अमिषा पटेल : हैप्पी बर्थ डे!

ग्रहों का गोचरीय भ्रमण ठीक नहीं रहेगा

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
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कहो ना प्यार है से फिल्मी सफर शुरू करने वाली अमिषा पटेल का जन्म 9 जून 1976 को तुला राशि व चंद्र लग्न में हुआ। तुला लग्न वाले जातक इकहरे बदन के होते हैं। सुन्दर होने के साथ-साथ इनमें कला के गुण भी मौजूद रहते हैं। इनकी आंखें और चेहरा भी सुंदर होता है।

आपके चंद्र लग्न में लग्न का स्वामी शुक्र अष्टम भाव में स्वराशि का होने से बहुत उत्तम परिणाम का कारक नहीं बना। जितनी अन्य अभिनेत्रियों को सफलता मिलीं, उतनी आपको नहीं मिल पाईं।

आपकी पत्रिका में ग्रहण योग भी है। चंद्र-राहु के साथ यह ग्रहण है, जो कहीं न कहीं मन को विचलित भी करता है। चंद्र चंद्र लग्न से दशम व्यापार, उच्च व्यवसाय भाव का भी स्वामी है और वहीं पर शनि-मंगल की युति भी है। इसके फलस्वरूप आपको फिल्मी दुनिया में अधिक समय तक बरकरार नहीं रख सकेगा।

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शनि जहां चंद्र लग्न से चतुर्थ भाव जनता से संबंधित होकर पंचमेश मनोरंजन भाव का भावधिपति भी है व मंगल सप्तमेश दैनिक व्यवसाय, पति व द्वितीय धन, कुटुंब, वाणी भाव का स्वामी पापयुक्त होने से दाम्पत्य जीवन में भी प्रभाव डालेगा एवं दैनिक कार्यों में भी नुकसानप्रद रहेगा।

मंगल की चतुर्थ शत्रु दृष्टि चंद्र लग्न पर पड़ने से स्वयं को प्रभावित भी करेगा, जिसके फलस्वरूप आपके प्रयासों में कमी आएगी। शनि की तृतीय व सप्तम दृष्टि मित्र व स्वदृष्टि पड़ने से बाहरी संबंध व जनता के बीच संबंध बनाए रखने में सहायक होगा। शनि को प्रभावी बनाने हेतु कच्ची जमीन पर सरसों का तेल एक चम्मच प्रति शनिवार को गिरावे इससे शुभ परिणाम मिलेंगे।

भाग्य व द्वादश भाव का स्वामी बुध एकादश भाव के स्वामी सूर्य के साथ होकर चंद्र लग्न से अष्टम होने से भी लाभकारी नहीं रहता। अतः आपको सव्वा पाव मूंग हरे कपडे़ में बांधकर किसी भी मन्दिर में बुधवार को चढ़ाने से बुध लाभकारी होकर भाग्यवर्धक रहेगा। आर्थिक लाभ बढ़ाने हेतु अपने बडे़ भाई को माणिक पहनाएं।

आपकी पत्रिका में गुरु सप्तम भाव में मेष का केतु के साथ होने से बलवान तो है लेकिन अपना शुभ प्रभाव देने में असमर्थ है, राहु की दृष्टि जो पड़ रही है। अतः आपको एक भूरा कंबल श्मशान में रह रहे व्यक्ति को दान में दें। इस प्रकार राहु का गुरु पर बुरा असर नहीं रहेगा।

शनि का 16 नवंबर से तुला पर आने से आपकी पत्रिका में चंद्र लग्न से लग्न पर भ्रमण करने से भी विशेष प्रभावी नहीं रहेगा क्योंकि शनि की सप्तम नीच दृष्टि सप्तम भाव पर पड़ने से या तो विवाह में बाधक बनेगा या फिर फिल्में दिलाने में सहायक नहीं रहेगा।

शनि की दशम दृष्टि भी शुभ नहीं रहेगी। शनि यहां से मंगल पर दृष्टिपात करेगा जो कि कहीं ना कहीं अशुभ फल देगा। शनि के कुप्रभाव से बचने के लिए प्रति शनिवार को एक चम्मच सरसों का तेल कच्ची जमीन पर अवश्य गिराएं।

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