नवरात्रि में भक्ति की ज्योत जलाएँ!

नवरात्रि : देवी का महापर्व

- पं. प्रेमकुमार शर्मा
ND

अंधकार से प्रकाश की ओर, अमंगल से मंगल की ओर ले जाता है देवी का महापर्व नवरात्रि। शरद ऋतु के आगमन के साथ ही नवरात्रि के आने के संकेत मिल रहा है। यह एक ऐसा शुभ व मांगलिक संकेत है जिसमें आदिशक्ति जगदम्बा भवानी की पूजा अर्चना कर व्यक्ति विभिन्न कष्टों से छूट जाता है। स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यवसाय, रोजगार, संतान, धन, सम्पत्ति, सम्मान, पद, गरिमा को प्राप्त कर जीवन के अंतिम लक्ष्य मोक्ष को प्राप्त कर लेता है।

यूँ तो हर रोज पूजा-अर्चना का क्रम चलता है। किन्तु यह नौ विशेष रात हर श्रद्धालु के लिए खास अवसर है दैवीय कृपा प्राप्त करने का। माँ जगदम्बा ने अपने नौ रूपों को सिर्फ और सिर्फ भू तथा देव-लोक में व्याप्त आसुरी शक्ति के विनाश व भक्तजनों के कल्याण के लिए ही प्रकट किया।

रक्तबीज व महिषासुरादि दैत्य जब सम्पूर्ण संस्कृति व संस्कारों को नष्ट कर विविध प्रकार के अत्याचार से भू एवं देव-लोक को तबाह करने लगे तो देव गणों ने एक अद्भुत शक्ति का सृजन किया जो आदि शक्ति माँ जगदम्बा के नाम से सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में व्याप्त हुईं।

उन्होंने दैत्यों का वध कर संपूर्ण लोक में पुनः प्राण व रक्षाशक्ति का संचार किया। बिना शक्ति की इच्छा एक कण भी नहीं हिल सकता है। त्रैलोक्य दृष्टा शिव भी (इ की मात्रा, शक्ति) के हटते ही शव (मुर्दा) बन जाते हैं। अर्थात्‌ देवी भागवत, सूर्य पुराण, शिव पुराण, भागवत पुराण, मार्कंडेय आदि पुराणों में शिव व शक्ति की कल्याणकारी कथाओं का अद्वितीय वर्णन है।

ND
नवरा‍त्रि का पर्व वर्ष में दो बार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तथा अश्विन शुक्ल प्रतिपदा को आता है। जिसे ग्रीष्मकालीन व शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है। वर्षा के पश्चात्‌ शीतऋतु दस्तक देने लगती हैं, जो धान, ज्वार, बाजरा जैसी कई खरीफ की फसलों के तैयार होने और खेतों में रबी की फसलें लहलहाने के लिए मंगल संकेत देती है।

इसी समय ऋतृ परिवर्तन व मौसम के बदलाव से कई तरह की बीमारियों से जनमानस पीड़ित होने लगता है। इन्हीं बीमारियों से मुक्त होने के लिए लोग नौ दिनों तक विशेष पवित्रता व स्वच्छता को महत्व देते हुए नौ देवियों की आराधना में हवनादि यज्ञ क्रियाएँ करते हैं। यज्ञ क्रियाओं द्वारा पुनः वर्षा होती है जिससे धन, धान्य व समृद्धि की वृद्धि होती है। वैदिक मंत्रों द्वारा सम्पन्न हवनादि क्रियाएँ शारीरिक, दैविक, भौतिक, सभी प्रकार के कष्टों को दूर करती हैं। भगवान श्रीराम ने भी आदि शक्ति जगदम्बा की आराधना कर अत्याचारी रावण का वध किया था।

माँ 'दुर्गा' की पूजा का सबसे प्रामाणिक व श्रेष्ठ आधार 'दुर्गा सप्तशती' है। सात सौ श्लोकों के संग्रह के कारण इसे सप्तशती कहते हैं। नवरात्रि में श्रद्धा एवं विश्वास के साथ नियमित शुद्वता व पवित्रता से दुर्गा सप्तशती के श्लोकों द्वारा माँ-दुर्गा की पूजा की जाए तो निश्चित रूप से आस्थावान भक्त अपने मनोवांछित फल प्राप्त करता है।

दुर्गा-सप्तशती के कुछ सूक्ष्म पाठों को कम समय में करके कोई भी भक्त मनोवांछित फल प्राप्त कर सकता है। इसी तरह दुर्गा कवच, अर्गला स्त्रोत्र, कीलक स्त्रोत्र, रात्रिसूक्त, देवी सूक्त, अपराध क्षमा-प्रार्थना, अपराध क्षमा-स्त्रोत्र ऐसे हैं। जिन्हें किसी भी स्थान, देशकाल व परिस्थिति में करके मनोवांछित फल अधिक शीघ्रता से प्राप्त किया जा सकता है।


स्वस्थ्य जीवन, सुखद परिवार व शक्ति, शत्रु से विजय और आरोग्यता के लिए माँ भगवती की आराधना प्रत्येक व्यक्ति को श्रद्धा व विश्वास के साथ करनी व करानी चाहिए।

इस पूजा में पवित्रता, सदभाव, नियम व संयम तथा ब्रह्मचर्य का विशिष्ट महत्व है। क्रोध, आलस्य अपवित्रता से बचें। किसी प्रकार का नशा व धूम्रपान, मांस-भक्षण, प्याज, लहसुन व तामसिक पदार्थ का सेवन न करें। सहवास क्रिया न करें, यह हानिप्रद है। कलश स्थापना राहुकाल, यमघंट काल में कदापि नहीं करना चाहिए।

नौ रात पूजा के समय घर व देवालय को तोरण व विविध प्रकार के मांगलिक पत्र, पुष्पों से सजाने सुन्दर सर्वतोभद्रमण्डल, स्वास्तिक, नवग्रहादि, ओंकार आदि की स्थापना विधवत शास्त्रोक्त विधि से करने या कराने से खास लाभप्राप्त होता है। ज्योति साक्षात्‌ शक्ति का प्रतिरूप है उसे अखण्ड ज्योति के रूप में (शुद्ध देशी घी या गाय का घी हो तो सर्वोत्तम है) प्रज्जवलित करना चाहिए। इस अखण्ड ज्योति को सर्वतो भद्र मण्डल के अग्निकोण में स्थापित करना चाहिए।

ज्योति शब्द का अर्थ प्रकाश या रोशनी से है जिसके बिना जीवन का संचालन कठिन ही नहीं बल्कि असंभव है। इसलिए नवरात्रों में अखण्ड ज्योति का विशेष महत्व है। नवरात्रि में कोई भी समर्थ व श्रद्धावान व्यक्ति पहले या अंतिम या फिर पूरे नौ दिनों का व्रत रख सकता है। नवरात्रि में नौ कन्याओं का पूजन कर उन्हें श्रद्धा के साथ सामर्थ्य अनुसार भोजन व दक्षिण देना अत्यंत शुभ व श्रेष्ठ माना गया है। इस संसार में अनेक प्रकार की बाधाओ से मुक्त होने का सरल उपाय माँ शक्ति स्वरूपा जगदम्बा का विधि-विधान द्वारा पूजन ही है।

Bhagwat katha benefits: भागवत कथा सुनने से मिलते हैं 10 लाभ

Vaishakha amavasya : वैशाख अमावस्या पर स्नान और पूजा के शुभ मुहूर्त

Dhan yog in Kundali : धन योग क्या है, करोड़पति से कम नहीं होता जातक, किस्मत देती है हर जगह साथ

Akshaya tritiya 2024 : 23 साल बाद अक्षय तृतीया पर इस बार क्यों नहीं होंगे विवाह?

Varuthini ekadashi: वरुथिनी एकादशी का व्रत तोड़ने का समय क्या है?

Guru asta 2024 : गुरु हो रहा है अस्त, 4 राशियों के पर्स में नहीं रहेगा पैसा, कर्ज की आ सकती है नौबत

Nautapa 2024 date: कब से लगने वाला है नौतपा, बारिश अच्‍छी होगी या नहीं?

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया की पौराणिक कथा

कालाष्टमी 2024: कैसे करें वैशाख अष्टमी पर कालभैरव का पूजन, जानें विधि और शुभ समय

Aaj Ka Rashifal: राशिफल 01 मई: 12 राशियों के लिए क्या लेकर आया है माह का पहला दिन