थरूर: क्या कहता है ग्रहों का खेल

राहू-शनि ने तोड़ा गुरुर : शशि थरूर

भारती पंडित
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आईपीएल मामले से अचानक सुर्खियों में आए पूर्व विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि इतनी सधी हुई बाजी खेलने के बाद भी उनका भांडा इस प्रकार फूटेगा। बात इस कदर बढ़ जाएगी कि उन्हें पद से भी हाथ धोना पड़ेगा। शशि थरूर की सूर्य कुंडली का अवलोकन करने के बाद यह पता चलता है कि इनका भांडा फोड़ने में और इस राह पर ला खडा़ करने में शनि और राहू ने मुख्य भूमिका निभाई है।

9 मार्च 1956 को लंदन में जन्मे शशि को बचपन से ही अच्छी ग्रह स्थिति का लाभ मिला और इसके चलते इनकी शिक्षा अच्छे स्तर पर हुई। कुंभ लग्न और मकर राशि की कुंडली में बुध लग्न में होने से वाक् चातुर्य मिला। शुक्र की तृतीय स्थिति ने लेखन का कौशल दिया और गुरु और मंगल की दशाओं में खूब पुरस्कार भी मिले।

लग्नेश चन्द्र की व्यय स्थिति ने देश-विदेश में रहने और काम करने का मौका दिया। चतुर्थ-दशम में स्थित केतु-राहू ने राजनीति में जमने का अवसर दिया। शनि-राहू के साथ है मगर शत्रु राशि में होने के कारण कुछ बिगाड़ नहीं पा रहा था अतः सभी घोटालों के चलते भी शशि किसी बड़े विवादों में नहीं फँस पाए। लेकिन समय-समय पर उनके नाम ने मीडिया की सुर्खियाँ भी बटोरी।

2001 से शनि की महादशा शुरू है और 2009 से शनि में क्रमश: शुक्र और राहू का प्रत्यंतर चला है, जिसने न केवल जनता का समर्थन छीन लिया वरन शुक्र के कारण विवाद की वजह एक स्त्री ही बनी। और अब शशि सुनंदा पुष्कर को अपनी तीसरी जीवनसंगिनी बनाने जा रहे है। जिसकी तैयारियाँ जोरों पर चल रही है।

राहू के द्वारा शशि की सत्ता छीन गई। शनि ने कानूनी कार्यवाही के रूप में खेल दिखाया। अभी दिसंबर 10 तक तो हल निकलता दिखता ही नहीं है, उसके बाद भी 2011 तक बुध का अंतर है जो विशेष काम आता दिखाई नहीं देता। राजनीति छोड़ने का मन बन सकता है और लेखन की तरफ फिर झुक सकते है। कुल मिलाकर 2012 तक ग्रह साथ नहीं देंगे। गोचर में भी गुरु शनि फलदायक नहीं है अतः शशि का भविष्य अनिश्चित ही है।

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