Chandrayaan-3: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग के बाद भारत वहां पहुंच गया है, जहां पहले कोई देश नहीं पहुंचा है। भारत का चंद्र मिशन चंद्रयान-3 बुधवार शाम 6 बजकर 04 मिनट पर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा। चांद पर उतरते ही चंद्रयान के लैंडर विक्रम और रोवर ने अपना काम शुरू कर दिया है। इसरो के मुताबिक रोवर ने चांद की सैर भी की है।
बता दें कि इसरो के मुताबिक इस प्रोजेक्ट में 54 महिला इंजीनियरों और वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया। जानते हैं चंद्रयान- 3 की कामयाबी के पीछे किन वैज्ञानिकों की तपस्या है।
ISRO के चेयरमैन डॉ. एस सोमनाथ : इसरो चीफ डॉ. एस सोमनाथ के नाम का अर्थ ही चंद्रमा का देवता। सोमनाथ संस्कृत के जानकार भी हैं और यानम नाम से संस्कृत भाषा की एक फिल्म में अभिनय कर चुके हैं। उनकी नेतृत्व में ही चंद्रयान-3 ने पहली सफलता हासिल की। एस सोमनाथ प्रतिष्ठित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस, बेंगलुरु के छात्र रहे हैं।
चंद्रयान-3 मिशन इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ के नेतृत्व में आगे बढ़ा है। एक एयरोस्पेस इंजीनियर रहे एस सोमनाथ ने उस रॉकेट के डिजाइन में बड़ी भूमिका अदा की, जिसने चंद्रयान-3 को उसकी कक्षा में पहुंचाया। व्हीकल मार्क 3 को बाहुबली रॉकेट भी कहा गया।
डॉ. उन्नीकृष्णन नायर : पेशे से एयरोस्पेस डॉ. उन्नीकृष्णन नायर रॉकेट के विकास और निर्माण से जुड़े विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के निदेशक हैं। डॉ. उन्नीकृष्णन अंतरिक्ष में भारत के मानव मिशन की अगुवाई कर रहे हैं। वे प्रतिष्ठित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस के छात्र रहे हैं और उन्हें छोटी कहानियां लिखने का शौक है, चंद्रयान-3 से उन्होंने अंतरिक्ष की दुनिया में बड़ी कहानी लिखी है।
डॉ. वीरामुथुवेल पी : चंद्रयान-3 मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं डॉ. वीरामुथुवेल पी.। 2019 में नाकाम हुए चंद्रयान-2 मिशन के विक्रम लैंडर की बारीक से बारीक जानकारियों ने उन्हें चंद्रयान-3 मिशन को और पुख्ता बनाया। पिछले चार साल से उनका जीवन चंद्रयान 3 मिशन के आसपास घूम रहा है।
कल्पना के : कल्पना के चंद्रयान-3 की डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं। कल्पना के ने चंद्रयान-3 टीम का नेतृत्व किया। उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान भी दृढ़ इच्छाशक्ति के सहारे सारी चुनौतियों का सामना करते हुए मिशन के काम को आगे बढ़ाया था। भारत के सैटेलाइन प्रोग्राम के पीछे इस प्रतिबद्ध इंजीनियर की बड़ी भूमिका रही है।
एम शंकरन यूआर राव : एम शंकरन यूआर राव सैटेलाइट सेंटर के प्रमुख हैं और उनकी टीम इसरो के लिए भारत के सभी उपग्रहों को बनाने की ज़िम्मेदारी निभाती है। वे चंद्रयान-1, मंगलयान और चंद्रयान-2 सैटेलाइट के निर्माण में भी शामिल थे। चंद्रयान-3 के तापमान संबंधी जिम्मेदारी को मैनेज करना और सैटेलाइट के अधिकतम और न्यूनतम तापमान की टेस्टिंग की प्रक्रिया में उनका अहम योगदान है। उन्होंने चंद्रमा के सतह का प्रोटोटाइप तैयार करने में मदद की जिस पर लैंडर के टिकाउपन का परीक्षण किया गया।
मोहन कुमार : मिशन डायरेक्टर एस मोहन कुमार विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं और चंद्रयान-3 मिशन के डायरेक्टर हैं। मोहन कुमार एनवीएम3-एम-3 मिशन के तहत वन वेब इंडिया 2 सैटेलाइट के सफल व्यावसायिक लॉन्च में भी डायरेक्टर के तौर पर काम कर चुके हैं।
ए राजाराजन : ए राजाराजन लॉन्च ऑथराइजेशन बोर्ड के प्रमुख हैं। वे सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा के डायरेक्टर और वैज्ञानिक हैं। मानव अंतरिक्ष मिशन प्रोग्राम– गगनयान और एसएसएलवी के मोटर को लेकर काम करते हैं। इसरो के मुताबिक चंद्रयान-3 मिशन में 54 महिला इंजीनियरों और वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया।
Written & Edited By navin rangiyal