हेल्थ केयर में संभावनाएँ

Webdunia
- अशोक सिंह

ND
सरकारी और निजी क्षेत्र में नर्सिंग एवं पेरामेडिकल की सुविधाओं पर बड़े पैमाने पर निवेश देखा जा सकता है। प्रायः ऐसे कोर्सेज की अवधि दो से चार साल की होती है और अन्य प्रोफेशनल कोर्सेज की तुलना में इनमें अपेक्षाकृत आसानी से दाखिले मिल जाते हैं। इतना ही नहीं इनकी फीस भी कम है।

इसी क्रम में यह बताना भी प्रासंगिक होगा कि जहाँ विश्व में प्रति हजार जनसंख्या पर उपलब्ध बेड्स की संख्या 3.96 लाख है, वहीं दूसरी ओर भारत में यह मात्र 1.20 लाख है जो तुलनात्मक रूप से बहुत कम है।

आने वाले समय में इस अनुपात में सकारात्मक वृद्धि होने की पूरी-पूरी संभावना है। इसी प्रकार कुल अस्पतालों के बेड्स की बात करें तो देश में फिलहाल यह 14 लाख हैं जबकि वर्ष 2025 में अतिरिक्त 17 लाख बेड्स की संभावना व्यक्त की जा रही है।

अगर कुल स्वास्थ्यकर्मियों की तादाद देखें तो वर्तमान के 17 लाख कर्मियों की अपेक्षा दो वर्ष बाद 26 लाख स्वास्थ्यकर्मियों के लिए नौकरियाँ जरूरी होंगी। आम जनता में स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता और दूर-दराज के इलाकों में पसरती मेडिकल डायग्नोस्टिक सुविधाओं का नतीजा है ऐसे पेशेवरों के लिए सृजित होने वाले रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी की स्थिति।

फार्मास्यूटिकल और डायग्नोस्टिक लैब्स द्वारा कॉर्पोरेट अस्पतालों के साथ मिलकर विभिन्न रोगों से बचाव और उनकी जाँच के सस्ते एवं आकर्षक पैकेजों का बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।

ND
इस प्रकार के कार्यकलापों में टे्रंड और सेमी टे्रंड युवाओं को नौकरी अथवा कमीशन के आधार पर काम दिया जाता है। यही नहीं रोगियों, वृद्ध व्यक्तियों के लिए जांच सैंपल घरों से एकत्रित करने के काम में ऐसे युवाओं की बड़े पैमाने पर सेवाएँ ली जा रही हैं। दवाइयों और अन्य सर्जिकल उपकरणों की सप्लाई का भी काम इसी क्रम में गिनाया जा सकता है जिससे हजारों की संख्या में लोगों की रोजी-रोटी जुड़ी हुई है।

इस क्षेत्र के विशेषज्ञों की उम्मीदों की बात करें तो देखा जा सकता है कि आगामी वर्षों में यह क्षेत्र 20 से 25 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ेगा। भारत में मधुमेह, रक्तचाप और हृदय की बीमारियों से पीड़ित लोगों की बढ़ती आबादी के मद्देनजर भी हेल्थकेयर इंडस्ट्री के लिए कमाई के अच्छे अवसर होने से इनकार नहीं किया जा सकता है। इन्हें आधुनिक जीवन शैली की देन बीमारियों के नाम से भी जाना जाता है।

सरकारी अस्पतालों में बुनियादी रोगों के उपचार की सुविधा ही फिलहाल सरकार द्वारा उपलब्ध कराने पर जोर है जबकि कॉर्पोरेट और निजी अस्पताल इन शहरी जीवन की आपाधापी से उपज रहे रोगों को ही अपने बिजनेस का आधार मानकर चल रहे हैं। पेरामेडिकल विधाओं से लेकर नर्सिंग ट्रेनिंग कर ग्रामीण पृष्ठभूमि के युवाओं के लिए यह क्षेत्र निश्चित रूप से आने वाले समय में रोजगार का बड़ा जरिया सिद्ध हो सकता है बशर्ते वे समय रहते इस प्रकार की ट्रेनिंग लेने की ओर कदम बढ़ाएँ।

Show comments

जरूर पढ़ें

exit poll j&k 2024 : क्या जम्मू-कश्मीर में बनने जा रही है त्रिशंकु सरकार

Exit Poll: हरियाणा में भाजपा को झटका, कांग्रेस की बन सकती है सरकार, ByeByeBJP हुआ ट्रेंड

नीतीश को भारत रत्न देने की मांग, पटना में लगे पोस्‍टर, JDU नेता ने कहा सम्‍मान के हैं हकदार

राहुल गांधी ने बताया, क्या है छत्रपति शिवाजी महाराज का संविधान से कनेक्शन?

10 साल में 65 हजार Cyber Fraud, इंदौर में ही Digital Arrest के 27 केस, तैयार होंगे 5 हजार सायबर कमांडो

सभी देखें

नवीनतम

जानें डिग्री से ज्यादा स्किल क्यों है जरूरी और एम्प्लॉयर कैसे बदल रहे भर्ती रुझान!

QS Global MBA Ranking : दुनिया के टॉप 100 संस्थानों की सूची जारी, भारत के ये Institute हैं शीर्ष पर

LLB अंतिम वर्ष के छात्र भी दे सकेंगे AIBE की परीक्षा, Supreme Court ने BCI को दिए आदेश

12वीं कॉमर्स के बाद शीर्ष अकाउंट्स और फाइनेंस कोर्सेस

रिटायर्ड मेजर जनरल से ठगे 2 करोड़ रुपए, साइबर अपराधियों ने इस तरह फैलाया जाल