वरुण गाँधी : अवसर गँवा सकते हैं

ग्रहों का संकेत : बिना सोचे-समझे ‍बोलने से बचें

भारती पंडित
NDND
वरुण गाँधी अब राजनीति में जाना-पहचाना नाम बनता जा रहा है। स्व. संजय गाँधी व मेनका गाँधी के पुत्र में परिवारगत नेतृत्व क्षमता स्वयमेव ही झलकती है। वरुण का जन्म 13 मार्च 1980 की रात 9 बजे के लगभग हुआ। तुला लग्न और मकर राशि में जन्में वरुण जन्मजात प्रतिभा के धनी हैं।

लग्नेश शुक्र की लाभ पर पूर्ण दृष्टि उच्च अभिरुचि व आकर्षक व्यक्तित्व का बना रही है। दशमेश चंद्र चतुर्थ में है जो माता के सहयोग का द्योतक है, पारिवारिक व्यवसाय अपनाने को भी इंगित करता है। तृतीयेश गुरु बलवान होकर एकादश में है जो मित्रों, सम आयु वर्ग से प्रेम व लाभ के योग बना रहा है।

  वर्तमान में शनि मूल स्थान से बारहवाँ है। गुरु-राहु युति स्वराशि में है जो दशम को भी प्रभावित कर रही है। ऐसे में वरुण विवाद में फँसकर हाथ आया अवसर पाकर गँवा सकते हैं।      
हालाँकि गुरु के साथ राहु व मंगल की युति है और सभी पंचम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखते हैं। मंगल जहाँ असीमित ऊर्जा का द्यो‍तक है, राहु चतुरता व व्यावसायिक समझ, तालमेल-उधेड़बुन करने की समझ देता है। गुरु का प्रभाव अच्छा वक्ता बना रहा है और पंचम में उपस्थित बुध वाकपटुता भी दे रहा है।

चुनावी संदर्भ में देखें तो अभी वरुण राहु महादशा से गुजर रहे हैं। दशमेश चंद्र का अंतर नवंबर 09 तक है, तत्पश्चात मंगल का अंतर मार्च 10 तक है। इस अवधि में तात्कालिक चुनावों में वरुण भले ही सफल हो जाएँगे मगर यह सफर किसी विशेष ताजपोशी में नहीं बदलेगा। हाँ, अपने जनकार्यों के लिए, संपर्क के लिए वरुण जनता में लोकप्रिय रहेंगे और जनता से विशेषत: महिला वर्ग से स्नेह-समर्थन मिलता रहेगा। 2010 से प्रारंभ होने वाली गुरु महादशा इनकी राह का रोड़ा बन सकती है अत: सोच-समझकर कदम उठाना यही ग्रहों का संकेत है।

वर्तमान में वरुण गाँधी विवाद में चल रहे हैं। वाणी भाव के मंगल की मूल पत्रिका में गुरु राहु के साथ युति है जो बिना सोचे-समझे ‍बोलना या कटु बोलने की प्रवृत्ति दिखाती है।

व्यय भाव में कन्या का शनि है जो विवादग्रस्त व्यक्तित्व बनाता है। साथ ही कोर्ट-कचहरी प्रकरण में भी उलझाता है। वर्तमान में शनि मूल स्थान से बारहवाँ है। गुरु-राहु युति स्वराशि में है जो दशम को भी प्रभावित कर रही है। ऐसे में वरुण विवाद में फँसकर हाथ आया अवसर पाकर गँवा सकते हैं।

Show comments

ज़रूर पढ़ें

जगन्नाथ रथयात्रा 2025: क्या है जगन्नाथ मंदिर का इतिहास, कितना प्राचीन है यह मंदिर?

12 साल बाद मिथुन में गुरु और सूर्य की युति पर राहु की नजर से होगा 3 राशियों को लाभ, 5 राशियों को नुकसान

इजराइल- ईरान युद्ध के बीच बाबा वेंगा की इस भविष्यवाणी से डर गई है दुनिया

क्या पहले होती थी जगन्नाथ पुरी में प्रभु श्रीराम की पूजा?

इक्ष्वाकु वंश के कुल देवता भगवान जगन्नाथ के धाम को क्यों माना जाता है चार धामों में सबसे खास?

सभी देखें

नवीनतम

27 जून 2025 : आपका जन्मदिन

27 जून 2025, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

श्रावण के साथ ही शुरू होगी कावड़ यात्रा, जानें क्या करें और क्या न करें

गुप्त नवरात्रि में कौन से मंत्र पढ़ने चाहिए?

26 जून से प्रारंभ होगी गुप्त नवरात्रि, जानें घट स्थापना के मुहूर्त, कैसे करें देवी आराधना और लग्नानुसार फल