कुछ साल पहले किसी भी होनहार (प्रतिभावान) छात्र से अगर ये सवाल किया जाता था कि 12वीं पास करने के बाद क्या बनना चाहता है तो उसका जवाब रटा-रटाया था कि वो इंजीनियर या फिर डॉक्टरी के पेशे को अपनाना चाहता है। कुछ एक छात्र ग्रेजुएशन के बाद मैनेजमेंट की पढ़ाई करना चाहते हैं लेकिन आज बदले हालात के कारण इंजीनियरिंग-मेडिकल से अलग ऐसे कई कोर्स हैं जो टैलेन्टेड छात्रों की भी पसन्द बन गए हैं। कानून की पढ़ाई भी आज छात्रों को इसी तरह रोजगार के बेहतरीन मौके दे रही है।
हालाँकि कुछ साल पहले कानून की पढ़ाई को लेकर माहौल ऐसा नही था। आम राय यही थी कि वही छात्र इस कोर्स में दाखिला लेते हैं जो शिक्षा को गंभीरता से नहीं लेते या फिर वकालत के पेशे में अच्छा मुकाम रखने वाले परिवार के बच्चे ही इसको अपनाते हैं। बदले सामाजिक, आर्थिक परिवेश में होनहार छात्रों की अच्छी खासी तादाद अब 12वीं के बाद कानून की पढ़ाई का मन बना रही है।
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देश में खुले बाजार की अर्थव्यवस्था, कॉरपोरेट कल्चर और मल्टीनेश्नल कम्पनियों की बढ़ती तादाद से कानून के क्षेत्र में बढ़ते रोजगार के मौके ने प्रतिभावान छात्रों को इस ओर तेजी से आकर्षित किया है। कानून की पढ़ाई आर्थिक रूप से रोजगार का बेहतरीन मौका तो देती है साथ ही ये क्षेत्र रोमांच से भी भरपूर है।
इस क्षेत्र में करियर न सिर्फ बेहतर जिन्दगी के साधन मुहैया कराता है बल्कि अन्याय के खिलाफ आम लोगों की मदद करने का सुनहरा मौका भी देता है। पहले लॉ ग्रेजुएट्स या तो न्यायिक सेवा में जाते थे या फिर वकालत के पेशे तक ही सीमित थे लेकिन आज मौकों की कोई कमी नही रही। बदले सामाजिक, आर्थिक परिवेश में आज कानून की पढ़ाई करने वालों के लिए कई क्षेत्र हैं जहाँ सुनहरा भविष्य उनका इन्तजार कर रहा है।
योग्यता: पाँच साल के इण्टीग्रेटेड अण्डरग्रेजुएट कोर्स में दाखिले के लिए छात्र को 12वीं की परीक्षा में 50 फीसदी अंक जरूरी हैं साथ ही 1 जुलाई 2009 को 20 वर्ष की आयु-सीमा है।
रोजगार के मौके: देश में लॉ ग्रेजुएट्स के लिए वैसे तो मौकों की कोई कमी नहीं है लेकिन मुख्य रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों में सुनहरा भविष्य सुनिश्चित है- 1. कॉरपोरेट वर्ल्ड 2. एनजीओ (गैर सरकारी संगठन) 3. बैंकिंग सेक्टर 4. सरकार एवं उसके संस्थान 5. स्वतंत्र पत्रकारिता (फ्रीलांस जर्नलिज्म) 6. सेना 7. लॉ फर्म्स 8. न्यायिक सेवा और 9. लॉ कालेज में लेक्चर र
संस्थान जहाँ से कोर्स कर सकते हैं: कानूनी शिक्षा की स्थिति भारत में आज के जितनी बेहतर पहले कभी नही थी। कुछ साल पहले तक ज्यादातर यूनिवर्सिटी में सिर्फ तीन वर्षीय एलएलबी कोर्स ही थे। 1987 में बेंगलुरु में नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इण्डिया यूनिवर्सिटी बनने के बाद बार काउन्सिल ऑफ इण्डिया ने पाँच साल के इण्टीग्रेटेड अण्डरग्रेजुएट कोर्स शुरू करने का फैसला किया। 12 साल बाद आज 11 राज्यों ने अपने यहाँ नेशनल लॉ स्कूल स्थापित कर लिए हैं। इन कॉलेजों में मार्च-अप्रैल में प्रवेश के लिए आवेदन किये जाते हैं।
1. नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इण्डिया यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु 2. NALSAR यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ, हैदराबाद 3 . नेशनल लॉ इन्स्टीट्यूट यूनिवर्सिटी, भोपाल 4. द वेस्ट बेंगाल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्युरीडिकल साइंस, कोलकाता 5. नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, जोधपुर 6. हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, रायपुर 7. गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, अहमदाबाद 8. डॉ. राममनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, लखनऊ 9. राजीव गाँधी नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ, पटियाला 10. चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, पटना 11. नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एडवांस्ड लागल स्टडीज, कोच्चि ।
2008 से पूर्व इन संस्थानों में दाखिले के लिए सभी कॉलेज अपनी अलग-अलग प्रवेश परीक्षा कराते थे लेकिन 2008 से कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट ( CLAT) के आधार पर ही अब सभी कॉलेज प्रवेश दे रहे हैं। इस साल NALSAR यूनिवर्सिटी आफ लॉ, हैदराबाद प्रवेश परीक्षा करा रही है और ये परीक्षा मई के दूसरे सप्ताह में होने वाली है।
प्रवेश परीक्षा का पैटर्न: आमतौर से फाइव ईयर इन्टीग्रेटेड कोर्स की प्रवेश परीक्षा में अंग्रेजी, जनरल नॉलेज, सामान्य गणित, लीगल एप्टीट्यूड, लीगल रीजनिंग से प्रश्न पूछे जाते हैं। 200 अंकों के प्रश्नपत्र को हल करने के लिए 90 मिनट का समय दिया जाता है। परीक्षा में अंग्रेजी से 30 अंक के प्रश्न, जनरल नॉलेज से 50 अंक, लीगल एप्टीट्यूड 20 अंक, लीगल रीजनिंग से 20 अंक के प्रश्न पूछे जाते हैं और 30 अंकों का एक निबन्ध भी लिखना होता है।