Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

क्या है इसरो वैज्ञानिकों की सैलरी का चंद्रयान 3 की सफलता से कनेक्शन?

हमें फॉलो करें क्या है इसरो वैज्ञानिकों की सैलरी का चंद्रयान 3 की सफलता से कनेक्शन?
, गुरुवार, 24 अगस्त 2023 (12:31 IST)
chandaryaan 3 and ISRO Scientists salary : भारत के चंद्रयान-3 मिशन की सफलता से प्रसन्न इसरो के पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिकों की पगार विकासित देशों के वैज्ञानिकों के वेतन का 5वां हिस्सा है और शायद यही कारण है कि वे अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए किफायती तरीके तलाश सके।
नायर ने कहा कि इसरो में वैज्ञानिकों, तकनीशियनों और अन्य कर्मियों को जो वेतन भत्ते मिलते हैं वे दुनिया भर में इस वर्ग के लोगों को मिलने वाले वेतन भत्तों का पांचवां हिस्सा है। इसका एक लाभ भी है। इसरो के वैज्ञानिकों में कोई भी लखपति नहीं है और वे बेहद सामान्य जीवन जीते हैं।
 
पूर्व इसरो प्रमुख ने कहा कि हकीकत यह है कि वे धन की कोई परवाह भी नहीं करते, उनमें अपने मिशन को लेकर जुनून और प्रतिबद्धता होती है। इस तरह हम ऊंचा मुकाम हासिल करते हैं। इसरो के वैज्ञानिक बेहतरीन योजना बना कर और दीर्घकालिक दृष्टिकोण के जरिए ये उपलब्धि हासिल कर सके।
 
इसरो के पूर्व प्रमुख के अनुसार, 'हम एक-एक कदम से सीखते हैं। जो हमने अतीत में सीखा है, हम अगले मिशन में उसका इस्तेमाल करते हैं। हमने करीब 30 वर्ष पहले ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान के लिए जो इंजन बनाया था उसी का इस्तेमाल भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान में भी किया जाता है।'
 
उन्होंने कहा कि भारत अपने अंतरिक्ष अभियानों के लिए घरेलू तकनीक का उपयोग करता है और इससे उन्हें लागत को काफी कम करने में मदद मिली है। भारत के अंतरिक्ष मिशन की लागत अन्य देशों के अंतरिक्ष अभियानों की तुलना में 50 से 60 प्रतिशत कम है। हमने अच्छी शुरुआत की है और बड़ी उपलब्धि हासिल की है।
 
पूर्व इसरो प्रमुख ने कहा कि देश के पास पहले से ही यूरोप और अमेरिका के साथ कई वाणिज्यिक अनुबंध हैं और अब चंद्रयान-3 की सफलता के साथ ये बढ़ेंगे।
इसरो के अनुसार, चंद्रयान-3 की कुल लागत केवल 615 करोड़ रुपए है जो देश में एक बॉलीवुड फिल्म के निर्माण बजट के लगभग बराबर है।
 
अंतरिक्ष अभियान में बड़ी छलांग लगाते हुए भारत का चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ बुधवार शाम 6.04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा, जिससे देश चांद के इस क्षेत्र में उतरने वाला दुनिया का पहला तथा चंद्र सतह पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है।
 
भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में यह ऐतिहासिक उपलब्धि ऐसे समय मिली है जब कुछ दिन पहले रूस का अंतरिक्ष यान ‘लूना 25’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के मार्ग में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। (भाषा)
Edited by : Nrapendra Gupta 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

भारतीय कुश्ती संघ को बड़ा झटका, चुनाव ना होने के कारण सदस्यता रद्द