कौन हैं नंबी नारायण जिन पर लगा था जासूसी का आरोप, जिनका दावा- पहले की सरकारें नहीं करती थी ISRO पर भरोसा

Webdunia
सोमवार, 28 अगस्त 2023 (13:54 IST)
हमारे पास कोई सुविधा नहीं थी : नंबी नारायण ने कहा कि हमारे पास जीप और कार जैसे कोई वाहन नहीं थे। हमारे पास कुछ भी नहीं था। इसका मतलब है कि हमें कोई बजट नहीं आवंटित था। केवल एक बस थी, जो शिफ्ट में चलती थी। शुरू के दिनों में ऐसा था। एपीजे अब्दुल कलाम के सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएलवी-3) के निर्माण के दौर का जिक्र करते हुए नंबी नारायण ने कहा कि उस समय बजट पूछा नहीं जाता था, बस दे दिया जाता था। ये बहुत मुश्किल था। उन्होंने आगे कहा मैं शिकायत नहीं करूंगा लेकिन उन्हें (सरकार) आप पर (इसरो) भरोसा नहीं था।

पीएम नहीं तो कौन लेगा क्रेडिट : बता दें कि पीएम मोदी के चंद्रयान का क्रेडिट लेने को लेकर सोशल मीडिया में काफी चर्चा हो रही है। इस पर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। नंबी नारायण ने इस पर कहा कि ये बहुत बचकाना है। उन्होंने कहा, 'अगर इस तरह के नेशनल प्रोजेक्ट की बात होगी तो प्रधानमंत्री के सिवा और कौन क्रेडिट लेगा? आप भले प्रधानमंत्री को पसंद न करें, ये आपकी समस्या है, लेकिन आप उनसे क्रेडिट नहीं छीन सकते। आप प्रधानमंत्री को पसंद नहीं करते, इस वजह से उन्हें पोस्ट से नहीं हटा सकते'

कभी लगे थे जासूसी के आरोप : 1994 में नंबी नारायण पर जासूसी के आरोप भी लग चुके हैं। उन पर अंतरिक्ष प्रोग्राम से जुड़ी जानकारी बाहरी लोगों के साथ शेयर करने के आरोप लगे थे। कहा गया था कि उनकी दी गई जानकारी को पाकिस्तान भेजा गया था और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।

...और लगी बेगुनाही की मुहर : जासूसी के आरोपों के खिलाफ नंबी नारायण ने लंबी लड़ाई लड़ी और 1996 में सीबीआई कोर्ट ने आरोपों को खारिज किया। सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ उन्‍हें बेगुनाह घोषित किया बल्‍कि  केरल सरकार को मुआवजा देने का आदेश दिया। केरल सरकार ने नारायण को 1.3 करोड़ मुआवजा दिया था।

कौन हैं नंबी नारायण : नंबी नारायण 1941 में एक तमिल परिवार में जन्में थे। उन्‍होंने केरल के तिरुवनंतपुरम से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमटेक की डिग्री ली। आगे की पढ़ाई के लिए वे फेलोशिप पर अमेरिका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी चले गए। बाद में उन्‍होंने इसरो के साथ काम किया। अपने करियर में नंबी ने विक्रम साराभाई, सतीश धवन और एपीजे अब्दुल कलाम जैसे वैज्ञानिकों के साथ काम किया। उन्हें भारत में लिक्विड फ्यूल रॉकेट टेक्नोलॉजी की के लिए भी श्रेय दिया जाता है। साल 2019 में भारत सरकार ने उन्हें तीसरे सबसे बडे नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया। नंबी नारायण की जिंदगी पर रॉकेट्री नाम से फिल्म बन चुकी है,जिसमें आर माधवन ने उनकी भूमिका निभाई थी।
Edited by navin rangiyal

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

अनिरुद्धाचार्य ने महिलाओं पर यह क्या कह दिया, मच गया बवाल?

नासमझ हैं भाजपा सांसद कंगना, उन्हें खुद पर नियंत्रण रखना चाहिए

गुजरात में रफ्तार का कहर, हिट एंड रन मामले में 2 की मौत

लोकसभा में खत्म गतिरोध, अगले सप्ताह ऑपरेशन सिंदूर पर होगी चर्चा

Rajasthan : डेढ़ साल के बच्‍चे को बोरवेल में फेंका, आरोपी पिता गिरफ्तार

सभी देखें

नवीनतम

मप्र में जिला जजों के साथ शूद्र जैसा व्यवहार, हाईकोर्ट की तीखी टिप्पणी

जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पहले लोकसभा में आएगा

LOC के पास बारूदी सुरंग में विस्फोट, एक अग्निवीर जवान शहीद, 1 जेसीओ समेत 2 घायल

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने दुनिया के सबसे पसंदीदा लीडर, ट्रंप और मेलोनी को छोड़ा पीछे

भारत देगा मालदीव को 4850 करोड़ का कर्ज, मोदी ने कहा- भारत मालदीव संबंधों की जड़ें सागर जितनी गहरी

अगला लेख