माँ अंबिका के नौ रूप और महिमा

देवी के नौ स्वरूप व पूजन के फल

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
ND

1. शैल पुत्री- माँ दुर्गा का प्रथम रूप है शैल पुत्री। पर्वतराज हिमालय के यहाँ जन्म होने से इन्हें शैल पुत्री कहा जाता है। नवरात्रि की प्रथम तिथि को शैल पुत्री की पूजा की जाती है। इनके पूजन से भक्त सदा धन-धान्य से परिपूर्ण पूर्ण रहते हैं।

2. ब्रह्मचारिणी- माँ दुर्गा का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी है। माँ दुर्गा का यह रूप भक्तों और साधकों को अनंत कोटि फल प्रदान करने वाली है। इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की भावना जागृत होती है।

3. चंद्रघंटा- माँ दुर्गा का तीसरा स्वरूप चंद्रघंटा है। इनकी आराधना तृतीया को की जाती है। इनकी उपासना से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। वीरता के गुणों में वृद्धि होती है। स्वर में दिव्य अलौकिक माधुर्य का समावेश होता है व आकर्षण बढ़ता है।

4. कुष्मांडा- चतुर्थी के दिन माँ कुष्मांडा की आराधना की जाती है। इनकी उपासना से सिद्धियों, निधियों को प्राप्त कर समस्त रोग-शोक दूर होकर आयु व यश में वृद्धि होती है।

ND
5. स्कंदमाता- नवरात्रि का पाँचवाँ दिन स्कंदमाता की उपासना का दिन होता है। मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी है। माँ अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती है।

6. कात्यायनी- माँ का छठवाँ रूप कात्यायनी है। छठे दिन इनकी पूजा-अर्चना की जाती है। इनके पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है। कात्यायनी साधक को दुश्मनों का संहार करने में सक्षम बनाती है। इनका ध्यान गोधूली बेला में करना होता है।

7. कालरात्रि- नवरात्रि की सप्तमी के दिन माँ काली रात्रि की आराधना का विधान है। इनकी पूजा-अर्चना करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है व दुश्मनों का नाश होता है। तेज बढ़ता है।

8. महागौरी- देवी का आठवाँ रूप माँ गौरी है। इनका अष्टमी के दिन पूजन का विधान है। इनकी पूजा सारा संसार करता है। महागौरी की पूजन करने से समस्त पापों का क्षय होकर क्रांति बढ़ती है। सुख में वृद्धि होती है। शत्रु-शमन होता है।

9. सिद्धिदात्री- माँ सिद्धिदात्री की आराधना नवरात्रि की नवमी के दिन किया जाता है। इनकी आराधना से जातक अणिमा, लघिमा, प्राप्ति,प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, सर्वकामावसांयिता, दूर श्रवण, परकाया प्रवेश, वाक् सिद्धि, अमरत्व, भावना सिद्धि आदि समस्तनव-निधियों की प्राप्ति होती है।

आज के युग में कठिन तप तो कोई नहीं कर सकता, लेकिन अपनी शक्तिनुसार जप-तप-पूजा-अर्चना कर माँ की कृपा का पात्र बना जा सकता है।

माँ के विशिष्ट मंत्र
वाक् सिद्धि व शत्रु नाश हेतु निम्न मंत्र का विधि-विधान से पूजन-जप करने से निश्चित ही फल मिलता है।

शत्रु नाश हेतु
' ऊँ ह्रीं बगुलामुखी सर्व दृष्टाना- वाच मुख पद स्तंभय
जिह्वां कलिय बुद्धि विनाशक ह्रीं ऊँ स्वाहा।'

वाक् सिद्धि हेत ु
' ऊँ ह्रीं दु दुर्गाय नम: ऊँ बव वाग्वादिनि स्वाहा।'

माँ वागेश्वरी देवी के सम्मुख जाप करने से वाणी की शक्ति मिलती है। इससे वह जातक जो कहता है वह बात सत्य साबित होती है।

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

29 मार्च 2025 को बन रहे हैं 6 अशुभ योग, 5 राशियों को रहना होगा सतर्क, करना होंगे 5 उपाय

गुड़ी पड़वा 2025: खुशियों और उमंग से भरे इन गुड़ी पड़वा शायरी और संदेशों से बढ़ाएं त्योहार की रौनक

गुड़ी पड़वा पर क्यों खाई जाती है कड़वी नीम और गुड़, जानिए सेहत को मिलते हैं क्या फायदे

चैत्र नवरात्रि में घर के वास्तु दोष दूर करने के लिए करिए ये सरल उपाय, मां दुर्गा की बरसेगी कृपा

चैत्र नवरात्रि 2025: दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से हर क्षेत्र में होगी विजय

सभी देखें

धर्म संसार

भारत में कहां की है सबसे प्रसिद्ध गणगौर, कहां लगता है गणगौर मेला, जानिए तिथि, परंपराएं और महत्व

गणगौर में क्यों 16 का अंक है इतना महत्वपूर्ण, जानिए क्यों श्रृंगार से लेकर पर्व की अवधि तक 16 का आंकड़ा है खास

ईद के इस चांद की चरह दमकता रहे आपका हर दिन, रब से बस यही दुआ मांगते हैं ईद के दिन... खास अंदाज में कहें ईद मुबारक

मार्च के अंत में 6 ग्रहों के दुर्लभ संयोग से 3 राशि वालों की चमकेगी किस्मत, दुनिया में होंगी कई नकारात्मक घटनाएं

29 मार्च को शनिश्चरी अमावस्या के दिन लगेगा साल का पहला सूर्य ग्रहण, जानें सूतक माना जाएगा या नहीं