ए. राजा यानी घोटालों का राजा

मंगल-शनि की वजह से फँसे राजा

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
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सरकार, जहाँ महँगाई से निपटने में नाकाम रही...। वहीं भ्रष्टाचार और घोटाले सरकार के गले की हड्डी बनते जा रहे हैं। एक लाख 76 हजार करोड़ के घपले में ए. राजा संचार मंत्री पद से हाथ धो बैठे। आखिर एक नेता की कैसे इतनी बिसात हो जाती है कि इतने बड़े घोटाले को अंजाम दे सके!

आइए जानें क्या कहती है ए. राजा की जन्म कुंडली

ए. राजा का जन्म 10 मई 1963 में तमिलनाडु में मेष लग्न में हुआ। मेष लग्न में जन्मे जातक मध्यम कदकाठी के होते है। इनकी पत्रिका में लग्न में उच्च का सूर्य पंचमेश होकर बैठा होने से महत्वाकांक्षाएँ बढ़ी-चढ़ी रही, लेकिन लग्नेश नीच का होकर जनता भाव में होने से राजा ने जनता से संबंधित संचार माध्यम में इतना बडा़ भ्रष्टाचार कर डाला। वैसे इतना बडा़ भ्रष्टाचार किसी अकेले व्यक्ति की बात नहीं, 3000 हजार करोड़ की रिश्वत का आरोप भारत के इतिहास में किसी भी नेता पर नहीं लगा।

बुध पराक्रम व संचार भाव (तीसरा) व शत्रु भाव (छठा) का स्वामी होकर धन की बचत व वाणी भाव (द्वितीय) में धन के कारक शुक्र की राशि वृषभ में होना ही घपलों को जन्म देता है। क्योंकि संचार भाव (तृतीय) में उच्च का राहु उच्च आकाँक्षा को जन्म देता है। यह योग भी राजा की हिम्मत बढ़ाने में सहायक हुआ। पराक्रम व मित्र भाव में राहु होने से राजा ने मित्रों को भरपूर लाभ दिलवाया, यह जगजाहिर है।

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सूर्य लग्न से शुक्र द्वादश में अपार धन संपत्ति का कारक होता है। यह राजनीति में जाने के लक्षण भी दर्शाता है। दशम भाव में शनि शश योग बना रहा है जो कारक भाव में है वहीं शनि की तृतीय दृष्टि शुक्र पर पड़ रही है।

राशि स्वामी चन्द्र मन का कारक है, लेकिन नीच का है। वहीं मंगल भी नीच का होने से परम नीच के योग बने। राजा की पत्रिका में गजकेसरी योग भी है लेकिन नीच के चन्द्र से बनने के कारण यह शुभफलदायी नहीं रहा। सबसे खराब योग शनि-मंगल का दृष्टि संबंध है, जो राजा के घोटालों के पर्दाफाश का कारण बना और अंतत: ले डूबा।

शनि-मंगल का अनुभव है कि वह कड़ी सजा देते हैं। जाहिर है अब राजा जेल पहुँच गए हैं और राजनीति में भी सितारा अस्त होना तय है।

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