कर्नाटक के एक छोटे-से गाँव के पिछड़े वर्ग के प्रत्याशी मुत्यालाराजु रेवु ने उस समय संघ लोक सेवा आयोग की सर्वोच्च प्रतियोगी परीक्षा सिविल सर्विसेज एग्जामिनेशन में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया, जब पूरे देश में उच्च शिक्षा में ओबीसी के आरक्षण को लेकर बहस छिड़ी है।
आंध्रप्रदेश के कृष्णा जिले के छोटे-से गाँव के कृषक पुत्र 27 वर्षीय रेवु ने इस परीक्षा में 473 सफल प्रत्याशियों को पीछे छोड़ दिया, जिसमें सामान्य श्रेणी के 214 प्रत्याशियों ने मेरिट सूची में अपनी जगह बनाई थी। उसके चाचा वैंकन्ना जो कि आंध्रप्रदेश में पुलिसकर्मी हैं, इस सफलता का सारा श्रेय रेवु को ही देते हैं जो शुरू से ही मेधावी रहा है। इस परीक्षा में शीर्षस्थ स्थान पाने से पहले रेवु ने प्रतिष्ठित संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑ फ साइंसे स ( IISC) बंगलोर से इलेक्ट्रॉनिक्स में मास्टर्स उपाधि हासिल की है।
भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा में सफल होना प्रत्येक अभ्यर्थी का सपना रहता है। जब रेवु के परिवार को यह जानकारी मिली कि उनका बेटा इस प्रतिष्ठित परीक्षा का सिरमौर बन गया है तो सभी को अत्यधिक रोमांच का अनुभव हुआ। यह खबर वाकई इस पिछड़े वर्ग के परिवार के लिए एक बड़ी खबर थी। खुद मुत्यालाराजु रेवु भी रोमांचित था।
कर्नाटक के एक छोटे-से गाँव के पिछड़े वर्ग के प्रत्याशी मुत्यालाराजु रेवु ने उस समय संघ लोक सेवा आयोग की सर्वोच्च प्रतियोगी परीक्षा सिविल सर्विसेज एग्जामिनेशन में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया, जब पूरे देश में ओबीसी आरक्षण को लेकर बहस छिड़ी है।
दिल्ली के श्री राम'ज आईएएस कोचिंग सेंटर से अपनी कोचिंग करने वाले रेवु ने सेंटर पर अपने नामांकन फार्म में लिखा था कि वह भारतीय गाँवों की हालत सुधारना चाहता है। उसने लिखा था- 'मैं एक तटवर्ती गाँव से आया हूँ, जहाँ परिवहन, शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवाओं जैसी सुविधाओं का अभाव है। हमारे देश में हमारे गाँव जैसे ही कई गाँव हैं। मैं एक आईएएस अधिकारी के रूप में इन गाँवों के विकास का हिस्सा बनना चाहता हूँ।'
वर्ष 2007 की सिविल सर्विस परीक्षा में कोई 2 लाख प्रत्याशी शामिल हुए और अंतिम रूप से मात्र 474 छात्र सफल हुए। चयन दर मात्र 0.237 प्रतिशत थी। चयनित प्रत्याशियों में 373 पुरुष और 101 महिलाएँ हैं। सफल प्रत्याशियों की सूची में सामान्य श्रेणी के 214, ओबीसी के 144, अनुसूचित जाति के 80 तथा अनुसूचित जनजाति के 36 प्रत्याशी शामिल हैं। अक्टूबर-नवंबर 2006 की मुख्य परीक्षा और अप्रैल-मई 2007 के साक्षात्कार में कुल 18 विकलांग छात्र चयनित हुए, जिनमें सामान्य श्रेणी के 13, ओबीसी के 3 तथा अनुसूचित जाति के 2 विकलांग शामिल हैं।
सिविल सर्विस परीक्षा-2007 में मुत्यालाराजु रेवु के अलावा टॉप टेन में जगह बनाने वाले अन्य प्रतिभाशाली छात्र हैं :