सीईओ : जो सड़कों पर फुटवियर बेचता था

वेबदुनिया डेस्क

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शुक्रवार, 13 जुलाई 2012 (15:40 IST)
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' जहां चाह है वहां राह है,' यह कहावत हम सभी जानते हैं। यह कहावत पालाडोर फिल्म्स और वर्ल्ड मूवीज के सीईओ गौतम शि‍कनिस के लिए बिलकुल सटीक कही जा सकती है। वे ऐसे युवा उद्यमी हैं, जो युवाओं के लिए एक प्रेरणा हैं। गौतम शिकनिस संकल्प पर बने रहने के प्रतीक हैं।

गौतम शिकनिस की कहानी संघर्षों भरी है। गौतम शिकनिस ने अपना बिजनेस स्थापित करने के लिए लगातार प्रयास किए। इन प्रयासों में उन्हें असफलता भी हाथ लगी। गौतम शिकनिस ने जीवन में सफल होने के लिए किसी प्रकार के मौके का इंतजार नहीं किया।

गौतम का बचपन मुंबई की चाल में बीता। यहां वे जीवन के भयानक चेहरे से वाकिफ हुए। गौतम यहां रोज बच्चों को पिटते हुए देखते थे। चाल में होते खूनी संघर्ष को भी गौतम ने देखा। जब चार साल की उम्र में गौतम के हाथ कार ‍की खिड़कियों तक नहीं पहुंचते थे, तब वे ट्रैफिक सिग्नल पर फुटवियर बेचते थे।

गौतम के मन में कुछ बनने और करने की लगन ने उनकी ज्ञान की ललक को बढ़ाया। जानकारियों और ज्ञान पाने की जिज्ञासा ने ही उन्हें जीवन के प्रति विश्वास दिया। ज्ञान जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है। यह बात गौतम की मां जानती थीं। उनकी मां ने छ: साल की उम्र में ही गौतम को स्कूल में भर्ती कर दिया। इसके लिए मां को कई दिनों तक प्रिसिंपल के दरवाजे खटखटाने पड़े।

गौतम और उनके तीनों भाई-बहन तेज बुद्धि के होने से सभी को फुल स्कॉलरशिप मिली। गौतम हमेशा क्लास में फर्स्ट आते। उनके सबसे ‍अधिक अंकों रिकॉर्ड आज तक स्कूल में कायम है। सिम्बायोसिस पुणे और एनएमआईएमएस मुंबई से पढ़ाई पूरी करने के बाद गौतम ने एक एडवरटाइजमेंट एजेंसी में नौकरी कर बतौर करियर की शुरुआत की।

नौकरी में भी उन्होंने अपनी प्रतिभा परिचय देकर सफलता हासिल की। वह नौकरी गौतम की मंजिल नहीं थी। उन्होंने नौकरी छोड़कर देश की पहली कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेंट कंपनी खोली। एक टीवी चैनल के लिए उनकी कंपनी शॉपर्स स्टॉप के ग्राहकों को एसएमएस भेजना शुरू किया। यह एक नया आइडिया था। भारतीय उपभोक्ता ने भी इस तरह के मैसेज नहीं पढ़े थे।

इस नए विचार की मार्केटिंग उन्होंने पूरे जोर शोर से की। शादी डॉट कॉम से छ: साल पहले उन्होंने मेट्रिमोनियल्स डॉट नाम की कंपनी शुरू की थी, लेकिन तब कोई नेट से शादी पहुंचने की कल्पना ही नहीं कर पा रहा था। इसमें उन्हें असफलता हाथ लगी। उनका दूसरा आइडिया भी फ्लॉप रहा।

बाद में यह विचार खूब चला। आज शादियां करवाने के लिए ढेर सारी वेबसाइट चल रही हैं। दुकान डॉट कॉम के नाम से खोली ई-कॉमर्स कंपनी भी फ्लॉप हो गई। पर गौतम हार मानने वाले में से नहीं थे।

उन्होंने मोहन पोलामर के साथ मिलकर पालाडोर फिल्म्स नामक कंपनी बनाई। इस कंपनी के माध्यम से उन्होंने विदेशों की बेहतरीन फिल्मों को भारत के दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया। इसमें उन्हें सफलता हाथ लगी।

यह कंपनी डीवीडी, टीवी और फिल्मोत्सव के जरिए विश्व की श्रेष्ठ फिल्मों को भारतीय दर्शकों तक पहुंचाती है। उनकी कंपनी के पास 1000 से ज्यादा बेहतरीन फिल्में इकट्ठा हो चुकी हैं।

गौतम भी लगातार फिल्मोत्सव में भाग लेते हैं और विश्व के श्रेष्ठ फिल्मों पर नजर रखते हैं। उनकी सफलता की कहानी यह साबित करती है कि इंसान चाहे कितनी ही छोटी जमीन से क्यों न उठा हो, अगर वह कड़ी मेहनत करे तो आकाश को छू सकता है।

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