फायर इंजीनियरिंग में संभावनाएँ

Webdunia
- पूनम

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आप रोजगार की तलाश में हैं तो 'आग' में भी करियर बनाने की अपार संभावनाएँ छिपी हैं। औद्योगिक, वाणिज्यिक और तकनीकी विकास ने अग्निशमन के क्षेत्र में रोजगार के दरवाजे खोल दिए हैं। जिस तेजी से आग लगने की घटन ाए ँ बढ़ रही हैं।

इसके मद्देनजर निजी क्षेत्र में प्रशिक्षित फायर इंजीनियरों की मांग भी तेजी से बढ़ी है। यह लोग केवल आग लगने के समय ही अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते। इससे पहले भी सुरक्षा इंतजामों की जिम्मेदारी संभालते हैं।

दिल्ली में अभी 20 फायर स्टेशन बनाए जाने हैं। यहाँ के जनसंख्या घनत्व और भवनों की संख्या बढ़ने के चलते अग्निशमन विभाग में फायर कर्मियों की संख्या जरूरत से कम है। दूसरी ओर पूरी जिम्मेदारी केवल सरकार पर ही नहीं छोड़ी जा सकती। इसलिए बड़े संस्थान अपने यहाँ आग से सुरक्षा के लिए फायर इंजीनियर रखने लगें हैं। दिल्ली में फायर कानूनों को और सख्त करने की कवायद भी चल रही है।

ऐसे में फायर इंजीनियरों की मांग भी बढ़ सकती है। इसके लिए जरूरी है कि युवा इसका कोर्स किसी बेहतर संस्थान से करें। इसमें आग बुझाने के यंत्रों की तकनीकी जानकारी, स्प्रिंक्लर सिस्टम, अलार्म, पानी की बौछार का सही इस्तेमाल और कम समय में सीमित संसाधनों के साथ ज्यादा सुरक्षा आदि शामिल है। इसके लिए अब कई सरकारी और निजी संस्थान खुल गए हैं।

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दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ फायर इंजीनियरिंग के चेयरमैन विरेन्द्र गर्ग बताते हैं कि बदलते माहौल में बहुत कुछ बदला है। इसकी जरूरत अब कई क्षेत्रों में पड़ती है। इस कोर्स को करने के लिए केमिस्ट्री के साथ फिजिक्स या गणित विषयों में 50 फीसदी अंकों के साथ 12 वीं पास होना जरूरी है। आयु 19 से 23 वर्ष के बीच होनी चाहिए। इन योग्यताओं के साथ कुछ शारीरिक क्षमताएँ होना भी जरूरी है।

सर्टिफिकेट कोर्स में चीफ सीक्योरिटी ऑफिसर के लिए तीन माह का कोर्स और कम से कम दसवीं पास होना चाहिए। फायर फाइटिंग के लिए छह माह, फायर टैक्नॉलॉजी एंड इंडस्ट्रियल सेफ्टी मैनेजमेंट के लिए एक साल और 12 वीं पास होना चाहिए। डिप्लोमा कोर्स में सीनियर फायर एंड इंडस्ट्रियल सेफ्टी सुपरवाइजर के लिए एक साल का कोर्स है। किसी भी कोर्स के लिए उम्मीदवार की आयु 30 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

केवल फायरमैन ही नहीं इस क्षेत्र में सेफ्टी कंसल्टेंट की मांग भी बढ़ गई है। युवा भी इसमें बहुत क्रेज दिखा रहे हैं। बड़ी इमारतों में आग से जुड़े खतरों, नियमों का पालन आदि के मामले में इनकी भूमिका अहम होती है। डिग्री और डिप्लोमा की अवधि कुछ सप्ताहों से लेकर एक वर्ष तक है। समय को देखते हुए आपको जो कोर्स सही लगे आप वह कोर्स कर सकते हैं। देश भर में इसके कई संस्थान हैं पर दिल्ली में केवल एक ही इंस्टिट्यूट में यह कोर्स है।

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