हर्षवर्धन के जन्म के समय योगकारी मंगल अष्टम भाव में है जो राज्य सुख देने में रूकावटों को पैदा कर सकता है।
मंगल का वर्तमान में सिंह का गोचरीय भम्रण चल रहा है, जिसकी जन्म के समय बैठे मंगल पर सप्तम दृष्टि पड़ रही है। जो प्रबल रूप से मंगल के शीत प्रभाव को बढ़ा रहा है।
गुरु जन्म के समय उच्च का होकर वक्री है और लग्न में भी है। वर्तमान में गुरु द्वादश भाव से गोचरीय भ्रमण कर रहा है यह भाग्य का व्यय स्थान भी है। इधर शनि महाराज उच्च के होकर चतुर्थ भाव से गोचरीय भ्रमण कर रहे हैं।
हर्षवर्धन जीत तो जाएंगे लेकिन सत्ता में आना मुश्किल है। शनि उनके जन्म के समय उच्च का होकर चतुर्थ भाव में है। जिसकी दशम भाव पर नीच दृष्टि है।
इस प्रकार से देखा जाए तो जन्म व गोचर दोनों से नीच की दृष्टि है और इसी कारण आपको सत्ता के लिए भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
दिल्ली इस बार स्पष्ट बहुमत से सभी को दूर रखेगी। जोड़तोड़ की ही राजनीति में जो भारी पड़ेगा, वही सत्ता के गलियारे तक पहुंचेगा।