रचनात्‍मक लेखन : ख्‍वाबिदां विकल्‍प

अंकित श्रीवास्तव
WD
शब्‍दों में अभिव्‍यक्ति की क्षमता होती है, वो आपको हँसा सकते हैं, रूला सकते हैं, झकझोर सकते हैं। और तो और विचार करने के लिए मजबूर कर सकते हैं। इसके लिए आपके पास सिर्फ एक गुण होना चाहिए। वो है रचनात्‍मक लेखन। करियर विकल्प में आज हम बात करेंगे रचनात्‍मक लेखन के बारे में।

व्‍यापार और सूचना तंत्र के विकास के साथ मौजूदा दौर में रचनात्‍मक लेखकों की माँग में भी तेजी आई है। इस क्षेत्र में करियर के विकल्प प्रिंट, इलेक्‍ट्रॉनिक, वेब और ब्रॉडक्रॉस्‍ट के साथ दूसरे हर प्रकार के संचार माध्‍यमों में खुले हैं। वैसे रचनात्‍मक लेखकों की फिल्‍मों, टेली सीरियल्‍स, विज्ञापनों में बहुत माँग है।

रचनात्‍मक लेखन के लिए जरूरी है भाषा और विषय का ज्ञान। इसके साथ ही इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि वह लेखन किस वर्ग के लिए किया जा रहा है। फिल्‍मों और सीरियल में लिखने के लिए कहानी लिखने का तरीका विजुवल होना चाहिए, वहीं किसी विज्ञापन के लिए इसके कुछ सेकंडों में संप्रेषित होने की क्षमता रखने वाला होना चाहिए।
  रचनात्‍मकता के लिए हमेशा अपडेट होना और समय के साथ बदलाव लाना भी जरूरी है। विज्ञापन में रचनात्‍मक लेखन पर गौर फरमाइए। आप अमूल की होर्डिंग, पीडीलाइट (फेवीकोल) या वेबदुनिया का विज्ञापन- जितने जल्‍दी अपनी वाली पर आ जाओ, पर गौर कीजिए।      


अगर आपकी रुचि लेखन में है तो आप इसे अपने पसंदीदा और चुने गए फील्ड के अनुरूप विकसित कर सकते हैं। किसी भी प्रकार के रचनात्‍मक लेखन के लिए आपको इस बात का जरूर ख्याल रखना चाहिए कि वो सही तरीके से संप्रेषित हो, रोचक लगे और उसका दूरगामी असर पड़े।

रचनात्‍मकता के लिए हमेशा अपडेट होना और समय के साथ बदलाव लाना भी जरूरी है। विज्ञापन में रचनात्‍मक लेखन पर गौर फरमाइए। आप अमूल की होर्डिंग, पीडीलाइट (फेवीकोल) या वेबदुनिया का विज्ञापन- जितने जल्‍दी अपनी वाली पर आ जाओ, पर गौर कीजिए। इन सभी विज्ञापनों में रोचकता, कम और छोटे शब्‍दों में बात करने का तरीका है और इसके साथ ही जिस वर्ग के लिए विज्ञापन बनाया गया है, उससे सीधा संप्रेषण है।

रचनात्‍मक लेखन के लिए पुराने ढर्रे को त्‍याग दें। नए तरीके और नई सोच विकसित करें। इसके साथ ही नए और अनछुए पहलुओं को अपने लेखन का विषय बनाएँ। यह आपके आसपास घटती रोजाना की चीजों में से ही एक हो सकता है। हाल में आई चेतन भगत की पुस्‍तक ‘वन नाइट इन ए कॉल सेंटर’ में आसपास की रोज घटती घटना को रोचक तरीके से प्रस्‍तुत किया गया है। इस प्रकार के लेखन के लिए बड़ा नजरिया सबसे महत्‍वपूर्ण है।

पिछले कुछ वर्षों में विज्ञापन के लिए रचनात्‍मक लेखन में बहार आई है। इस लिहाज से एडवर्टाइजिंग कंपनियों में रचनात्‍मक लेखकों के लिए हमेशा जगह बनी रहती है। वहीं विभिन्‍न इलेक्‍ट्रॉनिक चैनलों में कॉपी एडिटर और स्‍क्रिप्‍ट राइटर की जरूरत हमेशा होती है। भारत में अलग-अलग विषयों पर रचनात्‍मक लेखन के लिए कुछ कंपनियाँ बेहतर काम कर रही हैं। इन स्‍थानों पर रचनात्‍मक लेखन से संबंधित रोजगार के अवसर बने रहते हैं।

ओगिल्‍वी एंड मदर लिमिटेड (पीयूष पांडे), मुद्रा कम्यूनिकेशन (डॉ. मधुकर कामत), लिंटास (प्रणेश), जेडब्‍ल्‍यूटी (हिंदुस्‍तान थाम्‍पसन एसोसिएट्स, कैल्‍विन हैरिश), एफसीबी (उल्‍का एडवर्टाइजिंग, अनिल कपूर), रीडिफ्यूजन डीवाई एंड आर लिमिटेड (महेश चौहान), आरके स्‍वामी बीबीडीओ प्रा.लि. (श्रीनाथ के. स्‍वामी), मैक-कैन एरिस्‍कॉन इंडिया लि. (सौरभ मिस्‍त्री) और ग्रे वर्ल्‍डवाइड इंडिया प्रा.लि. (निर्भीकसिंह) आदि संस्‍था के अलावा सैकड़ों की संख्‍या में सिर्फ विज्ञापन के लिए रचनात्‍मक लेखक काम करते हैं।

सूचना तंत्र के प्रसार के कारण इस क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में तेजी से वृद्धि हो रही है। अमूमन सभी कंपनियों में क्रिएटिव सेल जैसे अलग विभाग विकासित होने लगे हैं। कंपनियाँ अपने उत्‍पाद को बढ़ावा देने के लिए रचनात्‍मक लेखकों की आउटसोर्सिंग भी करती हैं।

रचनात्‍मक लेखक बनने की सबसे बड़ी योग्‍यता भाषा पर अच्‍छा नियंत्रण है। इसके साथ ही समय-समाज और जिस विषय पर लेखन करना है, उस पर अच्‍छी पकड़ और समझ होनी चाहिए। पंच लाइन और कम से कम शब्दों में अभिव्‍यक्ति का हुनर होना भी जरूरी है। वैसे रचनात्‍मक लेखन में कुछ विश्वविद्यालय कोर्स भी कराते हैं।

इग्‍नू की ओर से रचनात्‍मक लेखन में कोर्स किया जा सकता है। इसके अलावा ब्रिटिश कौंसिल के विभिन्न शाखाओं, जेवियर इंस्‍टीट्यूट, मुंबई, माखनलाल चतुर्वेदी राष्‍ट्रीय पत्रकारिता विश्‍वविद्यालय, भोपाल से रचनात्‍मक लेखन का कोर्स किया जा सकता है।
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