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Chhath Puja 2025: पीरियड (मासिक धर्म) में छठ पूजा कैसे करें या क्या करें?

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WD Feature Desk

, शनिवार, 25 अक्टूबर 2025 (17:04 IST)
Chhath Puja in periods: पीरियड्स के दौरान छठ पूजा करना एक विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक सवाल है, और इसके बारे में अलग-अलग विचार हो सकते हैं। कुछ लोग मानते हैं कि पीरियड्स के दौरान पूजा या धार्मिक अनुष्ठान नहीं करने चाहिए, क्योंकि इसे शारीरिक और मानसिक दृष्टिकोण से अस्थिर माना जाता है। जबकि कुछ लोग इसे सामान्य तौर पर करते हैं, बशर्ते वे साफ-सफाई का ध्यान रखें और अपनी स्थिति का ध्यान रखें।ALSO READ: Chhath puja vrat vidhi: छठ पूजा पर व्रत कैसे करते हैं?
 
छठ पूजा एक अत्यंत पवित्र और कठिन व्रत है, जिसमें शुद्धता और स्वच्छता का विशेष महत्व होता है। मासिक धर्म/ पीरियड्स के दौरान छठ पूजा करने के संबंध में कई मान्यताएं और नियम हैं। आइए यहां जानते हैं...
 
1. व्रत जारी रखना:
• अधिकांश पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अगर छठ पूजा के दौरान मासिक धर्म शुरू हो जाए, तो भी व्रत को नहीं छोड़ना चाहिए। चूंकि यह व्रत पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलने वाला पारंपरिक व्रत माना जाता है, इसलिए इसे बीच में नहीं तोड़ना चाहिए।
 
• महिलाएं व्रत जारी रख सकती हैं, लेकिन उन्हें कुछ विशेष नियमों का पालन करना होता है।
 
2. पूजा और अर्घ्य के नियम:ALSO READ: Chhath puja vrat vidhi: छठ पूजा पर व्रत कैसे करते हैं?
• पूजा सामग्री को स्पर्श न करना: मासिक धर्म के दौरान व्रत रखने वाली महिला को पूजा की किसी भी सामग्री (जैसे प्रसाद, अर्घ्य की टोकरी आदि) को सीधे छूने से बचना चाहिए।
 
• सहयोगी का चुनाव: इस स्थिति में, पूजा के कार्यों- जैसे प्रसाद बनाना, पूजा की सामग्री घाट तक ले जाना, अर्घ्य की तैयारी करना) के लिए परिवार के किसी अन्य सदस्य (पति, घर की अन्य महिला, या कोई सहयोगी को चुना जा सकता है। सहयोगी को भी शुद्धता और पवित्रता का पूरा ध्यान रखना होता है।
 
• अर्घ्य देना: व्रती महिला स्वयं अर्घ्य देने के बजाय, सहयोगी के माध्यम से अर्घ्य दिलवा सकती हैं। महिला घाट पर परिवार के साथ जा सकती हैं, हाथ जोड़कर प्रार्थना कर सकती हैं, लेकिन विशेषकर मासिक धर्म के पहले 1-4 दिनों में सूर्य देव को सीधे अर्घ्य नहीं देना चाहिए। 
 
• पांचवा दिन: कुछ मान्यताओं के अनुसार, यदि मासिक धर्म का पांचवा दिन हो, तो स्नान करके और बाल धोकर प्रसाद बनाने और भोग लगाने का कार्य सहयोगी ही कर सकती हैं।
 
3. स्वास्थ्य और सुविधा: 
• छठ व्रत शारीरिक रूप से बहुत कठिन होता है (36 घंटे का निर्जला उपवास)। यदि मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक कमजोरी, चक्कर आना या अन्य स्वास्थ्य समस्याएं महसूस हों, तो शारीरिक क्षमता के अनुसार ही व्रत करें।
 
• डॉक्टरों की सलाह है कि इस दौरान निर्जला उपवास जैसी कठोरता से बचें, खासकर यदि स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो। यदि आप शारीरिक रूप से सक्षम न हों, तो मन और हृदय से भक्ति करें और केवल व्रत के नियमों, जैसे सात्विक भोजन और साफ-सफाई का पालन करें।
 
निष्कर्ष:
• व्रत न तोड़ें, लेकिन पूजा की सामग्री को न छूएं।
• अर्घ्य और प्रसाद के लिए परिवार में किसी सहयोगी की सहायता लें।
• घाट पर जाकर प्रार्थना कर सकती हैं, लेकिन मासिक धर्म के शुरूआती दिनों में सीधे अर्घ्य देने से बचें
• सबसे महत्वपूर्ण है मन में सच्ची श्रद्धा और भक्ति बनाए रखना।

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: छठ पूजा 2025: डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त समय क्या है?
 
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