भाग्य भाव का स्वामी नीच का अवश्य है, लेकिन शत्रु भाव पर उच्च दृष्टि के पड़ने से सफलता भी दिलाता है। इधर चन्द्र व गुरु का संयोग गजकेसरी योग भी बन रहा है। ऐसा योग जो शत्रुओं पर विजयी बनाकर राजसुख का कारण बने, वह राज्यवर्धन की पत्रिका में है।
दशम भाव में यदि राहु हो तो राजनीति में जाना तय है। राज्यवर्धन के जन्म के समय राहु की स्थिति दशम भाव पर कुंभ में है अत: जीत में किसी तरह की बाधा नहीं आएगी।
राज्यवर्धन के सितारे बुलंद है, साहस की वृद्धि कर रहे हैं, शत्रुओं के संहारक हैं। राज्यवर्धन को कुंडली के शुभ योग लोकसभा में पहुंचा सकते हैं ।