरा पक्ष यह है कि जो लोग नौकरी में हैं, वे यही सोचते हैं कि नौकरी बदल देने से समस्या समाप्त हो जाएगी। यदि स्थान बदल जाए, तो समस्या समाप्त हो जाएगी। यदि इस डिपार्टमेंट से हम उस डिपार्टमेंट में चले जाएं, तो वहां समस्या नहीं रहेगी।

लेकिन दुर्भाग्य यह है कि जब उनका स्थान बदला जाता है और उनका विभाग बदला जाता है, तब भी समस्या ज्यों की त्यों रहती है। हां, उसके स्वरूप में 19-20 का फर्क भले ही आ जाता है। लेकिन जिंदगी जीने के तौर-तरीकों में इससे कोई ज्यादा फर्क नहीं आता।

इस बात का सार यह है कि हमारी समस्याएं कहीं बाहर नहीं होतीं, वे हमारे अंदर ही होती हैं। सच तो यह है कि हम ही वे समस्याएं होते हैं और चूंकि हम जहां जाते हैं वहां खुद को ही लेकर जाते हैं, इसलिए हमारे साथ वे समस्याएं भी वहां पहुंच जाती हैं। ये समाप्त नहीं होतीं। ये बनी रहती हैं और इस प्रकार हमारे जीवन में लगातार हस्तक्षेप करते हुए हमारे अच्छे-खासे जीवन को प्रभावित करती हैं।

सोचिए कि आखिर ऐसा क्यों होता है? यह कोई बहुत बड़ी अर्थशास्त्रीय समस्या नहीं है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम किसी भी नौकरी में जाने से पहले उस नौकरी के बारे में अपने दिमाग में एक 'इमेज' बना लेते हैं। हम स्वप्न के स्तर पर नौकरी को जीने लगते हैं। जब नौकरी को जागकर जीने की स्थिति आती है, तब उसका तालमेल हमारे स्वप्न की नौकरी से नहीं बैठ पाता। इसलिए सलाह यही है कि अपने नौकरी में मन लगाएं और हर काम को अपना सर्वश्रेष्ठ दें। फिर देखिए कैसे सारी समस्याएं आसान होती हैं और आपका पूरा तनाव भी जाता रहेगा। तो अपने काम से कीजिए प्यार या फिर वह काम कीजिए, जिसे आप प्यार करते हैं।

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