मैनेजमेंट कला व विज्ञान दोनों है

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- डॉ. विवेकसिंह कुशवाह,
डायरेक्टर आईपीएस एकेडमी, इंदौर

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अक्सर देखने में आता है कि मैनेजमेंट की डिग्री प्राप्त युवाओं को यह नहीं पता होता कि आखिर मैनेजमेंट क्या बला है? अगर कैम्पस इंटरव्यू में उनसे मैनेजमेंट- क्या क्यों कैसे इस प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं, तब वे परिभाषा तो बता सकते हैं पर वे मैनेजमेंट के मूलभूत सिद्धांतों के माध्यम से कैसे समस्याओं को हल करेंगे?

मैनेजमेंट का सही अर्थ क्या है, यह नहीं बता पाते! दरअसल, मैनेजमेंट के मूल सिद्धांत हम अपनी जिंदगी में रोजाना प्रयोग में लाते ही हैं पर कॉर्पोरेट कल्चर में इन मैनेजमेंट के सिद्धांतों को परिस्थितियों की कसौटी पर नापा जाता है।

मैनेजमेंट के चार प्रमुख सिद्धां त

1 योजना बनाना
2 संगठित करना
3 निर्देशित करना
4 निगरानी रखना

मैनेजमेंट का मतलब केवल काम लेना या काम करने की योजना भर बनाना नहीं बल्कि इसे कला व विज्ञान दोनों कहा जाता है। मैनेजमेंट का मतलब लोगों को और अधिक कार्यशील बनाना यह कला हो गई और इसे कैसे कर सकते है यह विज्ञान हो गया।

यहाँ सबसे बड़ा प्रश्न यह उठता है कि किसी भी कंपनी या उद्योग में आखिर मैनेजमेंट करने वाले मैनेजर की जरूरत ही क्यों पड़ती है? इसका सबसे अच्छा उदाहरण है कि किसी भी कंपनी में चार कर्मी मिलकर आठ घंटे की एक शिफ्ट में प्रतिदिन 6 इकाइयाँ बनाते थे। अब अगर वहाँ कंपनी ने मैनेजर रखा और उत्पादन वही है तब मैनेजर की जरूरत ही नहीं। 6 की जगह 8 इकाइयाँ बनती हैं तब मैनेजर वहाँ काम कर रहा है यह सिद्ध होता है।

यह बात केवल उद्योग पर लागू नहीं होती बल्कि सेवा-क्षेत्र, रिटेल व अन्य क्षेत्रों में भी मैनेजमेंट की यही बात लागू होती है।जिस तरह से आजादी के बाद हरित क्रांति के कारण कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन आया उसी तरह से औद्योगिक क्रांति के कारण भारत ने अपना परचम विश्व में लहराया है।

भारतीय उद्योग जगत ने पश्चिम को बताया है कि प्रबंधकीय विशेषज्ञता में वह भी उनसे कंधे मिला सकता है। आज कई बहुराष्ट्रीय भारतीय कंपनिया ने विदेशों में जाकर अन्य बहुराष्ट्रीय कंपनियों से न केवल टक्कर ली है बल्कि उनसे ज्यादा अच्छे परिणाम दिए हैं। टीसीएस, इंफोसिस, आईसीआईसीआई, महिन्द्रा, टाटा आदि कंपनियाँ इसकी उदाहरण हैं।

इन कंपनियों की सफलता के पीछे सबसे बड़ा कारण है इनकी प्रबंधकीय विशेषज्ञता। आज के इस आधुनिक युग में उद्योग लगाना काफी आसान हो गया है क्योंकि उद्योगों को अनुमति देने से लेकर इसे फाइनेंस करने के लिए तमाम तरह की सुविधाएँ उपलब्ध हैं और काफी कम समय में आप उद्योग लगा सकते हैं। पर सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है उस उद्योग को प्रबंधकीय कौशल से चलाना और विकास के पथ पर तेज गति से दौड़ाना।

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