- मोनिका पाण्डेय
आपने भी 10वीं के एग्जाम के बाद कॉमर्स स्ट्रीम का चयन किया है और आप अपने आगे की पढ़ाई को भी इसी स्ट्रीम में जारी रखना चाहते हैं तो आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताने वाले हैं कॉमर्स स्ट्रीम में करियर के स्कोप के बारे में।
बात कॉमर्स की करें तो कॉमर्स के छात्रों के पास करियर ऑप्शन की कमी नहीं है, लेकिन जरूरी हैं कि आप अपने इंट्रेस्ट के सब्जेक्ट का ही चयन करें। इससे आप पढ़ाई और जॉब दोनों में ही अपना बेस्ट दे पाएंगे।
चार्टर्ड अकाउंटेंट :
चार्टर्ड एकाउंटेंसी यानी सीए एक कोर्स है जिसके जरिए कॉमर्स के स्टूडेंट्स चार्टर्ड एकाउंटेंट बनने के लिए प्रिपरेशन कर सकते हैं।
भारत में इस कोर्स को लेकर छात्रों में सबसे ज्यादा उत्सुकता देखी जाती है। किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड या विश्वविद्यालय से कुल मिलाकर कम से कम 50 फीसदी अंकों से 12वीं पास होनी ज़रूरी है। इसके बाद ही आप इस एग्जाम की प्रिपरेशन कर सकते हैं।
सीएस :
कंपनी सचिव या सीएस सीए के बाद यह दूसरा सबसे लोकप्रिय कोर्स है। जिसे 12वीं में 50 फीसदी अंक हासिल करने के बाद किया जा सकता है। इस कोर्स को करने के बाद नौकरी की अपार संभावनाएं खुल जाती है और इस कोर्स के बाद छात्र कंपनी सचिव बनने की योग्यता प्राप्त करता है।
सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर :
यह कोर्स कॉमर्स के स्टूडेंट्स के लिए बेहतर है। इस कोर्स में पर्सनल फाइनेंस, वेल्थ मैनेजमेंट, म्युचुअल फंड आदि की जानकारी दी जाती है। यह कोर्स करके इनमें से किसी भी क्षेत्र में करियर बना सकते हैं।
CWA भी है बेहतर विकल्प :
CWA यानी कॉस्ट एंड वर्क अकाउंटेट का कोर्स सीए की तरह ही होता है। इस कोर्स को इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एंड वर्क अकाउंटेंट ऑफ इंडिया द्वारा कराया जाता है। इसमें पहले फाउंडेशन कोर्स, फिर इंटरमीडिएट और फिर फाइनल परीक्षा होती है। यह कोर्स करने के बाद जॉब के कई अवसर खुल जाते हैं।
कॉस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटेंट भी है विकल्प :
अगर आपको मैनेजमेंट अकाउंटिंग, कमर्शियल फंडामेंटल और इंडस्ट्रियल लॉ के बारे में पढ़ना है तो आप कॉस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटेंट चुन सकते हैं। इसमें फाइनेंस और मैनेजमेंट दोनों की पढ़ाई कराई जाती है और कोर्स पूरा होने के बाद मैनेजमेंट के क्षेत्र में आपको जॉब मिलती है।