भाषाओं से बनाएँ करियर

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युवाओं को अब ऐसे करियर की तलाश रहती है, जिसमें सामान्य से कुछ अलग हो। ऐसा कुछ हो, जिसमें दुनिया भी घुमी जाए और साथ में अच्छा पैसा भी कमाया जा सके। युवा साथी अपने मन के करियर का चुनाव कर नहीं पाते और मजबूरन उन्हें भेड़ चाल चलना पड़ती है। ऐसे में कई बार युवा साथी कुछ वर्षों बाद अपने करियर से चिढ़ने लगते हैं और उन्हें आगे बढ़ने की कोई राह नजर नहीं आती।

इंटरप्रेटर यानी दुभाषिए का कार्य ऐसा है, जिसमें अब तक देश में ज्यादा कार्य नहीं होता था परंतु हाल ही के कुछ वर्र्षों में दुभाषियों की जरूरत कई स्तरों पर पड़ने लगी है। सरकार में लोकसभा-राज्यसभा से लेकर विदेश मंत्रालय में दुभाषियों की जरूरत काफी ज्यादा पड़ती है।

विदेश में जाने वाले कई मंत्री अपने साथ दुभाषिए जरूर ले जाते हैं। खासतौर पर चीन व कई योरपीयन देशों रूस आदि जाते समय इस बात का खास ख्याल रखा जाता है कि साथ में दुभाषिया भी हो। दुभाषिया बनने के लिए देश में जो परंपरा है वह है अनुवादक बनने की।

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सबसे पहले अनुवादक बन कर आप अपने आपको स्थापित करें और भाषा में महारात हासिल करें। वैसे भी आजकल चाहे विदेशी फिल्मों की हिन्दी या दूसरी भाषा में डबिंग हो या फैशन की नकल, इंटीरियर डेकोरेशन का काम हो या ड्रेस डिजाइनिंग, अनुवादक की हर जगह जरूरत पड़ रही है।

संसद की कार्यवाही को आम जनता तक पलक झपकते पहुँचाने का काम भी अनुवादक के जरिए ही संभव होता है। इसके जरिए हम कुछ वैसा ही अनुभव करते और सोचते हैं, जैसा दूसरा कहना चाहता है। एक-दूसरे को जोड़ने में और परस्पर संवाद स्थापित करने में अनुवादक की भूमिका ने युवाओं को भी करियर की एक नई राह दिखाई है।

इस क्षेत्र में आकर कोई अपनी पहचान बनाने के साथ-साथ अच्छा-खासा पैसा कमा सकता है। अनुवादक और इसी से जुडा इंटरप्रेटर युवाओं के लिए करियर का नया क्षेत्र है।

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अनुवाद का काम महज डिग्री व डिप्लोमा से ही सीखा नहीं जा सकता। इसके लिए निरंतर अभ्यास और व्यापक ज्ञान की भी जरूरत पड़ती है। यह दो भाषाओं के बीच पुल का काम करता है। अनुवादक को इस कड़ी में स्रोत भाषा से लक्ष्य भाषा में जाने के लिए दूसरे के इतिहास और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का भी ज्ञान हासिल करना पड़ता है।

एक प्रोफेशनल अनुवादक बनने के लिए आज कम से कम स्नातक होना जरूरी है। इसमें दो भाषाओं के ज्ञान की माँग की जाती है।

उदाहरण के तौर पर अँगरेजी-हिन्दी का अनुवादक बनना है तो आपको दोनों भाषाओं की व्याकरण और सांस्कृतिक व ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का ज्ञान जरूर होना चाहिए। करियर के लिहाज से देखें तो इंटरप्रेटर को लोकसभा में प्रथम श्रेणी के अधिकारी का दर्जा प्राप्त है। लोकसभा के अलावा ऐसे सम्मेलन, जहाँ अनेक भाषा के लोग होते हैं, उन्हें एक भाषा में कही गई बात को उसी समय दूसरी भाषा में बताने और समझाने का काम इंटरप्रेटर ही करता है।

सरकारी के अलावा विदेशी कंपनियों को किसी देश में व्यवसाय स्थापित करने या टूरिस्ट को भी इंटरप्रेटर की जरूरत पड़ती है। एक इंटरप्रेटर यहाँ भी स्वतंत्र रूप में अपनी सेवा दे सकता है। विदेश मंत्रालय में दूसरे देश के प्रतिनिधियों से होने वाली बातचीत या वार्तालाप को इंटरप्रेटर ही अंजाम देता है। भारत से अगर कोई शिष्टमंडल दूसरे देश में जाता है तो वहाँ भी इंटरप्रेटर साथ में चलता है।

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