रायपुर। छत्तीसगढ़ में हो रहे विधानसभा चुनाव में सोमवार को पहले चरण के लिए मतदान होगा। राज्य के धुर नक्सल प्रभावित बस्तर और राजनांदगांव क्षेत्र के मतदाता मुख्यमंत्री रमन सिंह समेत 190 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। राजनांदगांव सीट पर रमन सिंह का मुकाबला कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला से है।
राज्य में पहले चरण के मतदान के लिए तैयारियां पूरी हो गई हैं और मतदान दलों को रवाना भी कर दिया गया है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के 31,79,520 मतदाता मुख्यमंत्री रमन सिंह, उनके मंत्रिमंडल के 2 सदस्यों, भाजपा सांसद और कांग्रेस के 2 वरिष्ठ नेताओं समेत 190 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला कल सोमवार को करेंगे।
जिन 18 सीटों पर मतदान होगा उनमें से 12 सीट बस्तर क्षेत्र में तथा 6 सीट राजनांदगांव जिले में है। पहले चरण में 18 सीटों में से 12 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए तथा 1 सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।
सोमवार को जिन 18 सीटों पर मतदान होगा उनमें से मुख्यमंत्री रमन सिंह की सीट राजनांदगांव पर भी देशभर की नजर रहेगी। इस सीट पर सिंह के खिलाफ पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला चुनाव मैदान में हैं। शुक्ला को सिंह के खिलाफ प्रत्याशी बनाकर कांग्रेस ने वाजपेयी के नाम पर भाजपा को मिलने वाले वोटों पर सेंध लगाने की कोशिश की है।
सिंह ने वर्ष 2013 के विधानसभा के चुनाव में उदय मुदलियार की पत्नी अलका मुदलियार को हराया था। उदय मुदलियार की नक्सलियों ने झीरम घाटी हमले में हत्या कर दी थी। पहले चरण के मतदान में मंत्री केदार कश्यप और महेश गागड़ा नारायणपुर और बीजापुर से चुनाव मैदान में हैं। उनके खिलाफ कांग्रेस ने चंदन कश्यप और विक्रम मंडावी को उतारा है। वहीं पहले चरण में भाजपा की ओर से कांकेर से लोकसभा सांसद विक्रम उसेंडी अंतागढ़ सीट से उम्मीदवार हैं। विक्रम उसेंडी के खिलाफ कांग्रेस के अनूप नाग हैं।
वर्ष 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में विक्रम उसेंडी ने अंतागढ़ से जीत हासिल की थी लेकिन बाद में पार्टी ने उन्हें वर्ष 2014 में कांकेर लोकसभा सीट के लिए अपना उम्मीदवार बनाया था। इस चुनाव में उसेंडी को जीत मिली थी और अंतागढ़ में उपचुनाव होने के बाद यह सीट फिर से भाजपा को मिल गई थी। पहले चरण के चुनाव में भाजपा की ओर से विधायक संतोष बाफना और सरोजनी बंजारे, जगदलपुर और डोंगरगढ़ सीट से उम्मीदवार हैं।
वहीं कांग्रेस के 9 विधायक भानुप्रतापपुर से मनोज सिंह मंडावी, कोंडागांव से मोहनलाल मरकाम, बस्तर से लखेश्वर बघेल, चित्रकोट से दीपक कुमार बैज, दंतेवाड़ा से देवती कर्मा, कोंटा से कवासी लखमा, खैरागढ़ से गिरिवर जंघेल, केसकाल से संतराम नेताम और डोंगरगढ़ से दलेश्वर साहू पर पार्टी ने फिर से भरोसा जताया है।
दंतेवाड़ा सीट से उम्मीदवार देवती कर्मा पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा की पत्नी हैं। महेंद्र कर्मा ने बस्तर क्षेत्र में सलवा जुडूम आंदोलन की शुरुआत की थी। 25 मई वर्ष 2013 को झीरम हमले में कर्मा की मृत्यु हुई थी। देवती कर्मा के खिलाफ भीमा मंडावी चुनाव मैदान में हैं, वहीं कवासी लखमा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और कांग्रेस विधायक दल के उपनेता हैं। कोंटा कांग्रेस की परंपरागत सीट है। इस सीट से भाजपा के धनीराम बरसे लखमा के खिलाफ उम्मीदवार हैं।
पहले चरण के मतदान में 31,79,520 मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे। इनमें से 16,21,839 पुरुष मतदाता और 15,57,592 महिला मतदाता हैं, वहीं 89 तृतीय लिंग के मतदाता हैं। चुनाव के लिए 4,336 मतदान केंद्र बनाए गए हैं।
विधानसभा के पहले चरण की 18 सीटों में जीत लिए राज्य के सभी राजनीतिक दलों ने अपनी ताकत झोंक दी है। पिछले चुनाव में सत्ताधारी भाजपा को इनमें से केवल 6 सीटों पर ही जीत मिली थी। भाजपा ने इस बार इस क्षेत्र में अधिक से अधिक सभाएं लेकर जनता को आकर्षित करने का प्रयास किया है और एजुकेशन हब, आजीविका कॉलेज, नक्सल समस्या पर लगाम जैसे मुद्दे उठाए हैं।
इन क्षेत्रों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी समेत अन्य नेताओं ने रैलियां कीं और अपनी पार्टी के लिए वोट मांगा, वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इन सीटों पर 5 सभाएं और रोड शो कर मुख्यमंत्री रमन सिंह, क्षेत्र के सांसद और उनके बेटे अभिषेक सिंह पर कई आरोप लगाए। गांधी ने राज्य में चिटफंड और पनामा पेपर समेत अन्य मुद्दों को उठाया है।
छत्तीसगढ़ की 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए 2 चरणों में मतदान होगा। पहले चरण में सोमवार, 12 नवंबर को नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र के 7 जिलों और राजनांदगांव जिले की 18 सीटों के लिए मतदान होगा, वहीं 20 नवंबर को 72 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे।
राज्य में भाजपा पिछले 15 वर्षों से सत्ता में है और इस बार उसने 65 सीटें जीतकर चौथी बार सरकार बनाने का लक्ष्य रखा है, वहीं कांग्रेस को भरोसा है कि इस बार उसे जीत मिलेगी और 15 वर्ष का उसका वनवास समाप्त होगा। राज्य के दोनों प्रमुख दल सरकार बचाने और बनाने को लेकर आमने-सामने हैं।