बुधवार को रवाना होगा चंद्रयान

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यदि सब कुछ योजना के अनुरूप रहा तो भारत का पहला मानव रहित अंतरिक्ष यान चंद्रयान बुधवार को दो साल के चंद्र मिशन पर रवाना हो जाएगा ताकि धरती के इस प्राकृतिक उपग्रह के रहस्यों पर और अधिक प्रकाश डाला जा सके।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रवक्ता एस सतीश ने कहा कि आसमान में बादल छाए हुए हैं और भारी बारिश हो रही है लेकिन यह चिंता का कारण नहीं है।

इसरो के सूत्रों ने कहा कि रवानगी में देरी सिर्फ चक्रवात या बिजली चमकने की स्थिति में होगी। बारिश से चंद्रयान की उड़ान प्रभावित नहीं होगी। सूत्रों ने कहा कि विलम्ब सिर्फ चक्रवात संबंधी घटना या बिजली चमकने की वजह से हो सकता है।

चंद्रयान की रवानगी आंध्रप्रदेश के पूर्वी तट स्थित श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से सुबह लगभग 6 बजकर 20 मिनट पर स्वदेश निर्मित रॉकेट पीएसएलवी-सी-11 के जरिए होनी है। इस ऐतिहासिक घटना से भारत, अमेरिका, रूस, जापान, चीन और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) जैसे चंद्र अन्वेषकों की सूची में प्रवेश कर जाएगा।

इसरो अध्यक्ष जी माधवन नायर ने बताया कि चंद्रयान को मूलत: चंद्रमा की सतह का वृहत नक्शा तैयार करने के लिए भेजा जा रहा है। इससे पहले अन्य देशों ने सिर्फ चंद्रमा के किसी विशिष्ट क्षेत्र या एक या दो पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा कि यह विश्व में पहली बार है जब हम चंद्रमा के समूचे तल का नक्शा तैयार करेंगे। चंद्रयान को कुछ विश्लेषक एशियाई प्रतिद्वंद्वी जापान और चीन की होड़ में शामिल होने के भारत के कदम के रूप में देख रहे हैं।

यह अभियान अंतरराष्ट्रीय जगत में बढ़ रही भारत की हैसियत का संकेत देगा। इससे जहाँ भारत की अंतरिक्ष शक्ति झलकेगी वहीं आगामी वर्षों में उसके अंतर ग्रह अभियानों के लिए उसकी प्रौद्योगिकी क्षमता भी दिखाई देगी।

भारत ने इस महत्वाकांक्षी योजना पर 2004 में काम शुरू किया था। चंद्रयान अपने साथ 11 पेलोड (वैज्ञानिक उपकरण) ले जाएगा, जिनमें से तीन ईएसए, दो अमेरिका और एक उपकरण बुल्गारिया का है।

इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि मिशन से चंद्रमा के अंदर छिपी चीजों को जानने और हीलियम-3 की (संभाव्य) प्रचुरता के बारे में जानकारी मिलेगी जो भविष्य में परमाणु नाभिकीय संयंत्रों के लिए अपेक्षाकृत अधिक स्वच्छ ईंधन के रूप में काम आएगा।

यह चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों पर बर्फनुमा पानी की मौजूदगी के बारे में भी अधिक प्रकाश डालेगा। सतीश धवन केंद्र के सह निदेशक डॉ. एमवाई एस प्रसाद ने बताया कि चंद्रयान के बुधवार को होने वाले प्रक्षेपण की सभी तैयारियाँ सुचारू रूप से आगे बढ़ रही हैं। प्रणोदक (ईंधन) भरने का पहला चरण पूरा हो चुका है और दूसरा चरण आज रात पूरा हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि सोमवार को सुबह पाँच बजकर 22 मिनट पर शुरू हुई उल्टी गिनती आगे बढ़ रही है। पीएस-2 (प्रथम चरण) भरने का काम पूरा हो चुका है और कुल 43 टन प्रणोदक भरा जाएगा।

प्रसाद ने कहा कि चंद्रयान पर बारिश का कोई असर नहीं होगा, क्योंकि यह पूरी तरह बारिशरोधी यान है। हाँ, यदि चक्रवाती परिस्थितियाँ पैदा हुईं तो उस स्थिति में उड़ान में देरी हो सकती है।

चंद्रयान साढ़े पाँच दिन की यात्रा के बाद चाँद की सतह पर पहुँचेगा। इसके बाद मून इंपैक्ट प्रोर्ब (एमआईपी) नाम के पे लोड (अन्वेषण उपकरण) को चंद्रयान से अलग कर दिया जाएगा जो चंद्रमा के एक चुने गए खास क्षेत्र से टकराएगा।

इसके बाद इसके कैमरे और अन्य उपकरण चालू कर दिए जाएँगे। इससे अभियान का संचालन चरण शुरू होगा जो दो साल तक चलेगा।
इस दौरान चंद्रयान अपने शेष उपकरणों के साथ चंद्र सतह का अन्वेषण करेगा।

सौर ऊर्जा से संचालित चंद्रयान अपने साथ 11 पेलोड (वैज्ञानिक उपकरण) ले जा रहा है, जिनका वजन प्रक्षेपण के दौरान एक हजार 380 किलोग्राम होगा। चंद्रयान क्यूबाइड आकार का है जिसके एक तरफ सौर पैनल लगे हैं। 11 वैज्ञानिक उपकरणों में से पाँच पूरी तरह भारत में बने और विकसित हुए हैं।

एमआईपी का वजन 29 किलोग्राम है, जिसमें चंद्र तल से ऊँचाई नापने और भविष्य में चंद्रमा पर अन्य यानों के उतरने संबंधी परीक्षण करने के लिए सी बैंड राडार एल्टीमीटर लगा है।

यह वीडियो इमेजिंग सिस्टम से भी लैस है ताकि चंद्र तल की तसवीरें ली जा सकें। एमआईपी को विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र तिरुवनंतपुरम ने विकसित किया है। चंद्रयान धरती की कक्षा के बाहर अंतरिक्ष में भारत का पहला साहसिक कदम है।

इसरो अधिकारियों का कहना है कि वे मंगल क्षुद्र ग्रहों और पुच्छल तारों तक भी मानवरहित यान भेजने की योजना पर काम कर रहे हैं।

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