Chandrayaan-3 : लगातार कामयाबी की ओर ISRO, चंद्रयान-3 के 3 में से 2 उद्देश्य हासिल

Webdunia
शनिवार, 26 अगस्त 2023 (22:27 IST)
ISRO towards continued Success : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शनिवार को कहा कि चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) मिशन के 3 में से 2 उद्देश्य हासिल कर लिए गए हैं, जबकि तीसरे उद्देश्य के तहत वैज्ञानिक प्रयोग जारी हैं। इसने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन के सभी पेलोड सामान्य रूप से काम कर रहे हैं।
 
इसरो ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, चंद्रयान-3 मिशन : मिशन के तीन उद्देश्यों में से, चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन पूरा हो गया है। चंद्रमा पर रोवर के घूमने का लक्ष्य हासिल कर लिया गया है। तीसरे उद्देश्य के तहत वैज्ञानिक प्रयोग जारी हैं। सभी पेलोड सामान्य रूप से कार्य कर रहे हैं।
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को घोषिणा की चंद्रयान-3 की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की तारीख 23 अगस्त के दिन को अब राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया जाएगा और जिस जगह पर इस यान का लैंडर ‘विक्रम’ उतरा, उस जगह को अब ‘शिवशक्ति’ प्वाइंट के रूप में जाना जएगा।
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Chandrayaan-3 Mission:
What's new here?

Pragyan rover roams around Shiv Shakti Point in pursuit of lunar secrets at the South Pole ! pic.twitter.com/1g5gQsgrjM

— ISRO (@isro) August 26, 2023 >
उन्होंने यह घोषणा भी की कि 2019 में चंद्रयान-2 ने जिस जगह पर अपने पदचिह्न छोड़े थे, चंद्रमा की उस जगह को अब ‘तिरंगा’ प्वाइंट के रूप में जाना जाएगा।

शिवशक्ति पॉइंट नाम : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को घोषणा की है कि चंद्रयान-3 का लैंडर चंद्रमा की सतह पर जिस स्थान पर उतरा है, उसका नाम ‘शिव-शक्ति पॉइंट’ होगा, जो कल्याण एवं ताकत का मेल है। मोदी चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों से मिलने के लिए यूनान की राजधानी एथेंस से शनिवार को सीधे बेंगलुरु पहुंचे और उन्होंने घोषणा की कि जिस स्थान पर लैंडर ‘विक्रम’ उतरा था, उसका नाम ‘शिव शक्ति पॉइंट’ रखा जाएगा।
 
प्रधानमंत्री मोदी ने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास का असाधारण क्षण करार दिया। मोदी यहां स्थित ‘इसरो टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क’ (आईएसटीआरएसी) में वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि चंद्रमा की सतह पर जिस स्थान पर चंद्रयान-2 ने 2019 में अपने पदचिह्न छोड़े थे, उसे ‘तिरंगा पॉइंट’ के नाम से जाना जाएगा।
 
प्रधानमंत्री ने कहा, सतह पर उतरने की जगह का नामकरण करने की वैज्ञानिक परंपरा रही है। भारत ने चंद्रमा के उस क्षेत्र का नामकरण करने का फैसला किया है, जहां हमारा चंद्रयान-3 उतरा था। जिस स्थान पर ‘विक्रम’ लैंडर उतरा था, उसे ‘शिव शक्ति पॉइंट’ के नाम से जाना जाएगा।
 
मोदी ने कहा, शिव में मानवता के कल्याण का संकल्प समाहित है और ‘शक्ति’ से हमें उन संकल्पों को पूरा करने का सामर्थ्य मिलता है। चंद्रमा का ‘शिवशक्ति पॉइंट’ हिमालय के कन्याकुमारी से जुड़े होने का बोध कराता है। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को भारत के शास्त्रों में वर्णित खगोलीय सूत्रों को वैज्ञानिक ढंग से सिद्ध करने और उनका नए सिरे से अध्ययन करने के लिए आगे आना चाहिए।
 
मोदी ने कहा, यह हमारी विरासत और विज्ञान के लिए भी जरूरी है। स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्रों का आज दोहरा दायित्व है। भारत के पास विज्ञान के ज्ञान का जो खजाना है, वह गुलामी के लंबे कालखंड में दब गया है, छिप गया है। आजादी के इस अमृतकाल में हमें इस खजाने को भी खंगालना है, उस पर शोध करनी है और इसके बारे में दुनिया को भी बताना है।
 
इसरो के वैज्ञानिकों के दल को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, मैं आपसे मिलने और आपके परिश्रम, समर्पण, साहस, लगन और जज्बे को सलाम करने के लिए अधीर और उत्सुक था। उन्होंने कहा, भारत चंद्रमा पर है। हमारे राष्ट्र का गौरव चंद्रमा पर पहुंच गया है।
 
मोदी ने चंद्रयान-3 की सफलता के लिए महिला वैज्ञानिकों की भूमिका की सराहना करते हुए कहा, देश की नारीशक्ति ने बड़ी भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि चंद्रमा की सतह के जिस स्थान पर चंद्रयान-2 ने 2019 में अपने पदचिह्न छोड़े थे, उसे ‘तिरंगा पॉइंट’ के नाम से जाना जाएगा।
 
उन्होंने कहा कि यह ‘तिरंगा पॉइंट’ भारत के हर प्रयास की प्रेरणा बनेगा और सीख देगा कि कोई भी विफलता आखिरी नहीं होती। मोदी ने कहा, अगर दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो सफलता मिलकर ही रहती है। उन्होंने कहा कि भारत चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर के चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने की याद में 23 अगस्त की तारीख ‘राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस’ के रूप में मनाएगा।
 
मोदी ने कहा कि ‘राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस’ हर वर्ष विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष की भावना का जश्न मनाएगा और हमें हमेशा के लिए प्रेरित करता रहेगा। प्रधानमंत्री के अभिवादन के लिए आईएसटीआरएसी के पास स्थित जलहल्ली क्रॉस और एचएएल (हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) हवाई अड्डे के बाहर बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए। इनमें से कई ने हाथों में तिरंगा थाम रखा था। मोदी ने कुछ दूरी तक रोड-शो भी किया और इस दौरान सड़कों के दोनों ओर कतार में खड़े लोगों ने नारे लगाए।
 
आईएसटीआरएसी में, इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने मोदी को चंद्रयान-3 मिशन के बारे में जानकारी दी। मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि 21वीं सदी के इस कालखंड में जो देश विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बढ़त बना लेगा, वह देश सबसे आगे निकल जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा, भारत के छोटे-छोटे बच्चों की जुबान पर चंद्रयान का नाम है। आज भारत का हर बच्चा वैज्ञानिकों में अपना भविष्य देख रहा है।
 
मोदी ने इसरो से केंद्र एवं राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों के सहयोग से ‘शासन में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी’ पर एक राष्ट्रीय हैकाथॉन का आयोजन करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, मुझे विश्वास है कि यह राष्ट्रीय हैकाथॉन हमारी शासन प्रणाली को और प्रभावी बनाएगा और देशवासियों को आधुनिक समाधान मुहैया कराएगा।
 
मोदी ने देशभर के छात्रों से एक सितंबर से भारत सरकार के पोर्टल ‘माईगोव’ द्वारा चंद्रयान मिशन पर आयोजित एक बड़ी प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में भाग लेने का भी आग्रह किया। मोदी ने कहा कि ‘विक्रम’ लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कोई साधारण उपलब्धि नहीं है और यह अनंत ब्रह्मांड में भारत की वैज्ञानिक उपलब्धि का शंखनाद है।
 
प्रधानमंत्री ने कहा, हम वहां पहुंचे हैं, जहां कोई नहीं पहुंचा है। हमने वह किया जो पहले कभी किसी ने नहीं किया। यह आज का भारत है- निर्भीक भारत, जुझारू भारत। उन्होंने कहा, यह ऐसा भारत है, जो नया सोचता है, नए तरीके से सोचता है। जो अंधकारमय क्षेत्रों में जाकर भी दुनिया में रोशनी की किरण फैला देता है। इक्कीसवीं सदी में यही भारत दुनिया की बड़ी-बड़ी समस्याओं का समाधान करेगा।
 
मोदी ने कहा, आज व्यापार से लेकर प्रौद्योगिकी तक भारत की गिनती पहली पंक्ति में खड़े देशों में हो रही है। ‘तीसरी पंक्ति’ से ‘पहली पंक्ति’ तक पहुंचने के सफर में हमारे इसरो जैसे संस्थानों ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उन्होंने इसरो की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह ‘मेक इन इंडिया’ को चंद्रमा तक ले गया है।
 
चंद्रयान-3 मिशन का लैंडर मॉड्यूल बुधवार शाम को जब चंद्रमा की सतह पर उतरा था, उस समय मोदी आईएसटीआरएसी के ‘मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स’ (एमओएक्स) में इसरो की टीम के साथ जोहानिसबर्ग से ऑनलाइन जुड़े थे। वह ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) के 15वें शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए जोहानिसबर्ग गए थे।
 
इससे पहले, मोदी चंद्रयान-2 मिशन के ‘विक्रम’ लैंडर के चंद्रमा की सतह पर उतरने का साक्षी बनने के लिए छह सितंबर 2019 की रात को बेंगलुरु आए थे, लेकिन सात सितंबर को तड़के सतह पर उतरने के निर्धारित समय से चंद मिनट पहले इसरो का यान से संपर्क टूट गया था। उस समय ‘विक्रम’ चंद्रमा की सतह से मात्र 2.1 किलोमीटर ऊपर था।
Edited By : Chetan Gour (एजेंसियां)

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