आईपीआर मैनेजमेंट में करि‍यर

Webdunia
शनिवार, 28 अप्रैल 2012 (16:09 IST)
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करियर की नई विधाओं में आईपीआर मैनेजमेंट का नाम आजकल बहुत चर्चा में है। यहां आईपीआर से आशय है इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स दुनिया भर में इस प्रकार के प्रोफेशनल्स की मांग अत्यंत तेजी से हाल के वर्षों में बढ़ी है। इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी का अर्थ है ऐसी क्रिएशंस जिनकी उत्पत्ति मानव बुद्धि के जरिए हुई है।

इनमें आविष्कार, साहित्य और कलात्मक कृतियां, चिह्न, व्यापार एवं बिजनेस में इस्तेमाल होने वाले नाम एवं डिजाइन आदि का जिक्र किया जा सकता है। इन सर्जनाओं के उपयोग का विशिष्ट उपयोग करने का अधिकार ही आईपीआर के नाम से जाना जाता है। यह अधिकार संबंधित देश की सरकार के माध्यम से प्रदान किया जाता है।

इसके लिए बाकायदा अलग एजेंसी सरकारी तौर पर काम करती है। इनमें रजिस्ट्रेशन और अन्य कार्रवाइयां प्रायः एक्सपर्ट्स के माध्यम से ही होती हैं। ये एक्सपर्ट्स इंजीनियरिंग और लॉ की बैकग्राउंड वाले ट्रेंड लोग होते हैं।

आईपीआर की दो शाखाएँ हैं, इंडस्ट्रियल प्रॉपर्टी राइट्स और कॉपीराइट इंडस्ट्रियल प्रॉपर्टी राइट्स के तहत पेटेंट्स, ट्रेडमार्क, इंडस्ट्रियल डिजाइन और जियोग्राफिकल इंडिकेशन का नाम शामिल है।

दूसरी ओर कॉपीराइट में साहित्य एवं कलाकृतियां, फिल्म, संगीत, फोटोग्राफ्स, परफॉर्मिंग आर्ट्स, रेडियो और टेलीविजन प्रोग्राम तथा आर्किटेक्चरल डिजाइंस शुमार किए जाते हैं। इन बौद्धिक कृतियों का कोई और व्यावसायिक दुरुपयोग न करे इसीलिए इनका समय रहते आईपीआर में रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी होता है। इसके बावजूद चोरी-छिपे उपयोग करने वालों के लिए सजा और जुर्माना दोनों का ही प्रावधान है।

यही कारण है कि बड़ी-बडी कंपनियाँ अपने आरएनडी पर इतना निवेश करने के बाद विकसित आविष्कारों या अन्य प्रोडक्ट्स के उपयोग के अधिकार को सुरक्षित रखने के लिए आईपीआर मैनेजमेंट के एक्सपर्ट्स को नियुक्त करती हैं। कुछ कंपनियों में कंसलटेंट के तौर पर भी इनकी सेवाएं ली जाती हैं।

इन आईपीआर मैनेजमेंट के प्रोफेशनल लोगों की मेन ड्यूटीज हैं क्रि‍एटि‍व लोगों को नई क्रिएशंस विकसित करने के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान करवाने में प्रभावी भूमिका निभाना, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर में मार्गदर्शन देना, सृजन करने वालों के हितों की सुरक्षा, पेटेंट के डेटाबेस का रखरखाव, इस प्रकार की सूचनाओं का आदान-प्रदान और इस प्रोफेशन के लिए योग्य लोगों को ट्रेनिंग देना आदि है।

इनके लिए सरकारी एजेंसियों, फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री, कॉस्मेटिक्स एंड ब्यूटी प्रोडक्ट्स तैयार करने वाली कंपनियों, एवं डिजाइनिंग यूनिट्स, एग्रो बेस्ड यूनिट्स, लॉ कंपनियों, पब्लिशिंग हाउस, मीडिया कंपनियों तथा सॉफ्टवेर कंपनियों में इनकी जरूरत खासतौर पर पड़ती है।

अगर इनके लिए स्पेशियलीजेशन की बात करें तो विकल्पों में आईटी और टेलीकॉम टेक्नोलॉजी, फार्मास्यूटिकल एंड बायोटेक्‍नोलॉजी तथा एनर्जी, ऑइल एवं गैस टेक्नोलॉजी का नाम प्रमुख रूप से लिया जा सकता है। हालांकि फिलहाल आईटी और फार्मा के एक्सपर्ट्स की मांग ज्यादा है।

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