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चंद्रयान 3 ने भरी उड़ान, भारत ने रचा इतिहास

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, शुक्रवार, 14 जुलाई 2023 (14:34 IST)
Chandrayaan News : देश के महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन के तहत चंद्रयान-3 को एलवीएम3 रॉकेट की मदद से श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया। प्रक्षेपण के 16 मिनट बाद उसे पृथ्वी की कक्षा में सफलतापुवर्क स्थापित किया गया। प्रक्षपेण देखने के लिए मौजूद हजारों दर्शक चंद्रयान-3 के रवाना होते ही खुशी से झूम उठे।

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने एक बयान जारी कर कहा कि ‘चंद्रयान-3’ ने चंद्रमा की तरफ अपनी यात्रा शुरू कर दी है। LVM3-M4 रॉकेट ने ‘चंद्रयान-3’ को सटीक कक्षा में स्थापित किया।

इसरो के अधिकारियों के अनुसार, उड़ान भरने के लगभग 16 मिनट बाद प्रणोदन मॉड्यूल रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग हो गया और यह चंद्र कक्षा की ओर बढ़ते हुए पृथ्वी से 170 किमी निकटतम और 36,500 किमी सुदूरतम बिंदु पर एक अण्डाकार चक्र में लगभग 5-6 बार पृथ्वी की परिक्रमा करेगा।

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यान के प्रक्षेपण के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर बधाई दी। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा में नया अध्याय लिखा। यह हर भारतीय के सपनों और महत्वाकांक्षाओं को ऊपर उठाते हुए ऊंची उड़ान भरता है। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। मैं उनकी भावना और प्रतिभा को सलाम करता हूं।
 
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह वास्तव में भारत के लिए गौरव का क्षण है और श्रीहरिकोटा में हम सभी के लिए भाग्य का क्षण है कि हम इस इतिहास का हिस्सा बन सके। मैं भारत को गौरवान्वित करने के लिए टीम इसरो को धन्यवाद देता हूं।
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सब कुछ ठीक रहा तो यह अगस्त के आखिर में चंद्रमा पर उतरेगा। अगर भारत ऐसा कर पाने में सफल हो जाता है वह अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद इस सूची में चौथा देश बन जाएगा।

सबसे लंबे और भारी एलवीएम3 रॉकेट (पूर्व में जीएसएलवी एमके3 कहलाने वाले) की भारी भरकम सामान ले जाने की क्षमता की वजह से इसरो के वैज्ञानिक उसे प्यार से 'फैट बॉय' भी कहते हैं। इस ‘फैट बॉय’ ने लगातार छह सफल अभियानों को पूरा किया है।
 
एलवीएम3 रॉकेट तीन मॉड्यूल का समन्वय है, जिसमें प्रणोदन, लैंडर और रोवर शामिल हैं। रोवर लैंडर के भीतर रखा है।
 
चंद्रयान-3 मिशन में एक स्वदेशी प्रणोदन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और एक रोवर शामिल हैं, जिसका उद्देशय अन्तरग्रहीय मिशनों के लिए जरूरी नई प्रौद्योगिकियों का विकास एवं उनका प्रदर्शन करना है। मिशन के तहत 43.5 मीटर लंबा रॉकेट दूसरे लॉन्च पैड से प्रक्षेपित किया जाना है। यह मिशन एलवीएम3 की चौथी परिचालन उड़ान है, जिसका मकसद ‘चंद्रयान-3’ को भू-समकालिक कक्षा में प्रक्षेपित 
 
करना है। इसरो ने कहा कि एलवीएम3 वाहन ने अपनी दक्षता को साबित किया है और कई जटिल अभियानों को पूरा किया है। इसके अलावा यह सबसे लंबा और भारी प्रक्षेपक वाहन है, जो भारतीय और अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ता उपग्रहों को लाने-ले जाने का काम करता है।
 
जुलाई महीने में प्रक्षेपण करने का कारण ठीक चंद्रयान-2 मिशन (22 जुलाई, 2019) जैसा ही है क्योंकि साल के इस समय में पृथ्वी और उसका उपग्रह चंद्रमा एक-दूसरे के बेहद करीब होते हैं।
 
शुक्रवार का मिशन भी चंद्रयान-2 की तर्ज पर होगा, जहां वैज्ञानिक कई क्षमताओं का प्रदर्शन करेंगे। इनमें चंद्रमा की कक्षा पर पहुंचना, लैंडर का उपयोग कर चंद्रमा की सतह पर यान को सुरक्षित उतारना और लैंडर में से रोवर का बाहर निकलकर चंद्रमा की सतह के बारे में अध्ययन करना शामिल है।
 
चंद्रयान-2 मिशन में लैंडर सुरक्षित रूप से सतह पर नहीं उतर सका था और दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसकी वजह से इसरो का प्रयास असफल हो गया था। वैज्ञानिकों ने अगस्त महीने में लैंडर को सफलतापूर्वक उतारने के प्रयास में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।
 
चंद्रयान-2, 2019 में चांद की सतह पर सुरक्षित तरीके से उतरने में विफल रहा था जिससे इसरो का दल काफी निराश हो गया था। तब भावुक हुए तत्कालीन इसरो प्रमुख के. सिवान को गले लगा कर ढांढस बंधाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीरें आज भी लोगों को याद हैं।

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