संजय दत्त : राजनीति में होंगे कामयाब

राजनीति के लिए लग्नेश मंगल दशम में शुभ

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
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संजय दत्त के नाम पर इतना बवाल क्यों? क्या ये ही अकेले ही खलनायक है? इन जैसे अनेक संसद में होगें, ये सब आए दिन हम अखबारों की सुर्खियों में पढ़ते रहते हैं। शिबू सोरेन का नाम भी उछला और जेल की यात्रा का स्वाद चखा। ऐसे कई सांसद हैं, जो प्रकाश में न आए हो लेकिन बाहुबली के रूप में तो आज मौजूद भी हैं।

टाडा से जमानत पाए संजय दत्त आखिर क्यों नहीं चुनाव लड़ सकते? क्या फूलन देवी चुनाव नहीं लड़ी थी? मलखान सिंह भी चुनाव लड़ चुके है, तो फिर संजय दत्त अकेले गुनाहगार नहीं हैं। या तो चुनाव आयोग को पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा देना चाहिए कि कोई भी ऐसा शख्स चुनाव न लड़ सके जिस पर किसी भी प्रकार का मुकदमा चलता हो या चल चुका हो। सभी पार्टियों को भी इस बात ध्यान रखना चाहिए ताकि कोई भी शख्स गरिमामयी संसद में अंवाछित तत्व के रूप में नहीं पहुँचने न पाए।

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क्या संजय दत्त चुनाव लड़ेगें और यदि चुनाव लड़ते है तो उनका हश्र क्या होगा? आ इए जानें क्या कहते है उनके सितारे-

आप प्रसिद्ध अभिनेता एवं सांसद सुनील दत्त व अभिनेत्री तथा राज्यसभा सदस्य रह चुकी नर्गिस दत्त के पुत्र हैं। आज के सफल अभिनेता 'मुन्नाभाई' का जन्म 29.7.1959 में दोपहर तीन बजे वृश्चिक लग्न तुला नवांश में मुंबई में हुआ। वृश्चिक लग्न वाले जातक हष्ट-पुष्ट शरीर वाले, कुछ उग्र स्वभाव और उत्तम कदकाठी के होते है। आपकी पत्रिका में लग्नेश व षष्टेश मंगल दशम राज्य भाव में सूर्य कि मित्र राशि सिंह में होकर सप्तमेश व द्वादशेश शुक्र के साथ है।

मंगल की लग्न पर चतुर्थ स्वदृष्टि पड़ने से आपमें साहस प्रचुर मात्रा में है, लेकिन यही साहस का सदुपयोग नवांश में नीच का मंगल होने से आप नहीं कर पाएँ। भाग्येश चन्द्र की लग्न पर नीच दृष्टि ने भी आपको छला और यही कारण है कि आपका नाम आतंकवाद से जुड़े लोगों के साथ कुख्यात बना। पंचमेश व धनेश गुरु द्वादश में शत्रु शुक्र की राशि में होने से आपका दिमाग खुरापाती रहा इस वजह से आपने जेल की हवा भी खाई।

ग्रह की महिमा से न तो राजा बचा न रंक तो अभिनेता नेता किस खेत की मूली है। चन्द्र की राशि में सूर्य व बुध वैसे भी शुभ परिणाम नहीं देते। वैसे देखा जाए तो आपकी राशि वृषभ है जो मन के कारक चंद्र की उच्च राशि है। इसी कारण से देर से ही सही फिल्मी सफर में सफल हो गए। आपके साथ दाम्पत्य जीवन में जो उतार चढ़ाव आया उसकी वजह शुक्र का नीचाभिलाषी रहना था। राजनीति के मामलों में देखा जाए तो दशम भाव में मंगल का मित्र राशि में होना सफलता का कारक बन सकता है। आपकी पत्रिका में मंगल ही दबंगता व सफलता में सहायक रहा व आगे भी सहायक रहेगा।

भगवान भी एक बार इंसान को सुधरने का मौका देता है तो इंसान क्यों नहीं दे सकता? आपके अलावा यदि मान्यता चुनाव लड़े तो जीत पाना मुश्किल है।
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