संभव है जान-माल की रक्षा

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आज जहाँ एक ओर औद्योगिक विकास चरम सीमा पर है, वहीं दूसरी ओर औद्योगिक इकाइयों में दिन-प्रतिदिन घटने वाली दुर्घटनाओं एवं आपदाओं में भी निरंतर वृद्धि हो रही है। यूनियन कार्बाइड और बॉम्बे हाई दुर्घटनाएँ इसका ताजा उदाहरण हैं। औद्योगिक दुर्घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार ने प्रशासनिक नियमों का भी प्रावधान किया है।

कारखाना अधिनियम की धारा 1948 में 40-ख के अंतर्गत एक सेफ्टी ऑफिसर की नियुक्ति का प्रावधान रखा गया है एवं सभी राज्य सरकारों को ये निर्देश दिए गए हैं कि वे सरकार द्वारा तैयारकिए गए प्रादर्श नियमों एवं दिशा-निर्देशों के अनुसार सभी जोखिमपूर्ण कारखानों में सेफ्टी ऑफिसर की नियुक्ति सुनिश्चित करें, क्योंकि बिल्डिंग एवं अन्य कंस्ट्रक्शन कामगार (रेगुलेशन ऑफ एम्प्लायमेंट एंड कंडीशंसस ऑफ सर्विसेस) एक्ट 1996 के अंतर्गत एक सेफ्टी ऑफिसर की नियुक्ति अनिवार्य है।

औद्योगिक सुरक्षा का अर्थ होता है कारखानों में होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम, एक सुरक्षित वातावरण का निर्माण, सही तरीके से काम करने की तकनीक का प्रचार एवं प्रसार, औद्योगिक बीमारियों की रोकथाम तथा पर्यावरण सुरक्षा। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इसकी आवश्यकता बहुत महत्वपूर्ण है। भारत में प्रतिवर्ष 30,000 लोगों की कीमती जिंदगियाँ एवं हजार करोड़ रुपए की संपत्ति अग्नि दुर्घटनाओं में नष्ट हो जाती है।
  आज जहाँ एक ओर औद्योगिक विकास चरम सीमा पर है, वहीं दूसरी ओर औद्योगिक इकाइयों में दिन-प्रतिदिन घटने वाली दुर्घटनाओं एवं आपदाओं में भी निरंतर वृद्धि हो रही है। यूनियन कार्बाइड और बॉम्बे हाई दुर्घटनाएँ इसका ताजा उदाहरण हैं।      


अग्नि से होने वाली दुर्घटनाओं से न केवल जान-माल का नुकसान होता है, वरन हमारी साख व बाजारकी स्थिति भी खराब होती है। बीमा से हमें आर्थिक नुकसान की भरपाई तो हो सकती है, लेकिन मारे गए लोगों की भरपाई कदापि नहीं हो सकती है। यदि इन संस्थानों में फायर एंड सेफ्टी इंजीनियर्स की नियुक्ति की जाए तथा सभी कामगारों को सही प्रशिक्षण दिया जाए तो बहुत सारी दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है तथा दुर्घटनाओं से हम अपने कामगार साथियों एवं बहुमूल्य संपत्ति को बचाकर राष्ट्रीय विकास में योगदान दे सकते हैं।

अग्नि तथा संरक्षा अभियांत्रिकी शिक्षण हेतु महत्वपूर्ण संस्था न
* नेशनल फायर सर्विस कॉलेज नागपुर में फायर ऑफिसर एवं डिविजनल ऑफिसर के डिप्लोमा कोर्सेस चलाए जाते हैं।
* कॉलेज ऑफ फायर टेक्नोलॉजी अहमदाबाद में बीएससी फायर एवं आईटीआई इन फायरमैनशिप के कोर्स संचालित किए जाते हैं।
* कोचिन विश्वविद्यालय में सेफ्टी एवं फायर में बीटेक की डिग्री दी जाती है।
* दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ फायर इंजीनियरिंग दिल्ली में फायर एवं सेफ्टी के विभिन्न डिप्लोमा कोर्सेस चलाए जाते हैं।
* नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फायर इंजीनियरिंग नागपुर में फायरमैनशिप सब ऑफिसर्स कोर्स चलाए जाते हैं।
* आईआईटी खड़गपुर द्वारा सेफ्टी एंड डिजास्टर मैनेजमेंट का एमटेक कोर्स उपलब्ध है ।

अग्नि की दुर्घटना होने प र
* अलार्म को तुरंत बजाएँ।
* पास ही मौजूद अग्निशमन यंत्र से आग पर काबू पाने की कोशिश करें।
* जब आप आग पर काबू न पा सकें तो यहाँ पर सूचित करें।
* फायर ब्रिगेड - फोन 101
* पुलिस - फोन 100
* एम्बुलेंस - फोन 102
* आग के आसपास से सभी सामान को हटा दें ताकि आग को फैलने से रोका जा सके।
* बिजली बंद कर दें।
* जब आग काबू से बाहर हो जाए तो सभी लोग उस जगह से भाग जाएँ और उस जगह को खाली कर दें।

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