कोई हौवा नहीं है विज्ञान

टूटने न दें विज्ञान से नाता

Webdunia
- बकुला पारेख
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विज्ञान की मूलभूत जानकारी तथा इस क्षेत्र में हो रही नई खोजों के बारे में हम सबको पता होना चाहिए, भले ही स्कूल-कॉलेज में विज्ञान हमारा विषय न रहा हो।

विज्ञान के बढ़ते कदम हमारे संसार को अधिक आरामदेह ही नहीं बना रहे, बल्कि इसके रहस्यों की नित नई समझ भी हम में विकसित कर रहे हैं। अफसोस की बात यह है कि यह समझ केवल उन्हीं तक सीमित होकर रह गई है, जिन्होंने स्कूल-कॉलेज स्तर पर विज्ञान पढ़ा है व जिनका कार्य-व्यवसाय विज्ञान से जुड़ा है। जबकि विज्ञान हमारे दैनंदिन के जीवन को इस कदर प्रभावित करता है कि हममें से हर एक को इसकी कुछ समझ तो होना ही चाहिए। हमारी शिक्षा प्रणाली ऐसी है कि दसवीं के बाद जो बच्चे विज्ञान विषय न लेकर कला या वाणिज्य लेते हैं, वे इसके बाद विज्ञान संबंधी ज्ञान से वंचित ही रह जाते हैं।

तो क्या किया जाए कि बच्चों में विज्ञान के प्रति रुचि सदा बनी रहे? एक अभिभावक के नाते आप कुछ उपाय अपना सकते हैं, जिनसे आपके बच्चे में आजीवन वैज्ञानिक जिज्ञासा बनी रहे और वह इस क्षेत्र में हो रहे नित नए प्रयोगों, नई खोजों से अवगत रह सके :

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परिवार में जो भी सदस्य विज्ञान पढ़ा हो, उसे चाहिए कि वह अन्य सदस्यों को विभिन्न घटनाएँ वैज्ञानिक तरीके से समझाए। मिसाल के तौर पर पीलिया होने पर की जाने वाली झाड़फूँक को ही लें। हमारे यहाँ काफी बड़े तबके में आज भी यह धारणा प्रचलित है कि तंत्र-मंत्र से पीलिया दूर होता है। इस पर विश्वास करने वालों को एक प्रयोग करके समझाया जा सकता है।

चींटियों के झुँड पर 'मंतर' वाली झाड़ू फेरें और पूछें,'चींटियाँ मरीं?' जाहिर है, जवाब होगा,'नहीं।' अब चींटियों को मारने का पावडर उन पर छिड़कें। लीजिए, चींटियाँ मर गईं! इसी प्रकार किसी बीमारी के कीटाणु भी झाड़-फूँक से नहीं, दवाई से मरते हैं।

सूर्य व चंद्र ग्रहण को लेकर तरह-तरह के अंधविश्वास पालने वालों को समझाएँ कि ये घटनाएँ क्यों होती हैं और क्यों इनसे डरने की कोई जरूरत नहीं है। बच्चों को भी सचित्र पुस्तकों के माध्यम से ग्रहण लगने की प्रक्रिया समझाएँ।

कठोर उपवास करने वालों को समझाएँ कि अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार ही व्रत-उपवास करना चाहिए। कोई लक्ष्य पाने के लिए मेहनत करना होती है, उपवास करने मात्र से लक्ष्य हासिल नहीं होता। बच्चों को यह बात जरूर समझाएँ, खासतौर पर लड़कियों को।

आजकल विभिन्न प्रकार की शल्यक्रियाओं की सीडी निकाली जाती है। समझने लायक बच्चों को ऐसी सीडी दिखाकर उनमें विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ाई जा सकती है।

कहानियों की किताबें पढ़ने में अधिकांश बच्चों की रुचि होती है। इसी रुचि को विस्तार देकर उन्हें विज्ञान संबंधी पुस्तकें पढ़ने को दें। कई पुस्तकों में स्वयं कर सकने लायक आसान प्रयोग बताए जाते हैं। समय निकालकर बच्चों के साथ ये प्रयोग घर पर कीजिए। बच्चों को आनंद भी आएगा और उनका ज्ञान भी बढ़ेगा।

यदि आपका विषय विज्ञान न भी रहा हो तो बच्चों की पुस्तकें पढ़कर आप काफी कुछ समझ सकते हैं।

वैज्ञानिक शब्दावली को स्वयं समझें एवं बच्चों को भी सरल भाषा में समझाएँ, जैसे 'संक्रमण' क्या होता है, यह कैसे फैलता है या 'हारमोन' क्या होते हैं आदि।

विज्ञान कोई हौवा नहीं है, न ही कोई बोझ है जिससे बचने में ही अपनी भलाई समझी जाए। यह बात स्वयं भी समझें और उन बच्चों को भी जरूर समझाएँ, जो अपनी रुचि के चलते विज्ञान के अलावा कोई अन्य विषय ले रहे हैं। आगे की औपचारिक पढ़ाई तथा करियर के लिए वे चाहे जो विषय लें, लेकिन विज्ञान के साथ नाता हमेशा बनाए रखें।
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