॥ श्रीविन्ध्येश्वरी स्तोत्र ॥

Webdunia
WDWD
निशुम्भ शुम्भ गर्जनी, प्रचण्ड मुण्ड खण्डिनी।
बनेरणे प्रकाशिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी॥

त्रिशूल मुण्ड धारिणी, धरा विघात हारिणी।
गृहे-गृहे निवासिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी॥

दरिद्र दुःख हारिणी, सदा विभूति कारिणी।
वियोग शोक हारिणी, भजामि विन्ध्यवासिनी॥

लसत्सुलोल लोचनं, लतासनं वरप्रदं।
कपाल-शूल धारिणी, भजामि विन्ध्यवासिनी॥

कराब्जदानदाधरां, शिवाशिवां प्रदायिनी।
वरा-वराननां शुभां भजामि विन्ध्यवासिनी॥

कपीन्द्न जामिनीप्रदां, त्रिधा स्वरूप धारिणी।
जले-थले निवासिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी॥

विशिष्ट शिष्ट कारिणी, विशाल रूप धारिणी।
महोदरे विलासिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी॥

पुंरदरादि सेवितां, पुरादिवंशखण्डितम्‌।
विशुद्ध बुद्धिकारिणीं, भजामि विन्ध्यवासिनीं॥

॥ इति श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्र सम्पूर्ण ॥

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

5 जुलाई को लेकर क्यों जापान के लोगों में दहशत, क्या नए बाबा वेंगा की भविष्यवाणी से डर गई है जापानी सरकार

मंगल के सिंह राशि में गोचर से 3 राशि के लोगों को रहना होगा संभलकर

अद्भुत... अलौकिक...अविस्मरणीय! कैसा है श्रीराम दरबार, जानिए इसकी अनोखी विशेषताएं

नीम में शक्ति है शनि और मंगल को काबू में करने की, 10 फायदे

जगन्नाथ मंदिर जाने का बना रहे हैं प्लान तो वहां जाकर जरूर करें ये 5 कार्य

सभी देखें

धर्म संसार

13 जून 2025 : आपका जन्मदिन

13 जून 2025, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

भविष्यवाणी: यदि हुआ तीसरा युद्ध तो क्या होगी भारत की स्थिति, जीतेगा या हारेगा

भगवान जगन्नाथ की यात्रा में जा रहे हैं तो साथ लाना ना भूलें ये चीजें, मिलेगा अपार धन और यश

क्यों अपनी मौसी के घर जाते हैं भगवान जगन्नाथ? यहां जानिए वजह