क्या कहते हैं करिश्मा के सितारे...

आगामी ढाई वर्ष कठिन सा‍बित होंगे

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
WD

कपूर खानदान कलाकारों की जन्म स्थली है। इस खानदान में एक से बढ़कर एक कलाकार हुए। करिश्मा के खुद दादाजी एक महान कलाकार के साथ-साथ निर्माता-निर्देशक भी थे। उन्होंने कई नई अभिनेत्रियों को जन्म दिया। उनके पिताजी पृथ्वीराज कपूर भी अपने जमाने के महान कलाकारों में से एक थे।

उन्हीं के खानदान से प्रसिद्ध कलाकार रणधीर कपूर व बबीता की बडी़ बेटी और सफल अभिनेत्री करिश्मा कपूर ने 25 जून को 37वें वर्ष में प्रवेश किया। आइए जानते हैं क्या कहते हैं आपके सितारे-

किसी भी जातक के वर्ष भर के बारे में जानना हो तो चंद्र कुण्डली से देखना चाहिए व गोचर ग्रहों की स्थिति चंद्र कुण्डली में कहां है व किस ग्रहों के ऊपर से गोचर भ्रमण हो रहा है, किस ग्रह पर जन्म समय के ग्रहों पर दृष्टि पड़ रही है। गोचर ग्रहों में गुरु जो 13 माह एक राशि पर रहता है वहीं राहु 18 माह व शनि पूरे ढ़ाई वर्ष एक ही राशि पर रहता है। उन्हीं का प्रभाव सबसे अधिक उस जातक पर पड़ता है।

आपका फिल्मी सफरनामा प्रेमकैदी से शुरू हुआ। आपकी अनेक फिल्में हिट भी रहीं। आपके जन्म के समय मंगल जो ऊर्जा का कारक होकर साहस बल का भी कारक है व स्वराशि मेष का है। वहीं गुरु ज्ञान, धर्म, महत्वाकांक्षा का कारक है वो भी स्वराशि मीन का है। और यही ग्रह आपके अभिनय क्षेत्र में सहयोगी रहे। जबकि शुक्र कला का कारक व चंद्र कुण्डली से पंचमेश व दशमेश होकर सप्तम भाव दैनिक व्यवसाय व दाम्पत्य जीवन के भाव में शत्रु राशि कर्क का होकर बैठा है और यह आपके दाम्पत्य जीवन में बाधा का भी कारण बनता है।

चंद्र-शुक्र का दृष्टि संबंध कला के क्षेत्र में सफलता का रहता है जो आपकी पत्रिका में है। चंद्र लग्न से आप मांगलिक है वहीं सप्तम भाव पर नीच दृष्टि पड़ रही है लेकिन चंद्र का लग्न में होना और लग्न से सप्तम भाव को स्वदृष्टि से देखना तलाक के कारण को नष्ट भी करता है और इसी कारण से बार-बार तलाक की नौबत आई, लेकिन तलाक नहीं हुआ। यही तो ग्रहों की माया है।

अभी वर्तमान में राहु-केतु की गोचरीय से भी वहीं स्थिति है, जो जन्म के समय है। गुरु वर्तमान में मेष राशि से भ्रमण कर रहा है जो चंद्र लग्नानुसार चतुर्थ भाव से गोचर भ्रमण है, सो अभी आपका प्रभाव बना रहेगा। शनि का भ्रमण कन्या राशि से है, जो भाग्य से गोचरीय भ्रमण कर रहा है।

जब शनि उच्च का होगा तब चंद्र लग्न से दशम भाव पर से भ्रमण करेगा जिसकी चतुर्थ भाव पर बैठे मंगल पर दशम भाव से पूर्ण दृष्टि 16 नवंबर से पड़ेगी। इस समय शनि, मंगल का दृष्टि संबंध बनेगा और यही समय आपके लिए ठीक नहीं रहेगा। इस समय से ढाई वर्ष काफी सावधानी पूर्वक चलने के रहेंगे।

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