टेक्सटाइल इंजीनियरिंग

करियर निर्माण का ताना-बाना!

Webdunia
- अशोक जोशी

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भारत के टेक्सटाइल उद्योग में इन दिनों तेजी और क्रांतिकारी आधुनिकीकरण के साथ-साथ ऑटोमेशन का दौर जारी है। टेक्सटाइल इंजीनियरिंग के ग्रेजुएट टेक्सटाइल मटेरियल के व्यवहार ज्ञान तथा टेक्सटाइल और क्लादिंग टेक्नोलॉजिस की मशीनों की कार्यप्रणाली के ज्ञान से अच्छी तरह वाकिफ तथा सुसज्जित होते हैं।

टेक्सटाइल इंजीनियरिंग के अंतर्गत फाइबर, टेक्सटाइल तथा अपैरज प्रोसेस, प्रॉडक्टस तथा मशीनरी के डिजाइन तथा नियंत्रण के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है। इसमें प्राकृतिक तथा मानव निर्मित सामग्रियाँ, मटेरियल्स तथा मशीनों, सुरक्षा तथा स्वास्थ्य, ऊर्जा संरक्षण तथा अपशिष्ट और प्रदूषण नियंत्रण से पारस्परिक संबंध तथा अंतर्क्रियाओं का समावेश किया गया है।

प्रोफेशनल्स कोर्स
* टेक्सटाइल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में करियर बनाने वाले केमिकल इंजीनियरिंग या टेक्सटाइल इंजीनियरिंग में बीटेक या बीई कर सकते हैं। टेक्सटाइल इंजीनियरिंग प्रोग्राम में चार केंद्रीकरण हैं:-
* इंफरमेशन सिस्टम्स डिजाइन
* मशीन डिजाइन
* टेक्सटाइल प्रॉडक्ट इंजीनियरिंग
* केमिकल प्रोसेसिंग
फाइबर, टेक्सटाइल कारपेट तथा अपैरल उद्योग की प्रक्रियाओं तथा लोगों के प्रबंधन के लिए टेक्सटाइल के कोर्स के साथ अकाउंटिंग, इकानॉमिक्स, मैनेजमेंट, मार्केटिंग तथा कम्प्यूटर्स के कोर्स का समन्वय रहता है। इन आप्शनल कोर्स के फलस्वरूप छात्र व्यवसाय के विशिष्ट पहलू जैसे कि मार्केटिंग या अपैरल मैन्युफेक्चरिंग पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकता है।

स्पेशलाइजेशन
टेक्सटाइल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में निम्नलिखित विषयों के साथ स्पेशलाइजेशन किया जा सकता है :-
* टेक्सटाइल केमिकल टेक्नोलॉजी :- यह आज और कल की टेक्सटाइल वेट प्रोसेसिंग की संभावनाओं के लिए नवोन्मेषी समाधान से संबंधित है।
* फाइबर साइंस टेक्नोलॉजी :- इसका संबंध फाइबर तथा पोलीमी रिसर्च है, जो नए फाइबर के विकास में मदद करता है तथा उत्पादकता क्षमता बढ़ाने का प्रयास करता है।
* टेक्निकल टेक्सटाइल :- गैर सौंदर्य उद्देश्य के लिए निर्मित टेक्सटाइल्स प्रॉडक्ट्स के लिए टेक्निकल टेक्सटाइल शब्द का प्रयोग किया जाता है। इसमें ऑटोमोटिव अनुप्रयोगों के लिए टेक्सटाइल स्ट्रक्चर, मेडिकल टेक्सटाइल जैसे कि इम्प्लांट्स, जीयो टेक्सटाइल्स, एग्रो टेक्सटाइल्स, प्रोटेक्टिव टेक्सटाइल्स जैसे कि हीट रेडिएशन या अग्नि निरोधक कपड़े, बूलेट प्रूफ कपड़ा, स्पेस सूट शामिल हैं।
* टेक्सटाइल में कम्प्यूटर एप्लिकेशंस :- इसके अध्ययन से छात्रों को कम्प्यूटर की मदद से विभिन्ना डिजाइन तैयार करने में मदद मिलती है।

काम के अवस र
सामान्यतः टेक्सटाइल इंजीनियर टेक्सटाइल प्लांटों के विभागों में तथा छोटी से बड़ी टेक्सटाइल कंपनियों में नियुक्तियाँ पाते हैं। इन विभागों में देशी-विदेशी टेक्सटाइल प्रॉडक्टस कंपनियों या टेक्सटाइल मशीनरी कंपनियों के प्रोडक्शन, प्लानिंग, क्वालिटी कंट्रोल, सेल्स या मार्केटिंग विभाग शामिल हैं। जहाँ तक भारत का सवाल है, यहाँ टेक्सटाइल के दो प्रमुख क्षेत्र हैं।

एक तो असंगठित रूप से कार्यरत हैंडलूम सेक्टर तथा संगठित मशीनीकृत टेक्सटाइल सेक्टर। दोनों ही क्षेत्र में विकास तथा रोजगार की अपार संभावनाएँ हैं। इस समय देश की हजारों कपड़ा मिलों में लाखों कर्मचारी कार्यरत हैं। टेक्सटाइल केमिस्ट्री स्नातक डायिंग तथा फिनिशिंग, टेक्निकल सर्विसेज, रिसर्च एंड डेवलपमेंट, क्वालिटी कंट्रोल, प्रॉडक्ट डेवलपमेंट, पोलीमर साइंस तथा एनवायरमेंटल कंट्रोल के क्षेत्र में करियर बना सकते हैं।

टेक्सटाइल मैनेजमेंट से जुड़े अधिकांश ग्रेजुएट्स शुरुआत में मैनेजमेंट ट्रेनी प्रोग्राम में प्रवेश लेते हैं जिससे होते हुए वे प्लांट या कार्पोरेट मैनेजमेंट के क्षेत्र में करियर निर्मित कर लेते हैं। इस क्षेत्र में करियर निर्माण के अन्य क्षेत्रों में टेक्निकल सेल्स, इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग, प्रोडक्ट डेवलपमेंट, मार्केटिंग, कस्टमर रिलेशंस, मानव संसाधन तथा कॉस्ट एंड इन्वेंटरी कंट्रोल बाँहें पसारे इंतजार कर रहे हैं। इसलिए जिसके पास टेक्सटाइल इंजीनियरिंग की डिग्री है, वे निम्नलिखित दायित्वों का वहन कर सकते हैं :-
प प्रोसेस इंजीनियर प क्वालिटी कंट्रोल सुपरवाइजर
प ऑपरेशंस ट्रेनी प प्रोसेस इम्प्रूवमेंट इंजीनियर
प मेडिकल टेक्सटाइल इंजीनियर।
शिक्षा इंजीनियरिंग की और चुनौतियाँ करियर की!

इंजीनियरिंग की शिक्षा आपको यह सिखाती है कि किसी भी समस्या को सुलझाने की दृष्टि से उस पर किस तरह विचार किया जाए। यह मानसिक कौशल आपको आपके शेष जीवन में समस्याओं से निपटने में मदद करेगा। इंजीनियरिंग में किसी समस्या के निपटाने का आकर्षित करने वाला पहलू यह है कि यहाँ कभी भी किसी बात का सही उत्तर नहीं मिलता है।

किसी समस्या को हल करने के लिए आपको तरह-तरह से पहल और प्रयास करने होते हैं और इसके बाद यह आप पर निर्भर करता है कि सभी को यह दिखा दें कि किस तरह से आपने समस्या को सुलझाया है। क्या आप एक सक्रिय तथा चुनौतीपूर्ण करियर चाहते हैं? उन चीजों पर विचार करें जो आपने पूर्व में किया है। आपको किस चीज में सबसे ज्यादा मजा आया? आपको क्या सबसे ज्यादा बेकार तथा उबाऊ लगा तथा आपको सबसे ज्यादा क्या नापसंद लगा?

यदि किसी ने आपको उस उबाऊ समस्या को निपटाने में मदद की, फिर भी क्या आप उसे नापसंद करते हैं? या क्या आप यह महसूस करेंगे कि किसी भी तरह आप उस चुनौती से उबर आए हैं, वह आपसे आपके बारे में क्या कहता है।

करियर निर्माण का ताना-बाना!
यदि आप इंजीनियरिंग और खासकर टेक्सटाइल इंजीनियरिंग में अपना करियर बनाने की सोच रहे हैं तो इतना ख्याल रखें कि यह एक आजीवन सीखने की प्रक्रिया तथा अनुभव है तथा इसके लिए आप जो भी तैयारी करेंगे, आपको आपके लक्षित गोल तक पहुँचने में मदद करेगी।

आप इंजीनियरिंग की दुनिया में अपने आप को जितना अंदर तक ले जाएँगे, यह आपके लिए उतने ही ज्यादा अवसर पैदा करेगा। लेकिन करियर निर्माण का ताना-बाना तो आपको ही बुनना होगा। इंजीनियरिंग एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें निम्नलिखित विशेषताओं के लिए विज्ञान के व्यावहारिक अनुप्रयोग की आवश्यकता होगी।
* गणित, भौतिक शास्त्र व रसायन शास्त्र की ठोस बुनियाद
* लॉजिकल रिजोनिंग
* अध्यावसाय तथा कठोर परिश्रम
* टीम में कार्य करने की योग्यता।
* समस्याओं के निवारण का कौशल
* चीजों को तेजी से पकड़ने की क्षमता
* सृजनशीलता पअच्छी सम्प्रेषण कला
* काम के दबाव में शांत रहने की क्षमता
* अच्छी टेक्निकल ड्राइंग तथा कम्प्यूटर कौशल।

प्रवेश प्रक्रिया
इसके लिए आयोजित की जाने वाली मुख्य प्रतियोगी परीक्षाएँ निम्नानुसार हैं :-
* आईआईटी के लिए एक संयुक्त प्रवेश परीक्षा आईआईटी जेईई का आयोजन किया जाता है तथा इसके माध्यम से आईआईटी दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, खड़गपुर, कानपुर, रुड़की तथा गुवाहाटी के अलावा बीएचयू वाराणसी में प्रवेश प्राप्त किया जा सकता है।
* ऑल इंडिया इंजीनियरिंग एंटरेंस परीक्षा एआईईईई देकर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जैसे की बिट्स, मणिपाल इंस्टीट्यूट मणिपाल तथा अन्नामलाई यूनिवर्सिटी में प्रवेश प्राप्त किया जा सकता है।
* विभिन्न राज्यों द्वारा आयोजित पीईटी परीक्षा देकर भी यह कोर्स किया जा सकता है।
अवधिः टेक्स. इंजी. में बीई या बीटेक की अवधि 4 वर्ष है।

कैसा हो व्यक्तित्व?
इंजीनियरों का सबसे बड़ा गुण है नैसर्गिक जिज्ञासा। इंजीनियर को चीजों को बनाने में सुख मिलता है तथा उनकी जिज्ञासा होती है कि चीजें बनती कैसे हैं? इसी मानसिकता से वे अपने कॉलेजों की कक्षाओं में आगे बढ़ते हैं। वे किसी भी क्षेत्र के सभी पहलुओं पर विचार कर पता लगाते हैं कि यह कैसे काम करती है और उसी के आधार पर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान भी करते हैं।

इंजीनियरिंग के क्षेत्र में सारी दुनिया की संस्कृति के पुरुष एवं महिलाएँ होती हैं। सारे इंजीनियरों में एक सामान्य इच्छा होती है कि विश्व की समस्याओं के समाधान में मदद की जाए तथा विश्व को एक अच्छी जगह के रूप में विकसित किया जाए। अक्सर उनके परिप्रेक्ष्य अलग-अलग होते हैं। लेकिन वे समस्या निवारण अभिमुखीकरण का आदान-प्रदान करते हैं।

इंजी. के औजारों के बक्से के दो बुनियादी औजार हैं विज्ञान और गणित। यदि आपको गणित तथा विज्ञान सबसे बड़ी चुनौतियाँ लगती हैं या आप उससे भी ज्यादा खोज में संलग्न रहते हैं जितना कि आपको स्कूलों में पढ़ाया या सिखाया जाता है। क्या आप महज अपनी पाठ्यपुस्तकों को पढ़कर ही संतुष्ट हो जाते हैं या खुद अपने आप नई-नई चीजों के बारे में जानने को उत्सुक रहते हैं?

क्या आप अपना ज्यादा से ज्यादा समय अपने लैब वर्क की नकल किया करते हैं या नए-नए विचारों पर प्रयोग करने में अपना ज्यादातर समय खपाते हैं? यदि आप बाद वाली प्रवृत्ति के युवा हैं तो यकीन मानिए कि आप इंजी. की लकीरें हाथ में खिंचवाकर ही पैदा हुए हैं यानी कि आपमें एक सफल इंजी. बनने के सभी गुण हैं। और आपकी कल्पनाशीलता टेक्सटाइल इंजी. में आपकी स्टार खूबी होगी।
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