1997 में जब भारतीय तेल उद्योग के अविनियमन हेतु ब्लूप्रिंट की घोषणा हुई, सारी दुनिया यहाँ इस व्यवसाय से जुड़ी अपार संभावनाओं को तलाशते हुए उसके दोहन के लिए प्रयास करने लगी।
पहले जहाँ भारतीय पेट्रोलियम उद्योग पर सरकार का नियंत्रण था, वहीं निजीकरण के लिए द्वार खुल जाने से यह क्षेत्र संभावनाओं से परिपूर्ण हो गया तथा ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए दुनियाभर की तेल कंपनियाँ अपने-अपने ब्रांडेड पेट्रोलियम उत्पाद लेकर हाजिर हो गईं और देखते-देखते इस क्षेत्र में करियर निर्माण के शानदार अवसर दिखाई देने लगे।
क्वालिफाइड प्रोफेशनल्स की भारी माँग : जब देश में पेट्रोलियम कंपनियों की बाढ़ आने लगी और परंपरागत तरीकों से चलाए जाने वाले इस व्यवसाय को प्रतिस्पर्धात्मक रूप आधुनिक व्यावसायिक तरीकों से संचालित किया जाने लगा तो सबसे पहले इस क्षेत्र के क्वालिफाइड प्रोफेशनल्स की माँग बढ़ने लगी। क्योंकि इस क्षेत्र में केवल विक्रय ही शामिल नहीं है, बल्कि निजी कंपनियों को पेट्रोलियम की खोज, उत्खनन तथा रिफायरिंग के साथ-साथ विपणन की अनुमति प्रदान की गई तो इस क्षेत्र से जुड़े सभी क्षेत्रों का संपूर्ण दोहन तभी किया जा सकता है, जब आपकी टीम में पेट्रोलियम क्षेत्र के पेशेवर कर्मचारी हों।
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पहले जहाँ पेट्रोलियम उत्पादों में पेट्रोल, डीजल, ऑइल तथा मिट्टी का तेल ही आता था, लेकिन वैकल्पिक ईंधनों के उपयोगों को बढ़ावा देने से कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस सीएनजी, एलपीजी का भी ऑटोमोबाइल तथा अन्य घरेलू उद्योगों में उपयोग होने लगा। इतना ही नहीं भविष्य में भी वैकल्पिक ईंधन का ही बोलबाला रहेगा। यह सब देखते हुए तेल तथा गैस उद्योगों में करियर निर्माण की अपार संभावनाएँ हैं।
संबंधित पाठ्यक्रम : इस क्षेत्र में करियर बनाने वालों के लिए चार वर्षीय बी.टेक या पाँच वर्षीय दोहरी उपाधि एम.टेक (पेट्रोलियम इंजीनियरिंग) आवश्यक है। ये उपाधियाँ सेमिस्टर प्रणाली से अध्ययन कर प्राप्त की जा सकती हैं। सारी शिक्षा ऊर्जा क्षेत्र पर केंद्रित है, जिसमें तेल तथा गैस क्षेत्र पर ज्यादाजोर दिया गया है।
इसी के अनुरूप सारा पाठ्यक्रम इस तरह से विकसित किया गया है कि तेज गति से बदलते ऊर्जा क्षेत्र तथा विशिष्ट रूप से पेट्रोलियम क्षेत्र की बढ़ती आवश्यकर्ताओं की पूर्ति करने में सक्षम हो। चूँकि तेल तथा गैस का क्षेत्र सभी तरह से वैश्विक प्रकृति का है,इसलिए इसके लिए प्रस्तुत सभी शैक्षणिक कार्यक्रमों में भविष्य की तकनीकों तथा वैश्विक व्यवसाय संभावनाओं का ध्यान रखा गया है।
आईपीटीजी के कार्यक्रम : आईपीटीजी अर्थात इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम टेक्नोलॉजी, गाँधीनगर द्वारा पेट्रोलियम तथा एलाइड एनर्जी इंजीनियरिंग में बी.टेक, एम.टेक तथा डाक्टोरल प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं। पूर्णकालिक कार्यक्रमों के अलावा आईपीटीजी वर्किंग एक्जीक्यूटिव तथा अन्य प्रोफेशनल्स के लिए अल्पकालीन सर्टिफिकेट प्रोग्राम भी संचालित किए जा रहे हैं ताकि वे तेल तथा गैस उद्योग में दिन-प्रतिदिन हो रहे मैनेजेरियल तथा अनुप्रयोग विकास से अवगत हो सकें तथा अपनी क्षमता और कौशल को अद्यतन बनाए रख सकें। संस्थान द्वारा निकट भविष्य में पूरी तरह से सुसज्जित रिसर्च तथा डेवलपमेंट केंद्र भी स्थापित किया जा रहा है ताकि पेट्रोलियम उद्योग की प्रचालनात्मक समस्याओं का हल खोजा जा सके।
पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में 4 वर्षीय बी.टेक/ 5 वर्षीय एम.टेक उपाध ि : इस वर्ष जुलाई 2008 से आईपीटीजी द्वारा दो शैक्षणिक कार्यक्रम- 4 वर्षीय बी.टेक और 5 वर्षीय डयुअल डिग्री- एम.टेक इन पेट्रोलियम इंजीनियरिंग आरंभ किए गए हैं। इन दोनों पाठ्यक्रमों को युवाओं की सुविधा हेतु काफी लचीला बनाया गया है।
इसका पाठ्यक्रम आधुनिक, लचीला और भविष्य की आवश्यकतानुसार विकसित किया गया है। इसमें ठोस बुनियाद, उद्योग से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने की तकनीकों तथा सतत भागीदारी पर विशेष जोर दिया गया है। पहले सेमिस्टर से ही आन-शोर तथा ऑफ-शोर ऑपरेशंस के लिए गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कारर्पोरेशन के साथ-साथ ई एंड पी कंपनियों, राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों, कंसल्टेंट्स तथा वेंडर्स से भागीदारी की गई है।
इससे नवीनतम विकासों को जोड़कर पाठ्यक्रम के नियम अपडेट की सुनिश्चितता मिलती है, साथ ही प्रचालनात्मक चुनौतियों कासामना कर उससे निपटने में भी मदद मिलती है। इन सभी पाठ्यक्रमों में पेट्रोलियम पदार्थों की खोज तथा उत्पादन पर विशेष सामग्री तैयार कर शामिल की गई है।
इन सभी पाठ्यक्रमों में निम्नलिखित विषयों पर विशेष ध्यान दिया गया है
* प्रथम वर्ष में छात्रों को मूल तथा द्विपक्षीय सोच के प्रति अभिमुख करने के लिए डिजाइन तथा नवाचारों का परिचय। * मल्टीडिसिप्लनरी एप्रोच तथा थिंकिंग को इंटिग्रेटेड साइंसेज लेब तथा फेब्रिकेशन टेक्नोलॉजी लेब के माध्यम से प्रोत्साहित करना। * तीन समर इंटर्नशिप- रूरल इंडस्ट्री तथा रिसर्च के दौरान इंटर्नशिप आरंभ कर भारतीय ग्रामीण तथा शहरी भौगोलिक स्थितियों, औद्योगिक संस्कृति तथा छात्रों के लिए करियर विकल्पों की समझ विकसित करना। * होलिस्टिक शिक्षा को बेहतर तरीके से प्रशंसित करने के लिए सिस्टम टू कंपोनेट्स की टाप डाउन एप्रोच को अपनाना।
पहले तथा दूसरे वर्ष के कोर्स की प्रकृति जेनेरिक तथा अटूट तरीके से बुनियादी बातों तथा इंजीनियनिंग साइंसेज पर केंद्रित है। बीटेक के तीसरे तथा अंतिम वर्ष के कोर्स एनर्जी सेक्टर की आवश्यकताओं की पूर्ति को देखते हुए विशेष तरीके से डिजाइन किए गए हैं। लंबे बीटेक प्रोजेक्ट के दौरान छात्र कई छोटे-छोटे प्रोजेक्ट पर काम करेंगे। ये प्रोजेक्ट्स मुख्यतः ऑइल तथा गैस कंपनियों से संबंधित होंगे।