आप सक्रिय राजनीति में 1971 में आए व राघौगढ़ नगरपालिका अध्यक्ष बने। 1984, 1992 में आपको लोकसभा चुनाव में विजय मिली। 1993 और 1998 में आपने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
दिग्विजय के जन्म के समय सूर्य लग्न में शनि की राशि कुंभ में है अत: आपका जीवन कहीं ना कहीं किसी भी रूप में चर्चित रहा। राजनीति यानी दशम भाव का स्वामी मंगल वक्री होकर सप्तम से दशम भाव को देखने के कारण ही आप दस साल तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।
सूर्य-मंगल का समसप्तक योग राजनीति के लिए उत्तम होता है लेकिन दशम का मंगल वक्री होने से हानि भी देता है। राजनीति के उच्च शिखर तक पहुंचना मुश्किल है।
दिग्विजय वाणी से चतुर है। वाणी भाव में भाग्येश उच्च का शुक्र व वाणी भाव का स्वामी गुरु एकादश लाभ भाव में स्वराशि का होने से हमेशा वाणी की वजह से चर्चा में रहे।
तृतीय भाव में मेष का राहु होने से दिग्विजय विरोधियों पर भारी पड़ते हैं। शनि वर्तमान में उच्च का होकर नवम से वक्र गति से भ्रमण कर रहा है व जन्म के समय भी वक्री ही है अतः आपका सफल होना संदिग्ध ही रहेगा।